Bangladesh: 1971 के नरसंहार को मिले अंतरराष्ट्रीय मान्यता, बांग्लादेश के मंत्री मुजम्मिल हक ने की अपील
Bangladesh 1971 के नरसंहार को बांग्लादेश के मुक्ति युद्ध मामलों के मंत्री एकेएम मुजम्मिल हक ने इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता देने की अपील की है। उन्होंने लोगों से इस नरसंहार के समर्थन में भी जुटने का आह्वान किया है।

ढाका, एजेंसी। 1971 में हुए नरसंहार को बांग्लादेश 50 साल के बाद भी भुला नहीं पाया है। इस नरसंहार के 50 साल के बाद बांग्लादेश के मुक्ति युद्ध मामलों के मंत्री एकेएम मुजम्मिल हक ने 1971 के नरसंहार को अंतरराष्ट्रीय मान्यता देने की मांग की है। उन्होंने लोगों से आह्वान करते हुए कहा कि जो भी मुक्ति युद्ध की भावना में विश्वास करते हैं। उन्हें इस नरसंहार को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने के लिए एकजुट होना चाहिए।
एकेएम मुजम्मिल हक ने की अपील
बांग्लादेश समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ढाका में प्रेस को संबोधित करते हुए एकेएम मुजम्मिल हक ने कहा कि 1971 के नरसंहार को आजादी के 51 वर्षों के बाद भी अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिल पाई है। मंत्री मुजम्मिल हक ने 9 दिसंबर के अलावा 25 मार्च को अंतरराष्ट्रीय नरसंहार दिवस के रूप में मान्यता देने की मांग की है।
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30 लाख लोगों की हुई थी हत्या
एकेएम मुजम्मिल हक ने कहा कि पाकिस्तानी सैनिकों ने अपने स्थानीय सहयोगियों के सहयोग के साथ मिलकर 30 लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। करीब 9 महीने के दौरान उन्होंने दो लाख महिलाओं के साथ अत्याचार किया। इस दौरान उन्होंने घरों में आग लगा दी और बड़े पैमाने पर बांग्लादेश में लूटपाट की थी।
25 मार्च को मनाया जाता है राष्ट्रीय नरसंहार दिवस
बता दें कि 26 मार्च 1971 को शेख मुजीबुर रहमान ने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया था। इसके कारण बांग्लादेश की आजादी के लिए मुक्ति युद्ध शुरू हुआ। इस दौरान पाकिस्तानी सेना ने देश में जमकर नरसंहार किया था। बांग्लादेश की आजादी की इस लड़ाई में भारत ने भी अहम भूमिका निभाई थी। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने 25 मार्च को राष्ट्रीय नरसंहार दिवस घोषित किया है।
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