बांग्लादेश में तेजी से पनप रहा 'अंडरवर्ल्ड' माफिया, ढाका में बढ़ रहे आपराधिक गिरोह
बांग्लादेश में चुनाव से पहले आपराधिक गिरोहों का उदय चिंताजनक है। ढाका में हथियारों की तस्करी बढ़ गई है, और कई गिरोह ड्रग्स, फिरौती और वसूली जैसे अपराधों में शामिल हैं। जेनेवा कैंप में 'सीक्रेट किचन' नामक बम बनाने की इकाइयाँ स्थापित की गई हैं। राजनीतिक संरक्षण के कारण पुलिस को इन पर कार्रवाई करने में कठिनाई हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव से पहले स्थिति और बिगड़ सकती है।
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बांग्लादेश में तेजी से पनप रहा अंडरवर्ल्ड माफिया (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में चुनाव सिर पर हैं, लेकिन इससे पहले देश के भीतर आपराधिक गिरोहों का उदय और हथियारों की खुलेआम तस्करी गंभीर सुरक्षा चुनौती बन गई है। 2024 के व्यापक हिंसक उथल-पुथल के दौरान सुरक्षा बल जब भीड़ नियंत्रण में व्यस्त थे, तब एक वृहद आपराधिक नेटवर्क चुपचाप खड़ा हो गया।
ढाका के कई थानों और पुलिस चौकियों पर हमले हुए, जहां से अपराधी एसएमजी, एलएमजी, पिस्टल, शाटगन और चीनी राइफलों जैसी बड़ी मात्रा में हथियार लूटकर जेनेवा कैंप और पल्लबी बिहारी कैंप में ले गए। ये दोनों स्थान अब ढाका के अंडरवर्ल्ड के प्रमुख ठिकाने बन गए हैं।
लूट, ड्रग नेटवर्क और किशोर गिरोहों का कब्•ााखुफिया रिपोर्टों के अनुसार, इन गिरोहों के सदस्य ड्रग तस्करी, फिरौती, वसूली और संगठित अपराध में सक्रिय हैं। कई किशोर गिरोह भी बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों के सौदों और उगाही में शामिल पाए गए हैं।अधिकारियों का कहना है कि अपराधी गिरोह ढाका के अत्यधिक घनी आबादी वाले बिहारी कैंपों में बिना किसी रोक-टोक के सक्रिय हैं।
चुनावों की तैयारियों में जुटी सुरक्षा एजेंसियों पर पहले ही दबाव है, जिसके कारण इन गिरोहों पर अंकुश लगाना मुश्किल हो रहा है।भारतीय एजेंसियों का आकलन है कि इन गिरोहों की बढ़ती ताकत भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी जोखिम पैदा करती है।गुप्त 'बम किचन' बने नई ¨चतासबसे ¨चताजनक पहलू यह है कि जेनेवा कैंप के सेक्टर 4 और 7 में गिरोहों ने स्थायी बम निर्माण इकाइयां खड़ी कर ली हैं।
बड़े ढांचे बनाकर इन्हें 'सीक्रेट किचन' नाम दिया गया है, जहां विस्फोटक उपकरण तैयार किए जा रहे हैं।भारतीय अधिकारियों का कहना है कि ये गिरोह किसी वैचारिक संगठन से नहीं जुड़े हैं, अत: पैसे के लिए बड़े पैमाने पर बम बनाने को तैयार हो सकते हैं।
ऐसी स्थिति में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ इनके नेटवर्क का आसानी से इस्तेमाल कर सकती है।चुनाव से पहले बढ़ा जोखिमबांग्लादेश पुलिस गिरोहों पर कार्रवाई करने की कोशिश कर रही है, लेकिन राजनीतिक संरक्षण और कमजोर सुरक्षा व्यवस्था के कारण अधिक सफलता नहीं मिल पा रही।
फरवरी में होने वाले चुनावों से पहले आशंका है कि कई राजनेता सुरक्षा या क्षेत्रीय दबदबे के लिए इन गिरोहों का उपयोग कर सकते हैं। हथियारों के विशाल भंडार और मजबूत नेटवर्क को देखते हुए विशेषज्ञ मानते हैं कि इन गिरोहों को चुनाव बाधित करने के लिए भड़काया जा सकता है।
भारत के लिए एक स्थिर और शांतिपूर्ण बांग्लादेश अत्यंत महत्वपूर्ण है। नई दिल्ली ढाका के साथ संबंधों को नए सिरे से मजबूत करना चाहती है, जिसके लिए सुरक्षित और निष्पक्ष चुनाव आवश्यक हैं। लेकिन मौजूदा हालात चुनाव प्रक्रिया में अवरोध और क्षेत्रीय सुरक्षा पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।

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