बांग्लादेश को इस्लामी राष्ट्र बनाने की मांग को लेकर उग्र हुए धार्मिक संगठन, रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा
बांग्लादेश में अवामी लीग सरकार के पतन के बाद हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है। हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे संगठन इस्लामी राष्ट्र की मांग कर रहे हैं और अपनी पैठ मजबूत कर रहे हैं। हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश (एचआइबी) 2013 के अपने 13-सूत्रीय मांगपत्र को दोहरा रहा है। जस्टिस मेकर्स बांग्लादेश इन फ्रांस ने यूनुस प्रशासन के तहत न्यायेतर हत्याओं और हिरासत में मौतों पर चिंता जताई है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले साल बांग्लादेश में अवामी लीग सरकार के पतन के बाद से हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, उनकी जमीनों पर कब्जा, मंदिरों में तोड़फोड़ और जबरन इस्तीफे जैसी घटनाओं में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि हिफाजत-ए-इस्लाम और हिज्ब-उत-तहरीर जैसे संगठन इस्लामी राष्ट्र की मांग को लेकर और ज्यादा उग्र हो गए हैं। स्थिति अब और भी बदतर हो गई है क्योंकि कई धार्मिक संगठन सरकारी संरक्षण में अपनी पैठ मजबूत बना रहे हैं।
दोहरा रहा है मांगपत्र
जामिया मिलिया इस्लामिया की शोधार्थी मधुरिमा प्रमाणिक ने इंटरनेशनल सेंटर फार पीस स्टडीज (आइसीपीएस) के लिए अपने विश्लेषण में लिखा है कि हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश (एचआइबी) देश भर में तेजी से सक्रिय हो गया है और 2013 में जारी अपने 13-सूत्रीय मांगपत्र को दोहरा रहा है।
इसमें मूर्तियों और उन स्थानों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है जहां स्त्री और पुरुष दोनों एकत्र होते हों। साथ ही अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित करने की भी मांग की गई है। संगठन के नेता मुफ्ती इनायतुल्लाह अब्बासी ने मांगें पूरी न होने पर सशस्त्र क्रांति की धमकी दी है।
कितनी हत्याएं हुई?
उधर, जस्टिस मेकर्स बांग्लादेश इन फ्रांस (जेएमबीएफ) नामक एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश में न्यायेतर हत्याओं, हिरासत में मौतों और अन्य व्यापक मानवाधिकार उल्लंघनों के एक बेहद चिंताजनक पैटर्न पर प्रकाश डाला है।
संगठन ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि अगस्त 2024 और जुलाई 2025 के बीच देश में यूनुस प्रशासन के तहत 70 न्यायेतर हत्याएं और हिरासत में 60 मौतें हुईं जिन्हें सुरक्षा कर्मियों के साथ-साथ जेल प्रबंधन द्वारा अंजाम दिया गया।
मुक्ति संग्राम की यादें मिटाने की कोशिशें जारी- बीएनपी
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ देश के मुक्ति संग्राम को 'भूलना संभव नहीं' है। उन्होंने आरोप लगाया कि 1971 के मुक्ति संग्राम को लोगों की यादों से मिटाने की कोशिशें जारी हैं। जिन लोगों ने दुश्मनों की मदद की, वे अब ऊंची आवाज में बोल रहे हैं।
(समाचार एजेंसी IANS के इनुपट के साथ)
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