'उसने कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं की...', बांग्लादेश में हिंदू युवक की हत्या पर बड़ा खुलासा
बांग्लादेश के मैमनसिंह में भीड़ द्वारा मारे गए हिंदू युवक दीपू चंद्र दास के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली किसी भी अपमानजनक टिप्पणी करने क ...और पढ़ें

उसके शव को लटकाकर आग के हवाले कर दिया था
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश के मैमनसिंह में भीड़ द्वारा मारे गए हिंदू युवक दीपू चंद्र दास के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली किसी भी अपमानजनक टिप्पणी करने का कोई प्रत्यक्ष सुबूत नहीं मिला है। एक अधिकारी ने स्थानीय मीडिया को यह जानकारी दी। कथित रूप से ईशनिंदा के आरोपों के चलते 18 दिसंबर की रात को भीड़ ने दास को पीट-पीटकर मार डाला था और फिर उसके शव को लटकाकर आग के हवाले कर दिया था।
मैमनसिंह में रैपिड एक्शन बटालियन (रैब)-14 के कंपनी कमांडर मोहम्मद साम्सुज्जमान ने बांग्लादेश के प्रमुख समाचार पत्र द डेली स्टार को बताया कि 'कोई सुबूत नहीं मिला है जो यह दर्शाता हो कि मृतक ने इंटरनेट मीडिया पर कुछ ऐसा लिखा हो जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सके।' उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि न तो स्थानीय लोग और न ही जिस कपड़ा कारखाने में दास काम करता था, वहां के किसी श्रमिक ने ऐसी गतिविधि की ओर इशारा किया।
अब सभी कह रहे हैं कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से दास से ऐसी कोई बात नहीं सुनी। एक प्रमुख वैश्विक वकालत संगठन, कोलिशन ऑफ हिंदूज ऑफ नार्थ अमेरिका ने दास की बर्बर हत्या के बाद बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा के संबंध में अंतरराष्ट्रीय मीडिया और समुदायों की चुप्पी पर गहरी चिंता व्यक्त की है। संगठन ने इस बर्बर घटना की निंदा करते हुए कहा कि बांग्लादेश जंगलीपन की ओर बढ़ रहा है, जिसमें हिंदू सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
हत्या मामले में दो और गिरफ्तार, अब तक 12 पकड़े
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार बांग्लादेश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने हिंदू युवक दास की भीड़ द्वारा हत्या के मामले में दो और लोगों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में कुल गिरफ्तारियों की संख्या 12 हो गई है। मैमनसिंह के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अब्दुल्ला अल ममुन ने बताया कि रविवार को गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान 25 वर्षीय आशिक और 25 वर्षीय क्यूम के रूप में की गई है।
बंगबंधु छात्रावास का नाम 'उस्मान हादी' रखा गया
प्रेट्र के अनुसार, ढाका विश्वविद्यालय के बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान छात्रावास का नाम बदलकर शरीफ उस्मान हादी के नाम पर रख दिया गया है। स्थानीय मीडिया ने रविवार को इस बदलाव की जानकारी दी। हादी एक प्रमुख युवा नेता थे जिन्होंने पिछले साल बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार को गिराने वाले जुलाई विद्रोह में भाग लिया था। राजधानी में सिर में गोली लगने के छह दिन बाद गुरुवार को हादी की मौत हो गई।
समाचार पत्र 'ढाका ट्रिब्यून' के अनुसार, छात्रावास में रहने वाले छात्रों के संगठन 'हाल यूनियन' ने शनिवार को मुख्य द्वार पर लगी नामपट्टिका को हटाकर उसकी जगह 'शहीद शरीफ उस्मान हादी हाल' की नई नामपट्टिका लगा दी। उन्हें 12 दिसंबर को ढाका के बिजयनगर इलाके में एक चुनावी अभियान के दौरान नकाबपोश बंदूकधारियों ने सिर में गोली मार दी थी। सिंगापुर में इलाज के दौरान बृहस्पतिवार को उनका निधन हो गया।
उनकी मृत्यु के बाद पूरे बांग्लादेश में हमले और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं। इसके अलावा कई छात्रों ने छात्रावास की मुख्य इमारत पर बने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के चित्र पर पेंट कर दिया था। ढाका विश्वविद्यालय केंद्रीय छात्र संघ (डीयूसीएसयू) के सांस्कृतिक मामलों के सचिव मुसद्दीक इब्न अली मोहम्मद ने बताया कि नामपट्टिका हटाने का कार्य शनिवार रात साढ़े नौ बजे शुरू हुआ। 'हॉल काउंसिल' के उपाध्यक्ष मुस्लिमुर रहमान ने कहा कि छात्रों की मांग पर यह निर्णय लिया गया।
(न्यूज एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)
यह भी पढ़ें- 'हिंदुओं को होना होगा एकजुट', बांग्लादेश में जारी हिंसा पर बोले संघ प्रमुख मोहन भागवत

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।