'क्या बांग्लादेश बन गया है तालिबान?', छात्र आंदोलन के एक साल पूरे होने पर आवामी लीग ने पूछा सवाल
ढाका में बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग ने यूनुस शासन के दौरान अल्पसंख्यकों के दमन का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा कि एक वर्ष में अत्याचार 1971 से भी अधिक हैं। 5 अगस्त 2024 को अवामी सरकार के पतन की वर्षगांठ पर रैलियां हुईं। यूनुस ने बेहतर बांग्लादेश का वादा किया पर कुछ लोग अभी भी उदार लोकतंत्र को दूर मानते हैं।

आईएएनएस, ढाका। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग ने बताया कि यूनुस शासन के दौरान अल्पसंख्यकों का दमन किया जा रहा है। पिछले एक वर्ष के दौरान उनके खिलाफ हमलों के 2442 मामले दर्ज किए गए। पार्टी ने पूछा कि क्या बांग्लादेश क्या अब भी पहले जैसा देश है या फिर छद्म तालिबान देश बन गया है।
अवामी लीग ने एक बयान में कहा कि देश में पिछले एक वर्ष में जितने अत्याचार हुए, वे 1971 में पाकिस्तानी सेना किए गए अत्याचारों से भी अधिक हैं। इधर, रॉयटर के अनुसार, बांग्लादेश में हिसंक छात्र आंदोलन के चलते पांच अगस्त, 2024 को शेख हसीना की अगुआई वाली अवामी सरकार अपदस्थ हो गई थी।
रैलियां निकालकर मनाया गया जश्न
इस घटना के एक वर्ष पूरे होने पर राजधानी ढाका समेत देश के विभिन्न इलाकों में मंगलवार को रैलियां निकालकर जश्न मनाया गया। जबकि अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्म्द यूनुस ने राष्ट्र के नाम संदेश में कहा, 'हम सब मिलकर एक ऐसा बांग्लादेश बनाएंगे, जहां निरकुंश शासन फिर लौट नहीं सके।'
उन्होंने पिछले वर्ष जुलाई-अगस्त के दौरान विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि भी दी। ढाका में संसद के पास भी बड़ी संख्या में लोग जमा हुए, जिनमें वे लोग भी शामिल रहे, जो पिछले वर्ष के विरोध प्रदर्शनों के दौरान घायल हुए थे।
किसी के चेहरे पर खुशी तो कुछ लोग दिखे मायूस
अहमदुल हसन नामक व्यक्ति ने कहा, 'पिछले वर्ष आज ही के दिन निरकुंश शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा था। मैं पिछले साल भी यहां मौजूद था। मैं उस क्षण को याद करने और जश्न में शामिल होने के लिए यहां आया हूं।'
हालांकि कुछ लोग मायूस भी दिखे। सब्बीर अहमद नामक छात्र ने कहा, 'रक्तपात और बलिदान के बावजूद बांग्लादेश में एक वास्तविक उदार लोकतंत्र का सपना अभी दूर लगता है।' इधर, अवामी लीग के कार्यक्रमों को रोकने के लिए ढाका में भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई और सुरक्षा बलों के जवान बख्तरबंद वाहनों में सड़कों पर गश्त करते दिखे।
बांग्लादेश में जारी है अभी भी हिंसा का दौर
उल्लेखनीय है कि देश में पिछले वर्ष जुलाई-अगस्त के दौरान छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे। पांच अगस्त, 2024 को अवामी सरकार का पतन हो गया था और हसीना को देश छोड़कर भारत जाना पड़ा था। हालांकि इस घटना के एक वर्ष बाद भी बांग्लादेश राजनीतिक रूप से अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। हिंसा का दौर अब भी जारी है। अल्पसंख्यक समुदायों खासतौर पर ¨हदुओं के खिलाफ भी हमले हो रहे हैं।
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