Asian Women: एशियाई महिलाओं में बढ़ रहा 'गोरे पुरुषों' से शादी का ट्रेंड, चौंका देंगे ये आंकड़े
कोई देश चाहे कितना भी उन्नत हो जाए लेकिन विचारधारा को इतनी आसानी से नहीं छोड़ पाता। जापान और कोरिया समेत सभी एशियाई देश इसके उदाहरण हैं। बेहतर शिक्षा उन्नत तकनीक और संपन्नता के बावजूद ये देश अपनी पुरुष प्रधान समाज की मानसिकता से बाहर नहीं आ पाए हैं। यही वजह है कि इन देशों की महिलाएं शादी के लिए पश्चिम का रुख कर रही हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरियन सभ्यता में एक प्राचीन नियम है। इसके मुताबिक, 'महिलाओं को शादी से पहले अपने पिता, शादी के बाद अपने पति और विधवा होने के बाद अपने बेटे का आदेश मानना चाहिए।'
ये कुछ और नहीं, बल्कि पुरुष प्रधान समाज की वह झलक है, जो भारत समेत सभी एशियाई देशों में देखने को मिल जाती है। बीते 70 सालों में साउथ कोरिया में जबरदस्त विकास हुआ है, लेकिन बावजूद इसके यह देश पितृसत्ता से आजाद नहीं हो पाया है।
साउथ कोरिया को उद्योग का पावर हाउस कहा जाता है। एक ऐसा देश, जो चिप्स से लेकर शिप तक सब कुछ बनाता है, लेकिन इसी देश में शादीशुदा महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वह अपनी सास की बात मानें, बिना मेड की मदद के घर के कामकाज करें, बच्चे पैदा करें और बतौर महिला अपनी सभी जिम्मेदारियां पूरी करें।
दक्षिण कोरिया में सबसे अधिक जेंडर पे गैप
जेंडर पे गैप के मामले में भी दक्षिण कोरिया की स्थिति बेहद बुरी है। यहां पुरुषों की तुलना महिलाओं को महज दो तिहाई वेतन ही मिलता है। दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान भी कुछ बेहतर स्थिति नहीं।
सबसे अधिक जेंडर पे गैप वाले देशों में दक्षिण कोरिया पहले, तो जापान दूसरे नंबर पर आता है। जापान में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले तीन चौथाई वेतन ही पाती हैं। एशिया के ज्यादातर देशों में शिक्षा, तकनीक, संपन्नता और पश्चिमी प्रभाव के बावजूद पुरुष प्रधान समाज की विचारधारा आज भी जस की तस है।
यही वजह है कि दक्षिण कोरिया और जापान की महिलाएं शादी नहीं करना चाहतीं। कुछ ऐसी भी हैं, जो इस पितृसत्ता से बचने के लिए विदेशियों (एशिया से बाहर) से शादी कर रही हैं। हालांकि जापान में विदेशियों से शादी अभी इतनी आम नहीं है।
अमेरिकी और ब्रिटिश पुरुष चुनती हैं जापानी महिलाएं
1970 तक यह आंकड़ा महज 0.5 फीसदी था, जो 2006 में 6 फीसदी पर ही पहुंच पाया। गौर करने वाली बात ये है कि जापानी पुरुष शादी के लिए चीन और फिलिपिंस को तरजीह देते हैं, जबकि जापानी महिलाएं अमेरिकी और ब्रिटिश को।
यूरोपियन कमीशन से जुड़ी एना जेसीम कहती हैं, '2016 में जापानी महिलाओं से शादी करने वाले करीब 26 फीसदी पुरुष कोरियाई थे। लेकिन इनकी गिनती विदेशियों के तौर पर नहीं होती, क्योंकि इनमें से ज्यादातर जापान में ही पैदा हुए थे।'
एना के मुताबिक, 'इस सूची में अमेरिका 17 फीसदी पुरुषों के साथ टॉप पर है। जबकि जापानी पुरुषों की स्थिति उलट है। जापानी पुरुषों में से करीब 37 फीसदी ने चीनी और 24 फीसदी ने फिलीपिंस की महिलाओं से शादी की। केवल 2 फीसदी पुरुषों ने अमेरिकी महिला से शादी की।'
पुरुषों का रुख चीन की ओर
शादी के लिए जापान के महिलाओं और पुरुषों की विचारधारा भी अलग-अलग है। निम्न आय या समाजिक स्तर वाले जो जापानी पुरुष अपने लिए आदर्श पत्नी नहीं ढूंढ पाते, वह विदेशी महिलाओं (चीन या फिलिपींस की) से विवाह कर लेते हैं।
जबकि महिलाएं ऐसा नहीं सोचतीं। जापानी महिलाएं शादी के लिए विदेशी पुरुष (अमेरिकी या ब्रिटिश) इसलिए तलाशती हैं, जिससे उन्हें पितृसत्ता से आजादी मिले। कोरिया सरकार के आंकड़े भी इससे मिलते-जुलते हीं हैं।
2023 में कोरिया की करीब 1386 महिलाओं ने अमेरिकी पुरुषों से शादी की। इसके अलावा करीब 920 ने चीनी पुरुषों को चुना। वहीं फ्रांस, इटली, जर्मनी, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के पुरुषों को 830 महिलाओं ने चुना।
हर साल बढ़ रहे आंकड़े
ये आंकड़े साल दर साल बढ़ रहे हैं। साल 2021 में 4117, 2022 में 4659 और 2023 में 5007 महिलाओं ने विदेशी पुरुषों को अपना जीवनसाथी बनाया। एक आंकड़े के मुताबिक, करीब 42 फीसदी कोरियाई महिलाएं शादी को जरूरी नहीं मानतीं।
कोरिया की 93 फीसदी महिलाएं घर के कामों और बच्चे पैदा करने से एहतियात बरतना चाहती हैं और 84 फीसदी महिलाओं को लगता है कि बच्चा पैदा करना गैरजरूरी है।
पितृसत्ता का ही नतीजा है कि एशियाई महिलाएं यह मानने लगी हैं कि विदेश में शादी करना ही उन्हें वर्तमान जिंदगी से बाहर निकालने का एकमात्र रास्ता है। इसे इस रूप में भी देखा जा सकता है कि महिलाएं पुरुष प्रधान समाज को खत्म करने पर जोर दे रही हैं।
व्हाइट देशों के पुरुषों के प्रति हॉलीवुड की फिल्मों ने भी काफी आकर्षण पैदा किया है। ऐसे में एशियाई महिलाओं के लिए उन्हें चुनना कोई चौंकाने वाली बात नहीं है।
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