बांग्लादेश में सड़कों पर उतरे शिक्षक, पुलिस ने बरसाई लाठियां; क्या है उनकी मांगें?
बांग्लादेश में अपनी मांगों को लेकर एमपीओ के तहत सूचीबद्ध शिक्षकों ने तीसरे दिन भी प्रदर्शन किया। उनकी मांगों में किराया भत्ता, चिकित्सा भत्ता और त्योहार बोनस में वृद्धि शामिल है। मांगों को पूरा न होने पर सचिवालय तक मार्च करने की चेतावनी दी गई है। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार और लाठीचार्ज किया। वहीं, सात इस्लामी दलों ने भी जनमत संग्रह के माध्यम से चुनाव कराने की मांग की है।

किराया भत्ते में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी, 1500 टका मेडिकल भत्ता की मांग (फोटो: पीटीआई)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अपनी मांगों के समर्थन में बांग्लादेश के गैर सरकारी संस्थानों में मासिक पे ऑर्डर (एमपीओ) के तहत सूचीबद्ध शिक्षकों ने मंगलवार को लगातार तीसरे दिन प्रदर्शन किया। उन्होंने चेतावनी दी कि मांगें न माने जाने पर वे सचिवालय तक लंबा मार्च करेंगे। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी प्रमुख मांगों में किराया भत्ते में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी, 1500 टका मेडिकल भत्ता और त्योहारी बोनस में 75 प्रतिशत की बढ़ोतरी शामिल है।
ये प्रदर्शन एमपीओ-संबद्ध एजुकेशन नेशनलाइजेशन अलायंस के बैनर तले किया जा रहा है। वे राजधानी के केंद्रीय शहीद मीनार के पास प्रदर्शन कर रहे हैं। संगठन के सदस्य सचिव देलवर हुसैन अजीजी ने चेतावनी दी है कि बगैर अपनी मांगों की अधिसूचना जारी कराए वे प्रदर्शन खत्म करने वाले नहीं हैं।
पुलिस ने की पानी की बौछार
उन्होंने कहा कि प्रदर्शनों की वजह से एमपीओ सूचीबद्ध शैक्षिक संस्थानों के शिक्षक शैक्षिक कार्यों से दूर हैं। उन्होंने कहा कि मांग पूरी होने तक शिक्षक और कर्मचारी किसी भी तरह की कक्षा या शैक्षिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं लेंगे। प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए पुलिस ने उन पर पानी की बौझार की और साथ ही लाठीचार्ज भी किया। इसके अलावा साउंड ग्रेनेड भी फेंके गए।
इसके विरोध में अवामी लीग ने मुहम्मद यूनुस प्रशासन पर आरोप लगाया कि वे शिक्षकों पर पुलिस के जरिये बर्बरता करा रहे हैं। पार्टी ने एक्स पर लिखा कि यूनुस प्रशासन के लिए लोकतंत्र की यही परिभाषा है।
सात इस्लामिक दलों ने किया प्रदर्शन
बांग्लादेश में अगले साल प्रस्तावित चुनावों से पहले राजनीतिक गतिरोध बढ़ता जा रहा है। कट्टरवादी इस्लामिस्ट पार्टी, जमात ए इस्लामी और इस्लामी आंदोलन समेत सात पार्टियों ने मंगलवार को मानव श्रृंखला बनाकर प्रदर्शन किया। उनकी प्रमुख मांग है कि फरवरी 2026 में होनेवाले चुनाव जुलाई चार्टर के अनुरूप जनमत संग्रह के जरिये होने चाहिए।
पार्टियों ने मांग की कि ये जनमत संग्रह आम चुनाव और आनुपातिक प्रतिनिधित्व (पीआर) से पहले नवंबर में कराना चाहिए। अन्य दलों में इस्लामी आंदोलन, बांग्लादेश खिलाफत मजलिस, नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी (जगपा), खिलाफत मजलिस, निजाम ए इस्लामी पार्टी और बांग्लादेश खिलाफत आंदोलन ने भी राजधानी में अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन किए।
पार्टियों ने कहा कि अगर चुनाव से पहले जुलाई चार्टर पर अमल नहीं होता है, तो इस चार्टर का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। इससे आम चुनावों पर भी संकट आने का खतरा है। वहीं बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने दावा किया कि 1971 में मुक्ति संग्राम में मात खाए समूह देश में पीआर प्रणाली लागू करके आम चुनावों को बेपटरी करना चाहते हैं।
(न्यूज एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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