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    Bangldesh News: बांग्लादेश के कोर्ट में संत चिन्मय मामले में एक और याचिका, जानिए क्या है मामला?

    बांग्लादेश में हिंदू समाज के संत चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया है। हिंदू संत की जमात को लेकर कोर्ट में एक अग्रिम जमानत की याचिका दायर की गई। इस याचिका में हिंदू संत की जमानत पर शीघ्र सुनवाई की मांग की गई है। हालांकि एक दिन पहले कोर्ट ने चिन्मय की जमानत याचिका पर अग्रिम सुनवाई से इनकार कर दिया था।

    By Jagran News Edited By: Abhinav Tripathi Updated: Thu, 12 Dec 2024 11:30 PM (IST)
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    बांग्लादेश के कोर्ट में संत चिन्मय मामले में एक और याचिका (फाइल फोटो)

    पीटीआई, ढाका। बांग्लादेश में देशद्रोह मामले में गिरफ्तार हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की जमानत को लेकर एक और याचिका दाखिल की गई है। चिन्मय के वकील ने गुरुवार को एक अदालत में याचिका दाखिल की, जिसमें हिंदू संत की जमानत पर शीघ्र सुनवाई की मांग की गई है। एक दिन पहले ही अदालत ने चिन्मय की जमानत याचिका पर अग्रिम सुनवाई से इनकार कर दिया था।

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    इस बाबत कोर्ट ने कहा था कि पहले से तय तारीख दो जनवरी को ही सुनवाई होगी। स्थानीय मीडिया के अनुसार, वकील रवींद्र घोष ने चटगांव मेट्रोपालिटन सेशन जज सैफुल इस्लाम की अदालत में याचिका दाखिल की है। उन्होंने कहा, 'मैं कल भी आया था। दुर्भाग्यवश कल सुनवाई नहीं हुई। आज जज ने याचिका स्वीकर कर ली। वह मेरी बात सुनेंगे।' वकील की ओर से इसी अदालत में दाखिल की गईं तीन याचिकाएं बुधवार को खारिज कर दी गई थीं। हिंदू समूह सम्मिलिता सनातनी जोत के नेता एवं इस्कॉन से जुड़े रहे चिन्मय को 25 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था।

    बांग्लादेश का मुद्दा संसद में उठा

    तृणमूल कांग्रेस ने गुरुवार को संसद में बांग्लादेश का मुद्दा उठाया और पड़ोसी देश के हालात पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग की। तृणमूल संसदीय दल के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाने की अनुमति मांगी। उन्होंने नियम 251 का हवाला देते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि प्रधानमंत्री आएं और बांग्लादेश मुद्दे पर बयान दें। हालांकि सभापति जगदीप धनखड़ ने उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी।

    क्यों नहीं बोलते बंगाल के नोबेल पुरस्कार विजेता

    डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली के अध्यक्ष अनिर्बान गांगुली ने पूछा कि बंगाल के नोबेल पुरस्कार विजेता बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हमलों के बारे में क्यों नहीं कुछ बोल रहे? उन्होंने कहा, 'नोबेल विजेता अम‌र्त्य सेन, जो भारत में लोकतंत्र के बारे में न्यूयार्क टाइम्स को पत्र लिखते हैं और कहते हैं कि संविधान खतरे में है, लेकिन, इस मुद्दे पर उन्हें एक शब्द भी कहते नहीं सुना। न तो अम‌र्त्य सेन, अमिताव घोष, अभिजीत बनर्जी और न ही अन्य लोग बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, उसके विरुद्ध कुछ नहीं कह रहे हैं।