Arctic Ocean: एक लाख साल पहले गर्मी के दिनों में आर्कटिक में नहीं होती थी बर्फ, रिसर्च में सामने आई जानकारी
नेचर जियोसाइंस (Nature Geoscience) की एक शोध के मुताबिक एक लाख साल पहले आर्कटिक में गर्मी के दिनों में बर्फ मौजूद नहीं था। शोधकर्ताओं ने एक विश्लेषण में पाया कि अटलांटिक के जल में पाई जाने वाली एक उपध्रुवीय प्लवक प्रजाति (Subpolar Plankton Species) अंतिम इंटरग्लेशियल यानी 130000 से 115000 वर्ष पहले आर्कटिक महासागर में दूर तक फैली हुई थी जिसका मतलब है कि ग्रीष्मकाल के दौरान आर्कटिक बर्फ-मुक्त था।

स्टॉकहोम, पीटीआई। जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी लगातार गर्म हो रही है, जिससे बर्फ काफी तेजी से पिघल रही है। इसका असर आर्कटिक के समुद्री बर्फ पर भी देखने को भी मिल रहा है। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण आर्कटिक का बर्फ गर्मी के दिनों में तेजी से पिघल रही है। एक शोध के मुताबिक, आर्कटिक का बर्फ इस शताब्दी के अंदर ही पूरी तरह से पिघल जाएगी।
पहले बर्फ मुक्त था आर्कटिक महासागर
नेचर जियोसाइंस (Nature Geoscience) की एक शोध के मुताबिक, एक लाख साल पहले आर्कटिक में गर्मी के दिनों में बर्फ मौजूद नहीं था। शोधकर्ताओं ने एक विश्लेषण में पाया कि अटलांटिक के जल में पाई जाने वाली एक उपध्रुवीय प्लवक प्रजाति (Subpolar Plankton Species) अंतिम इंटरग्लेशियल यानी 130,000 से 115,000 वर्ष पहले आर्कटिक महासागर में दूर तक फैली हुई थी, जिसका मतलब है कि ग्रीष्मकाल के दौरान आर्कटिक बर्फ-मुक्त था।
तापमान में हो रही बढ़ोतरी पर शोधकर्ताओं ने क्या कहा?
स्टॉकहोम विश्वविद्यालय के शोधकर्ता फ्लोर वर्मासेन ने कहा कि लास्ट इंटरग्लेशियल वर्ष के दौरान पृथ्वी का तापमान वर्तमान तापमान से काफी अधिका था और उस समय समुद्र का स्तर भी करीब आज के स्तर से छह से लेकर नौ मीटर तक अधिक था। उन्होंने कहा कि आर्कटिक महासागर पिछले इंटरग्लेशियल के दौरान मौसमी रूप से बर्फ-मुक्त था। इस दौरान वर्मासेन ने पृथ्वी के बढ़ते तापमान पर भी चिंता जताई।
आर्कटिक की भौतिक स्थिती और पर्यावरण को समझने पर जोर
उन्होंने अंतिम इंटरग्लेशियल के दौरान आर्कटिक की भौतिक स्थिती और पर्यावरण को समझने के लिए उसी अवधि के जलवायु और समुद्र विज्ञान मॉडल के अध्ययन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि समुद्र की सतह के तापमान और अन्य जल द्रव्यमान मापदंडों को फिर से विकसित करने की जरूरत है।
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