आंखों का डॉक्टर कैसे बन गया सुन्नी देश सीरिया का राष्ट्रपति, 54 साल तक परिवार ने किया राज, पढ़ें बशर अल असद की कहानी
Syria Civil Warराष्ट्रपति बशर अल-असद की सत्ता का अंत हुआ। वहीं तख्तापलट से पहले पूरे सीरिया में बशर के परिवार उनके रसूख और उनकी दौलत को लेकर भी चर्चाएं होती रही हैं।ऐसे समय में जब सीरिया राजनीतिक अस्थिरता और लगातार तख्तापलट से त्रस्त था हाफिज एक अलावाइट कमांडर के रूप में प्रमुखता से उभरे। बशर एक डॉक्टर बनना चाहते थे आपको आगे बताते हैं वो डॉक्टर से राष्ट्रपति कैसे बने।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Syria Civil War: सीरियाई में विद्रोहियों ने अब राजधानी दमिश्क पर कंट्रोल कर लिया है। देश के इतिहास में रविवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ। राष्ट्रपति बशर अल-असद (Bashar Al Assad) की सत्ता का अंत हुआ। वहीं तख्तापलट से पहले पूरे सीरिया में बशर के परिवार, उनके रसूख और उनकी दौलत को लेकर भी चर्चाएं होती रही हैं। दौलत की अगर बात करें तो इस मामले में अच्छी-अच्छी शख्सियतें बशर से पीछे हैं।
आधुनिक सीरिया के निर्माता, हाफिज अल-असद, 13 नवंबर, 1970 को तख्तापलट के माध्यम से सत्ता में आए। ऐसे समय में जब सीरिया राजनीतिक अस्थिरता और लगातार तख्तापलट से त्रस्त था, हाफिज एक अलावाइट, कमांडर के रूप में प्रमुखता से उभरे। सुन्नी बहुल सीरिया में इस्लाम के अलावी फिरके से आने वाले असद परिवार के राज की शुरुआत बशर अल असद के पिता हाफिज अल-असद ने 1970 में की थी।
'बांटो और राज करो'
सीरिया के जातीय और धार्मिक विभाजन का फायदा उठाकर बांटो और राज करो की उनकी रणनीति ने उन्हें सत्ता मजबूत करने में मदद की। हाफेज ने परंपरागत रूप से हाशिए पर रहने वाले अलावाइट अल्पसंख्यक को सेना और सरकार में प्रमुख पदों पर पहुंचाया, उनकी वफादारी सुनिश्चित की और अपने नियंत्रण को मजबूत किया।
बशर अल-असद को विरासत में मिला शासन
2000 में हाफेज की मृत्यु के बाद उनके बेटे बशर जो एक आंखों के डॉक्टर थे। उन्होंने राष्ट्रपति पद ग्रहण किया। बशर अल-असद आंखों के डॉक्टर थे और उन्होंने लंदन से डॉक्टर की पढ़ाई की थी और बाद में उन्होंने जेपी मॉर्गन में काम करने वाली एक इन्वेस्टमेंट बैंकर, ब्रिटिश-सीरियाई लड़की अस्मा से शादी कर ली। वहीं माना जाता है कि उन्होंने बशर की छवि को एक उदारवादी सुधारक के रूप में आकार देने में अहम भूमिका निभाई है।
शुरुआत में ऐसी उम्मीदें थीं कि बशर सुधार लाएंगे, लेकिन ये उम्मीदें जल्दी ही धूमिल हो गईं क्योंकि उन्हें अपने पिता की सत्तावादी व्यवस्था विरासत में मिली थी।अपने पिता के सहयोगियों की जगह अपने वफादारों को लाने की उनकी शुरुआती कोशिशों ने उन्हें सीरिया की ग्रामीण आबादी से अलग कर दिया, जिससे राज्य संस्थाएं और कमजोर हो गईं।
सीरिया गृह युद्ध
बशर अल-असद की दमनकारी रणनीति, जो पहली बार 1982 में मुस्लिम ब्रदरहुड पर उनके पिता की क्रूर कार्रवाई के दौरान स्पष्ट हुई, तब भी जारी रही जब 2011 में सीरिया में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इन विरोध प्रदर्शनों पर सरकार की हिंसक प्रतिक्रिया एक पूर्ण पैमाने पर गृहयुद्ध में बदल गई। रूस, ईरान और ईरानी समर्थित मिलिशिया के समर्थन से, असद की सरकार ने कई प्रमुख शहरों पर नियंत्रण हासिल कर लिया।
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