यूनुस के नेतृत्व में अराजकता की ओर बढ़ता बांग्लादेश, महिलाओं-बच्चों पर बढ़ा जुल्म; बंद हो रही फैक्ट्रियां, लाखों हुए बेरोजगार
बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के दौरान अराजकता और जातीय हिंसा बढ़ रही है। अल्पसंख्यकों पर हमले और महिलाओं के खिलाफ हिंसा में वृद्धि से आर्थिक स्थिति खराब हो रही है कारखाने बंद हो रहे हैं और लोग बेरोजगार हो रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अपराधियों को सजा न मिलने और न्याय प्रणाली में देरी के कारण अपराध बढ़ रहा है।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार देश अराजकता, असुरक्षा और जातीय हिंसा के चलते बदहाली की तरफ तेजी से अग्रसर है। अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा में खतरनाक वृद्धि का असर देश की आर्थिक स्थिति पर भी पड़ा है। कल-कारखाने तेजी से बंद हो रहे हैं और कंपनियां लोन डिफाल्टर घोषित होने के कगार पर हैं। इसके चलते लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं।
कभी भारत से भी तेज विकास दर वाला देश तेजी से गरीबी के दलदल में धंसता जा रहा है। इसका असर भारत पर भी पड़ सकता है क्योंकि देश में बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ तेज हो सकती है। आइए आंकड़ों से इस देश की खस्ता हालत के बारे में समझते हैं। क्यों बढ़ रहा अपराध का ग्राफ विशेषज्ञों के मुताबिक अपराधियों को सजा न मिलने, न्याय प्रणाली में देरी, कानून प्रवर्तन एजेंसियों की लापरवाही और कमजोर स्थानीय शासन की वजह से मामले तेजी से बढ़े हैं। ये स्थिति सामाजिक सुरक्षा और मानवाधिकारों के लिए एक गंभीर खतरा है।
बांग्लादेश में पुलिसिंग व्यवस्था कमजोर
ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सैयद शेख इम्तियाज के मुताबिक पुलिसिंग व्यवस्था कमजोर हो गई है। जुलाई आंदोलन के बाद महिलाओं की स्वतंत्रता खतरे में पड़ गई है। कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का तर्क है कि महिलाओं के प्रति द्वेषपूर्ण रवैया और अपराधियों को मिलने वाली छूट से असामाजिक तत्वों का दुस्साहस बढ़ा है। इन कार्यकर्ताओं का मानना है कि प्रभावी कानून प्रवर्तन, त्वरित सुनवाई, और बेहतर सामाजिक जागरूकता के बिना, बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा की घटनाओं को रोका नहीं जा सकता है।
बांग्लादेश में असुरक्षा के माहौल
बेरोजगार हुए लोग गांव लौटने को मजबूर देश में असुरक्षा के माहौल का असर आर्थिक मामलों पर भी पड़ा है। देश भर में सैकड़ों फैक्टि्रयां बंद हो गई हैं, जिससे लाखों श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं। इसके चलते बैंकिंग क्षेत्र में डिफाल्ट ऋणों में दोगुनी वृद्धि हुई है। मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता संभालने के बाद से बांग्लादेश में असंतुष्ट मजदूरों का विरोध प्रदर्शन भी बढ़ गया है, क्योंकि आर्थिक संकट के कारण उनको नई नौकरी नहीं मिल रही है। बहुतों को खाली हाथ अपने गांवों को लौटना पड़ा है।
डिफाल्ट ऋणों में 26.6 अरब डॉलर की वृद्धि
आंकड़ों के मुताबिक एक साल में डिफाल्ट ऋणों में 26.6 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है। देश का केंद्रीय बैंक बांग्लादेश बैंक भी धीमी निर्णय प्रक्रिया और नौकरशाही बाधाओं के चलते ज्यादा मददगार साबित नहीं हो पा रहा है। कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों की 1300 से अधिक कंपनियों ने अपने ऋणों को पुनर्व्यवस्थित करने के लिए आवेदन किया है, जिसमें केवल 280 को ही मंजूरी मिल पाई है।
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