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    बांग्लादेश में गैर मुस्लिम शिक्षकों पर गिरी कट्टरपंथियों की गाज, हसीना के जाते ही लिए गए 49 के इस्तीफे

    Updated: Sun, 01 Sep 2024 09:59 PM (IST)

    बांग्लादेश में पांच अगस्त को शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद गैर मुस्लिम निशाने पर हैं। चूंकि अल्पसंख्यक समुदाय में हिंदू संख्या में सबसे ज्यादा हैं इसलिए कट्टरपंथियों की गाज उन पर ही सबसे ज्यादा गिर रही है। जुलाई-अगस्त में हमलों लूटपाट और आगजनी के बाद अब सरकारी पदों पर कार्यरत हिंदुओं से जबरन इस्तीफा लिया जा रहा है।

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    गैर मुस्लिम शिक्षकों पर गिरी कट्टरपंथियों की गाज (फाइल फोटो)

    पीटीआई, ढाका। बांग्लादेश में पांच अगस्त को शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद गैर मुस्लिम निशाने पर हैं। चूंकि अल्पसंख्यक समुदाय में हिंदू संख्या में सबसे ज्यादा हैं, इसलिए कट्टरपंथियों की गाज उन पर ही सबसे ज्यादा गिर रही है। जुलाई-अगस्त में हमलों, लूटपाट और आगजनी के बाद अब सरकारी पदों पर कार्यरत हिंदुओं से जबरन इस्तीफा लिया जा रहा है।

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    पता चला है कि हाल के दिनों में देश में 49 गैर मुस्लिम शिक्षकों के इस्तीफे लिए गए। जिन शिक्षकों से जबरन इस्तीफे लिखवाए गए उनमें हिंदू शिक्षकों की संख्या सबसे ज्यादा है।

    'गैर मुस्लिम शिक्षकों पर लगातार हमले हो रहे'

    बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध, ईसाई, ओइक्या परिषद की छात्र शाखा बांग्लादेश छात्र ओइक्या परिषद ने कहा है कि बीते कुछ हफ्तों में सुनियोजित तरीके से गैर मुस्लिम शिक्षकों को डरा-धमकाकर उनसे इस्तीफे लिए जा रहे हैं। छात्र परिषद के सांगठनिक समन्वयक सजीब सरकार ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा, हसीना सरकार के हटने के बाद से गैर मुस्लिम शिक्षकों पर लगातार हमले हो रहे हैं।

    'अल्पसंख्यक समुदाय बुरी तरह से भयभीत है'

    स्कूल में जाने पर उन्हें पीटा जा रहा है। पूरे देश का सामाजिक तानाबाना गड़बड़ा गया है, अल्पसंख्यक समुदाय बुरी तरह से भयभीत है। इसी माहौल में शिक्षकों से जबरन इस्तीफे लिए गए लेकिन उच्च अधिकारियों से शिकायत किए जाने पर उनमें से 19 के इस्तीफे रद मानकर उन्हें बहाल कर दिया गया। बांग्लादेश में जुलाई से बने अल्पसंख्यक विरोधी माहौल में हिंदुओं, उनके घरों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और मंदिरों पर लगातार हमले हुए हैं।

    64 जिलों वाले देश के 52 जिलों में अल्पसंख्यकों पर हमलों की 205 से ज्यादा घटनाएं हुई हैं। अंतरिम सरकार के तमाम आश्वासनों के बावजूद करीब तीन हफ्ते में माहौल सामान्य नहीं हो पाया है। इस माहौल में अल्पसंख्यक डरे हुए हैं। इस्तीफा देने के बाद बांग्लादेश से निकलकर हसीना भारत गई थीं और अभी वहीं पर हैं।