जरा संभलकर! रिसर्च रोबोट को एक कमांड देकर आपका सारा डाटा चुरा सकते हैं हैकर्स
हैकर्स के बारे में आपने जरूर सुना होगा, लेकिन क्या आपने रिसर्च रोबोट के बारे में सुना है। हैकर्स की एक कमांड पर ये आपका सारा डाटा उड़ा सकते हैं।
वाशिंगटन [पीटीआई]। हैकर्स के बारे में मुमकिन है आपने काफी कुछ सुना होगा, लेकिन क्यार आपने कभी रिसर्च रोबोट के बारे में भी सुना है, जो उनकी मदद करते हैं। यदि नहीं सुना है तो हम आपको इन्हींं रोबोट्स की जानकारी दे रहे हैं। यह रिसर्च रोबोट हैकर्स की एक कमांड पर आपका कीमती डाटा पलक झपकते ही उड़ा लेते हैं और आपको इसकी भनक भी नहीं लगती है। इसलिए ही इंटरनेट का इस्तेमाल करते वक्त सुरक्षा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। ऐसा इसलिए कि अगर आपने ऐसा नहीं किया तो हैकर आसानी से आपसे संबंधित जानकारी चुरा सकते हैं और आप किसी भी अनहोनी के शिकार हो सकते हैं। दरअसल, एक शोध में पता चला है कि इंटरनेट पर कई तरह के रिसर्च रोबोट खुले में घूमते रहते हैं ताकि वे सूचनाओं पर नजर रख सकें। इस तरह ये जासूसी का काम करते हैं और गंभीर बात यह है कि हैकर कहीं भी दूर बैठकर इसे आसानी से आदेश दे सकता है।
रोबोट ऑपरेटिंग सिस्टम
अमेरिका स्थित ब्राउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने रोबोट ऑपरेटिंग सिस्टम (आरओएस) चलाने वाले मेजबानों की खोज में एक विश्वव्यापी स्कैन चलाया। 2017 और 2018 के बीच तीन अलग-अलग अवधियों में किए गए स्कैन के दौरान उन्हें ऐसे 100 आरओएस मिले, जिनमें से 19 पूरी तरह से ऑपरेशनल रोबोट थे। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि इन रोबोट को दूर बैठकर नियंत्रित करना मुमकिन है। इसके तहत इन्हें कैमरे के जरिये जासूसी करने और यहां तक कि उसे कहीं और जाने के लिए भी कहा जा सकता है।
कहीं से भी किए जा सकते हैं नियंत्रित
शोधार्थियों का कहना है कि इनमें से कुछ रोबोट गलत काम नहीं करते हैं, लेकिन हमारे अध्ययन से यह पता चला है कि ये रोबोट इंटरनेट के जरिये कहीं से भी आसानी से नियंत्रित किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि दूर बैठकर न सिर्फ इन रोबोट को नुकसान पहुंचाना मुमकिन है, बल्कि इसके जरिये मानव जाति को भी नुकसान हो सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि शोध का निष्कर्ष इसलिए महत्वपूर्ण है कि आज के समय में जब हर कोई डिजिटल दुनिया से तेजी से जुड़ रहा है, हर किसी को सुरक्षा की सावधानी बरतनी चाहिए।
क्या है ROS
आरओएस रिसर्च रोबोटिक्स में इस्तेमाल होने वाला प्रमुख प्लेटफॉर्म है। यह रोबोट की केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) की तरह है। यह रोबोट के सभी घटकों जैसे इसके कैमरे, सेंसर और एक्टूएटर को केंद्रीय कंप्यूटिंग नोड से जोड़ता है। एक बाहरी कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन के जरिये एक ऑपरेटर आसानी से खुद को केंद्रीय नोड से जोड़कर रोबोट को आदेश दे सकता है। ब्राउन यूनिवर्सिटी की एक रोबोटिस्ट स्टीफनी टेलेक्स ने कहा कि आरओएस रोबोटिक्स अनुसंधान के लिए एक अहम उपकरण है, लेकिन इसे बनाने वालों ने इससे सुरक्षा की जिम्मेदारी उपयोगकर्ताओं पर छोड़ दी है। टेलेक्स ने बताया कि आरओएस मास्टर से जुड़ने के लिए किसी भी तरह की पहचान की जरूरत नहीं है। इसका मतलब यह है कि यदि आप आरओएस चला रहे हैं तो कोई भी आपके रोबोट से जुड़ सकता है।
सुरक्षित करना है मुमकिन
शोधकर्ताओं का ये भी कहना है कि इन रोबोट को सुरक्षित करना कोई मुश्किल काम नहीं है। उन्हें केवल फायरवाल के पीछे या वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क पर चलाने की जरूरत है। हालांकि, इसके लिए उपयोगकर्ताओं को सुरक्षा के प्रति सावधान रहने की आवश्यकता है।
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