बांग्लादेश में पाकिस्तान पर जीत का जश्न, 1971 के मुक्ति युद्ध की 54वीं वर्षगांठ मनाई
बांग्लादेश ने मंगलवार को भारत की सहायता से पाकिस्तान के विरुद्ध मुक्ति संग्राम में अपनी जीत की 54वीं वर्षगांठ मनाई। इस मौके को यादगार बनाने के लिए 54 ...और पढ़ें

1971 के मुक्ति संग्राम में पाकिस्तान पर जीत का मनाया जश्न (फाइल फोटो)
एएनआई, ढाका। बांग्लादेश ने मंगलवार को भारत की सहायता से पाकिस्तान के विरुद्ध मुक्ति संग्राम में अपनी जीत की 54वीं वर्षगांठ मनाई। इस मौके को यादगार बनाने के लिए 54 पैराट्रूपर्स ने आसमान से छलांग लगाई। इसके अलावा पूरे बांग्लादेश में अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
खास बात यह रही कि इस अवसर पर बांग्लादेश की ओर से आधिकारिक तौर पर कोई आभार व्यक्त नहीं किया गया। जबकि 2021 में जब बांग्लादेश ने मुक्ति के 50 वर्ष पूरे किए थे तो भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को सरकारी मेहमान के तौर पर आमंत्रित किया गया था।
मंगलवार सुबह से ही मुक्ति संग्राम के बलिदानियों को श्रद्धांजलि दी गई। हर तबके के लोगों ने ढाका के पास सावर में राष्ट्रीय बलिदानी स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की।
विजय दिवस का आधिकारिक जश्न सूरज उगते ही पुराने ढाका एयरपोर्ट एरिया में बांग्लादेश आर्मी की आर्टिलरी रेजिमेंट ने 31 तोपों की सलामी के साथ शुरू किया। यह उन वीर बलिदानियों के सम्मान में था जिन्होंने मुक्ति संग्राम में अपना जीवन बलिदान किया था।
बांग्लादेश सशस्त्र बलों ने शानदार फ्लाई-पास्ट किया। इस अवसर पर अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस मौजूद थे। बांग्लादेश के अखबारों ने इस अवसर पर विशेषांक छापे। सभी टीवी चैनलों पर विशेष कार्यक्रम दिखाए गए और अलग-अलग ऑनलाइन मीडिया आउटलेट्स ने भी स्पेशल रिपोर्ट प्रकाशित कीं।
बीएनपी ने चेताया, फिर उभर रहीं मुक्ति संग्राम का विरोध करने वाली ताकतें
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने इस अवसर पर चेतावनी दी कि 1971 में देश की आजादी का विरोध करने वाली ताकतें फिर से उभर रही हैं। उनका इशारा कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी की ओर था, जो मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार आने के बाद मजबूत हो रही है।
फखरुल ने कहा, ''आज आजादी के दुश्मन, जो 1971 में आजादी के विरुद्ध खड़े थे, फिर से उठने की कोशिश कर रहे हैं। बांग्लादेश के आजादी पसंद लोग, जो लोकतंत्र में विश्वास करते हैं, उनकी सभी साजिशों को नाकाम कर देंगे और देश की आजादी व संप्रभुता को बरकरार रखेंगे। लोकतंत्र स्थापित होगा।''
इस महीने की शुरुआत में बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान ने भी जमात पर पार्टी के विरुद्ध दुष्प्रचार का आरोप लगाया था। उनका कहना था, ''आजकल हम कुछ लोगों या कुछ समूहों को अलग-अलग जगहों पर या इंटरनेट मीडिया पर यह कहते हुए सुनते हैं कि हमने इस पार्टी और उस पार्टी को देख लिया है, इसलिए अब इस पार्टी (जमात) को एक मौका दो। लेकिन देश के लोगों ने इस पार्टी को 1971 में ही देख लिया है।''
हसीना ने भी 1971 में पराजित शक्तियों के फिर उभार पर जताई चिंता
बांग्लादेश की अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी एक्स पर पोस्ट में कहा, 'जीत के गर्व के साथ-साथ आज दुख के साथ यह भी कहना होगा कि 1971 में पराजित हुई ताकतें एक बार फिर उठ खड़ी हुई हैं। भेदभाव विरोधी आंदोलन की आड़ में उन्होंने धोखे का जाल बिछाया, सुनियोजित आतंक फैलाया और गैर-कानूनी तरीके से सत्ता पर कब्जा कर लिया।''
मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार की आलोचना करते हुए हसीना ने आरोप लगाया कि पिछले लगभग 17 महीनों से पूरे देश में अराजकता फैली हुई है और मुक्ति संग्राम खुद मुख्य निशाना बन गया है।

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