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महामारी का रूप ले रहा है वायु प्रदूषण, सालाना 88 लाख लोग असामयिक मौत का हो रहे शिकार

कार्डियोवस्कुलर रिसर्च जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया वायु प्रदूषण महामारी का सामना कर रही है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 07:26 PM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 07:26 PM (IST)
महामारी का रूप ले रहा है वायु प्रदूषण, सालाना 88 लाख लोग असामयिक मौत का हो रहे शिकार

बर्लिन, प्रेट्र। वायु प्रदूषण एक महामारी का रूप लेता जा रहा है। एक अध्ययन में दावा किया गया है कि यह दुनिया भर में लोगों की आयु औसतन तीन साल कम कर रहा है और सालाना 88 लाख लोग असामयिक मौत का शिकार हो रहे हैं।

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अध्ययन में शामिल जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के रसायन विज्ञान के शोधकर्ताओं ने पाया कि युद्ध और अन्य प्रकार की हिंसा, वेक्टर जनित बीमारियों जैसे कि मलेरिया, एड्स और धूमपान से जितना नुकसान लोगों को नहीं होता, उससे कहीं अधिक नुकसान वायु प्रदूषण से हो रहा है। कार्डियोवस्कुलर रिसर्च जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया वायु प्रदूषण 'महामारी' का सामना कर रही है।

मृत्यु दर पर वायु प्रदूषण के विभिन्न स्त्रोतों के प्रभाव को जानने की एक नई पद्धति का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि वैश्रि्वक स्तर पर वायु प्रदूषण वर्ष 2015 में 88 लाख लोगों की अकाल मृत्यु का कारण बना। यह दुनिया भर में सभी व्यक्तियों का जीवन लगभग तीन साल कम होने का प्रमाण है। शोधकर्ताओं ने बताया कि तुलनात्मक रूप से तंबाकू धूमपान से जीवन में जीवन प्रत्याशा में औसतन 2.2 वर्ष, एचआइवी / एड्स से 0.7 वर्ष तक कमी आती है। वहीं, मलेरिया जैसे रोग जो परजीवियों या कीड़ों जैसे मच्छरों आदि के काटने से होता है, से औसत आयु में करीब 0.6 साल और हिंसा के सभी प्रकार (युद्ध में मृत्यु सहित) 0.3 साल तक की कमी पाई गई।

वायु प्रदूषण से कई बीमारियां हुईं

शोधकर्ताओं ने पाया कि वायु प्रदूषण की वजह से श्र्वसन तंत्र संक्रमण, लंग कैंसर, हृदय रोग और अन्य गैर-संचारी रोग के लोग शिकार हुए।

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि अफ्रीका और दक्षिण एशिया जैसे कम आय वाले देशों में पांच साल से कम उम्र के बच्चे भी इससे प्रभावित हुए। वहीं, दुनिया भर में इससे सबसे ज्यादा प्रभावित वृद्ध लोग होते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, वैश्रि्वक स्तर पर वायु प्रदूषण की वजह से मरने वालों में 75 फीसद लोग 60 वर्ष से अधिक आयु के थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह पहला अध्ययन है जिसमें आयु, बीमारी के प्रकार और देशों और क्षेत्रों के स्तर पर वायु प्रदूषण के प्रभाव को आंकने की कोशिश की गई है।

मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर केमिस्ट्री के प्रोफेसर जोस लेलिवल्ड ने कहा, 'यह उल्लेखनीय है कि वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों की संख्या और औसत जीवन में आ रही कमी, तंबाकू धूमपान औरप अन्य वजहों से होने वाली मौतों से काफी अधिक है। दूसरे शब्दों में कहें तो इससे सबसे अधिक मृत्यु होती है। इसलिए दुनिया भर के देशों को इस बारे में सोचने की जरूरत है। शोधकर्ताओं ने कहा कि नीति-निर्माताओं और चिकित्सा समुदाय को इस पर अधिक ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण और धूमपान दोनों ही रोके जा सकते हैं, लेकिन पिछले दशकों में वायु प्रदूषण की ओर बहुत कम ध्यान दिया गया है। इसलिए जरूरी है कि लोगों के बीच इसके लिए जागरूकता फैलाई जाए।


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