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ओमान में फंसे 30 भारतीय मजदूरों ने पीएम मोदी से मांगा समर्थन, वापस लाने की गुहार

ओमान के मस्कट में फंसे कम से कम 30 भारतीय मजदूरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें भारत वापस लाने का अनुरोध किया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 06:01 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 06:25 PM (IST)
ओमान में फंसे 30 भारतीय मजदूरों ने पीएम मोदी से मांगा समर्थन, वापस लाने की गुहार
ओमान में फंसे 30 भारतीय मजदूरों ने पीएम मोदी से मांगा समर्थन, वापस लाने की गुहार

मस्‍कट, एएनआइ। ओमान के मस्कट में फंसे कम से कम 30 भारतीय मजदूरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें भारत वापस लाने का अनुरोध किया है। उनका आरोप है कि पिछले छह महीने से उनकी कंपनी ने वेतन देने से इंकार कर दिया है। इस बारे में ओमान के दूतावास ने कहा है कि यह मामला हाल ही में दूतावास के संज्ञान में आया है। हमने श्रमिकों के साथ-साथ संबंधित ओमानी अधिकारियों के संपर्क में हैं और कानूनी सलाह भी दी है। हम इन श्रमिकों के मुद्दों के समाधान की दिशा में आवश्यक समर्थन करेंगे।  

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झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने विदेश मंत्री मांगी थी मदद 

ज्ञात रहे कि इससे पहले गुरुवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने मजदूरों की भारत वापसी के लिए केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से मदद मांगी थी। हेमंत सोरेन ने विदेश मंत्रालय से झारखंड के मजदूरों का शोषण करने वाली कंपनी के खिलाफ भी कार्रवाई करने की मांग की थी।

मजदूरों ने बंधक बनाने का आरोप, झारखंड के हैं मजदूर 

मजदूरों ने फोन करके अपने परिजन से संपर्क किया था। इसके बाद इनके बंधक बनाने का मामला सामने आया है। सभी रोजगार की तलाश में ओमान गए थे। परिजनों का आरोप है कि वे सभी जिस कंपनी में काम करते हैं, उसने छह माह से वेतन नहीं दिया है। साथ ही, सभी मजदूरों को बंधक बनाए है। 24 घंटे में सिर्फ एक बार खाना दिया जा रहा है। जब भी वे लोग वेतन मांगते हैं, उन्हें धमकी दी जाती है। ये मजदूर झारखंड के हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह और बोकारो जिले के रहने वाले हैं।

मजदूरों का जुलाई से वेतन किया बंद 

प्रवासी ग्रुप के सिकंदर अली ने बताया कि इन सभी का वीजा खत्म हो गया है। वे कैदी की तरह हैं। उनकी वतन वापसी की दिशा में ठोस कदम उठाया जाए। 2017 में एक कंपनी में ट्रांसमिशन लाइन में काम करने का लालच देकर इन मजदूरों को ओमान लाया गया। जून-2019 तक काम के बदले थोड़ा-बहुत वेतन मिला। जुलाई से वेतन बंद कर दिया गया।


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