एनर्जी के क्षेत्र में वैज्ञानिकों को बड़ी उपलब्धि, अब AI से मिलेगी असीमित स्वच्छ ऊर्जा
वैज्ञानिकों ने ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता प्राप्त की है। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के माध्यम से असीमित स्वच्छ ऊर्जा प्राप्त करने की दिशा ...और पढ़ें
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अब AI से मिलेगी असीमित स्वच्छ ऊर्जा। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। न्यूक्लियर फ्यूजन में विज्ञानियों को एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है, जिससे दुनिया असीमित स्वच्छ ऊर्जा हासिल करने की दिशा में और करीब पहुंच गई है।
ब्रिटेन और आस्ट्रिया के विज्ञानियों ने एक नया एआइ उपकरण गाइरोस्विन विकसित किया है, जो न्यूक्लियर रिएक्टर के अंदर अत्यधिक गर्म प्लाज्मा को सिमुलेट कर सकता है। यह उपकरण उन गणनाओं को कुछ ही सेकेंड में पूरा कर लेता है, जिन्हें दुनिया के सबसे शक्तिशाली सुपरकंप्यूटरों को भी पूरा करने में कई दिन लगते हैं।
अनिश्चित काल तक फ्यूजन बनाए रखने में मिलेगी मदद
समस्या यह है कि फ्यूजन रिएक्टरों में अत्यधिक गर्म प्लाज्मा टरबुलेंस नामक प्रक्रिया में उछलता रहता है। टरबुलेंस के कारण प्लाज्मा अपने चुंबकीय क्षेत्र से बाहर निकल जाता है, जिससे फ्यूजन प्रतिक्रिया की क्षमता कम हो जाती है। वर्तमान में फ्यूजन प्रतिक्रिया का रिकार्ड वेंडेलस्टीन 7-एक्स फ्यूजन उपकरण के पास है, जिसने 43 सेकेंड तक फ्यूजन बनाए रखा।
फ्यूजन प्रतिक्रिया को अनिश्चित काल तक जारी रखने के लिए, विज्ञानियों को विभिन्न परिस्थितियों में टरबुलेंस के निर्माण की अत्यंत सटीक सिमुलेशन की आवश्यकता होती है। गाइरोस्विन रिएक्टरों को अनिश्चित काल तक फ्यूजन बनाए रखने में मदद कर सकता है।
सूर्य की नकल करते हैं फ्यूजन रिएक्टर
न्यूक्लियर फ्यूजन में स्वच्छ ऊर्जा का लगभग अनंत स्रोत बनाने की क्षमता है। इसमें केवल दो प्रकार के हाइड्रोजन, ड्यूटेरियम व ट्रिटियम की आवश्यकता होती है, जबकि एकमात्र उप-उत्पाद हीलियम है। इसका मतलब है कि इससे न तो लंबे समय तक रहने वाले रेडियोधर्मी कचरे के ढेर बनेंगे और न ही ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होगा जिससे पृथ्वी को नुकसान पहुंचे।
फ्यूजन रिएक्टर सूर्य के केंद्र में होने वाली प्रक्रियाओं की नकल करते हैं, जहां हाइड्रोजन परमाणु आपस में टकराकर हीलियम में परिवर्तित होते हैं। हालांकि, पृथ्वी पर एक लघु तारा बनाने के लिए
प्लाज्मा को लगभग 10 करोड़ सेंटीग्रेड तक गर्म करना और फ्यूजन के लिए इसे पर्याप्त गर्म और सघन बनाए रखना आवश्यक है। चूंकि कोई भी पदार्थ इतने अधिक तापमान को सहन नहीं कर सकता, इसलिए विज्ञानी टोकामाक नामक अंगूठी के आकार के उपकरण का उपयोग करके प्लाज्मा को चुंबकीय पिंजरे में फंसा लेते हैं।
हालांकि, प्लाज्मा अशांत होने के कारण समय के साथ पिंजरे से बाहर निकलने लगता है। गाइरोस्विन के सिमुलेशन की मदद से, इंजीनियर इन चुंबकीय क्षेत्रों को सटीक रूप से समायोजित करके एक स्थिर फ्यूजन प्रतिक्रिया उत्पन्न कर सकेंगे।
दिनों में नहीं, सेकेंडों में होगी गणना
वर्तमान में सर्वोत्तम सिमुलेशन प्लाज्मा के कणों को सुपरकंप्यूटरों पर पांच आयामों में ट्रैक करते हैं, लेकिन इन सिमुलेशन को पूरा होने में कई दिन लगते हैं। गाइरोस्विन सिमुलेशन के परिणाम के बारे में दिनों के बजाय सेकेंडों में बता सकता है। विज्ञानियों ने कहा कि इस प्रकार के 'एआइ सरोगेट माडल' नए नहीं हैं, लेकिन गाइरोस्विन की सबसे रोमांचक बात इसकी सटीकता है।
यह पहला माडल है जो वास्तव में प्लाज्मा टरबुलेंस पर माडल करता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि माडल पहले से ही प्लाज्मा टरबुलेंस की अंतर्निहित भौतिकी को समझने के संकेत दिखाने लगा है। हालांकि गाइरोस्विन को अपने प्रशिक्षण में सुधार जारी रखने के लिए कुछ पारंपरिक सिमुलेशन की आवश्यकता होगी। इसके बाद यह कार्यशील परमाणु रिएक्टरों के उत्पादन में तेजी ला सकता है जिससे असीमित स्वच्छ ऊर्जा प्राप्त हो सकेगी। (सोर्स- जागरण रिसर्च)

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