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    China vs US Navy 7th Fleet: अमेरिका के इस कदम से चीन में खलबली, फ‍िर सुर्खियों में आया US का सातवां बेड़ा- जानें- पूरा मामला

    By Ramesh MishraEdited By:
    Updated: Mon, 18 Jul 2022 02:28 PM (IST)

    दक्षिण चीन सागर में अमेरिका के इस कदम से चीन की बेचैनी बढ़ गई है। यह दूसरी बार है जब अमेरिका के सातवें बेड़े ने दक्षिण चीन सागर में दस्‍तक दिया है। आखिर क्‍या है अमेरिका का सांतवां बेड़ा। दुनिया के मुल्‍क इस सातवें बेड़े से क्‍यों खौफ खाते हैं।

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    China vs US Navy 7th Fleet: अमेरिका के इस कदम से चीन में खलबली। एजेंसी।

    नई दिल्‍ली, जेएनएन। China vs US Navy 7th Fleet: दक्षिण चीन सागर में अमेरिका के इस कदम से चीन की बेचैनी बढ़ गई है। यह दूसरी बार है, जब अमेरिका के सातवें बेड़े ने दक्षिण चीन सागर में दस्‍तक दिया है। चीन ने अमेरिकी नौसेना की गतिविधि का विरोध किया है। इस पर अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े ने भी असामान्य तरीके से जवाब देते हुए चीन पर गैर कानूनी तरीके से पड़ोसी देशों की कीमत पर समुद्री अधिकार प्राप्त करने की कोशिश का आरोप लगाया है। अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े ने अपने बयान में कहा है कि मिशन के बारे में पीएलए का बयान गलत है। आखिर क्‍या है अमेरिका का सांतवां बेड़ा। दुनिया के मुल्‍क इस सातवें बेड़े से क्‍यों खौफ खाते हैं।

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    सांतवें बेड़े के बाद चीन में खलबली

    अमेरिका का सांतवां बेड़ा दक्षिण चीन सागर में ऐसे वक्‍त दिखा है जब ड्रैगन ने अमेरिका को सख्‍त चेतावनी दी है कि उसको ताइवान के साथ सैन्‍य सहयोग बंद कर देना चाहिए। जनरल ली ज़ुओचेंग ने हाल में अपने अमेरिकी समकक्ष जनरल मार्क मिले से कहा कि चीन के पास अपने मूल हितों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर समझौते के लिए कोई जगह नहीं है, जिसमें स्वशासित ताइवान भी शामिल है। चीन ने बिना क्‍वाड संगठन का नाम लिए कहा कि अमेरिका एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों में अपना समर्थन बढ़ाने के लिए उन्हें बीजिंग के विरुद्ध उकसा रहा है। यह मामला तब प्रमुख हो जाता है कि जब ताइवान पर हमले की योजना बनाते हुए चीनी सेना का एक आडियो लीक होने से सनसनी फैल गई थी। ऐसे में चीन के लिए अमेरिका के इस सांतवें बेड़े से खलबली मच गई है।

    क्‍या है अमेरिका का दावा

    उधर, अमेरिकी नौ सेना ने चीन को झूठा करार देते हुए कहा है कि अमेरिकी समुद्री अभियानों को गलत तरीके से चीन ने प्रस्तुत किया है। अमेरिकी नौ सेना के सातवें बेड़े ने एक बयान में कहा कि पीपल्स रिपब्लिक आफ चाइना (पीआरसी), वियतनाम, ताइवान, मलेशिया, ब्रुनेई और फिलीपींस हर कोई स्प्रैटली द्वीपों के कुछ या सभी हिस्सों पर अपनी संप्रभुता का दावा करते हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन के मुताबिक पीआरसी, वियतनाम और ताइवान को किसी सैन्य पोत के क्षेत्रीय समुद्र क्षेत्र से गुजरने से पहले या तो अनुमति या अग्रिम अधिसूचना की आवश्यकता होती है। अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक सीधे जाने वाले मार्ग के लिए किसी भी प्राधिकरण या अग्रिम-अधिसूचना एकतरफा अनुमति नहीं देता है। इसलिए अमेरिका ने इन आवश्यकताओं को चुनौती दी है। पूर्व सूचना दिए बिना या किसी दावेदार से अनुमति मांगे बिना सीधे मार्गों से जाने पर अमेरिका ने पीआरसी, ताइवान और वियतनाम द्वारा लगाए गए गैरकानूनी प्रतिबंधों को चुनौती दी है। अमेरिका ने कहा कि ऐसे मार्ग इस तरह के प्रतिबंधों के अधीन नहीं आते हैं।

    अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े की क्‍या है ताकत

    अमेरिकी नौसेना का सातवां बेड़ा का नाम आते ही दुश्‍मन की हालत पतली हो जाती है। अमेरिका का सातवां बेड़ा अमेरिकी नौसेना का सबसे बड़ा अग्रिम तैनाती वाला बेड़ा है। इस बेड़े में 50 से 70 जहाज और पनड़ब्बियां शामिल हैं। इस बेड़े में करीब 150 हवाई जहाज सम्‍मलित है। इसमें करीब बीस हजार नौसैनिक हर वक्‍त मुस्‍तैद रहते हैं। नौसेना की यह बड़ी और शक्तिशाली टीम समुद्री क्षेत्र में अमेरिकी हितों की रक्षा करती है। 75 वर्षों से अधिक यह सातवां बेड़ा भारतीय हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बनाए हुए है। इसकी सक्रियता पश्चिमी प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में है। सातवें बेड़े का कार्यक्षेत्र 124 मिलियन वर्ग किलोमीटर से अधिक है। यह भारत-पाकिस्‍तान के क्षेत्र मे फैला है। इसके संचालन क्षेत्र में 36 देश शामिल हैं। इसमें दुनिया की आधी आबादी शामिल है। 

    पिछले वर्ष सुर्खियों में आया US Navy 7th Fleet

    पिछले वर्ष अमेरिकी नौसेना का सातवां बेड़ा सुर्खियों में था। शीत युद्ध के दौरान भारत-पाकिस्‍तान युद्ध के दौरान इस बेड़े का नाम आया था। इस युद्ध में पूर्व सोवियत संघ भारत के साथ खड़ा था और अमेरिका ने भारत के खिलाफ अपने सातवें बेड़े की धौंस दिखाई थी। पिछले वर्ष यह सातवां बेड़ा भारतीय परिपेक्ष्‍य के चलते सुर्खियों में आया था। दरअसल, अमेरिका के सातवें बेड़े में शामिल नौसैनिक जहाज जान पाल जोन्‍स ने भारत के लक्ष्‍यद्वीप समूह के नजदीक 130 समुद्री मील पश्विम में भारत के विशिष्‍ठ आर्जिक जोन में अपने एक अभियान को अंजाम दिया था। खास बात यह है कि ऐसा करते समय अमेरिकी नौसेना ने भारत से इसकी इजाजत नहीं ली थी। इस पर भारत ने अपनी कड़ी आपत्ति जताई थी।