यूनुस की दमनकारी नीतियों से बांग्लादेश में फिर बिगड़ सकते हैं हालात, रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के बाद मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार से बेहतर हालात की उम्मीद थी पर स्थिति और खराब हो गई। एक रिपोर्ट के अनुसार यूनुस सरकार पर दमन के आरोप लग रहे हैं जिससे मानवाधिकार संगठन चिंतित हैं। राजनीतिक विश्लेषक क्रिस ब्लैकबर्न ने कहा कि यूनुस ने प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों पर पुलिस का इस्तेमाल किया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में शेख हसीना की सत्ता को उखाड़ फेंकने के बाद लोगों ने सोचा होगा कि वह इससे बेहतर देश बनाएंगे। हालांकि, लगभग एक वर्ष बाद वहां के हालात बेहतर होने के बजाय बदतर होते जा रहे हैं।
यूनुस की अंतरिम सरकार की त्रासदी यह है कि उसकी छवि कितनी जल्दी धूमिल हो गई। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां कभी हसीना के पतन के बाद देश को सुधारने की बातें हो रही थीं, वहीं अब अविश्वास और गहराता जा रहा है।
रिपोर्ट में खुलासा
रविवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार अपने ही लोगों के दमन के आरोपों का सामना कर रही है। कई मानवाधिकार संगठनों, पत्रकार और शिक्षाविद ने इस पर चिंता जाहिर की है।
राजनीतिक और सुरक्षा विश्लेषक क्रिस ब्लैकबर्न ने डिजिटल पोर्टल 'नैरेटिवा 360' के लिए एक लेख में लिखा कि अब सहानुभूति रखने वाली अंतरराष्ट्रीय आवाजें भी सवाल उठा रही हैं कि क्या यूनुस का बांग्लादेश हसीना के बांग्लादेश से कम सत्तावादी है।
पुलिस रही नाकाम
उन्होंने लिखा, "तथाकथित विद्रोह नाकामी में बदल गया है। जनता में जोश भरने या लोकतांत्रिक सुधार की नींव रखने के बजाय यूनुस ने छात्र प्रदर्शनकारियों, पत्रकारों और राजनीतिक आयोजकों पर दंगा पुलिस का इस्तेमाल किया है। जवाबदेही के नए दौर की शुरुआत करने के बजाय यह दमन, पुलिस हिंसा और खोखली बयानबाजी की कहानी में बदल गया है।"
देखा गया क्रूर व्यवहार
पिछले एक पखवाड़े में ही प्रदर्शनकारियों पर हमले और छात्रों के साथ क्रूर व्यवहार देखा गया है। ब्लैकबर्न ने कहा कि एक समय विदेशी पर्यवेक्षकों द्वारा शेख हसीना के अधिनायकवादी रुख को सुधारने के लिए की गई प्रशंसा के बाद यूनुस ने दमन की उन्हीं रणनीतियों को अपना लिया है, जिनसे वह घृणा करते थे।
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(समाचार एजेंसी IANS के इनुपट के साथ)
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