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S-400 and TU-160: भारतीय वायु सेना में शामिल होगा रूस का खतरनाक बाम्‍बर जेट TU-160, दुश्‍मन खेमे में बेचैनी, जानें- खूब‍ियां

S-400 and TU-160 रूस S-400 के सेना में शामिल होने के बाद भारतीय वायु सेना अब रूस से महाविनाशक खतरनाक बाम्‍बर जेट खरीदने जा रही है। आखिर वायु सेना को इसकी जरूरत क्‍यों पड़ी। इसका नाम सुनते ही पाकिस्‍तान और चीन की बेचैनी क्‍यों बढ़ गई है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 10 Aug 2022 09:17 AM (IST)Updated: Wed, 10 Aug 2022 07:55 PM (IST)
S-400 and TU-160: भारतीय वायु सेना में शामिल होगा रूस का खतरनाक बाम्‍बर जेट TU-160, दुश्‍मन खेमे में बेचैनी, जानें- खूब‍ियां
S-400 and TU-160: एस-400 के बाद भारतीय वायु सेना में शामिल होगा खतरनाक बाम्‍बर जेट TU-160। एजेंसी।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Russian Bomber Jet TU-160: रूस के ड‍िफेंस मिसाइल सिस्‍टम एस-400 के सेना में शामिल होने के बाद भारतीय वायु सेना अब रूस से महाविनाशक खतरनाक बाम्‍बर जेटर खरीदने जा रही है। खास बात यह है कि यह चर्चा ऐसे समय हो रही है जब, यूक्रेन जंग और रूसी एस-400 डिफेंस सिस्‍टम को लेकर नई दिल्‍ली और वाशिंगटन के बीच रिश्‍तों में तल्‍खी आई है। एस-400 को लेकर अमेरिका में कई बार भारत के ऊपर प्रतिबंधों की बात उठ चुकी है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या इस रक्षा सौदे से भारत और अमेरिका के बीच रिश्‍तों में तनाव पैदा होगा। इसके साथ यह भी जानेंगे कि इस महाविनाशक जेट विमान की क्‍या खासियत है। भारतीय वायु सेना को इसकी जरूरत क्‍यों पड़ी। इस विमान का नाम सुनते ही पाकिस्‍तान और चीन की बेचैनी क्‍यों बढ़ गई है।

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1- भारत वायु सेना के पास अभी तक कोई भी बाम्‍बर जेट नहीं है और अगर ये जेट देश को मिलता है तो ये सबसे पहला होगा। टीयू-160 बाम्‍बर जेट एक हाइपरसोनिक ग्‍लाइड वेपन है। इसे टोपलोव टीयू-160 कहा जाता है। नाटो ने इसे ब्‍लैक जेक नाम दिया है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक ये एक सुपरसोनिक जेट है जिसे सन् 1970 यानी सोवियत संघ के समय डिजाइन किया गया था। वर्ष 1987 में यह बाम्‍बर जेट सेवा में आया। यह खासतौर पर सोवियत संघ के लिए डिजाइन किया गया था। टीयू-160 के पूरे बेड़े को कई बार अपग्रेड किया गया है। वर्ष 2000 से इस जेट में कई तरह के इलेक्‍ट्रानिक सिस्‍टम इंस्‍टाल किए जा रहे हैं। 2014 में अपग्रेडेड एयरक्राफ्ट की पहली डिलीवरी की गई थी।

2- दरअसल, किसी देश की वायु सेना में बाम्‍बर वह एयरक्राफ्ट होते हैं, जो दुश्‍मन के इलाके में चुपचाप बम गिरा  करके वापस आ जाता है। मसलन इसके शामिल होने से कश्‍मीर में बालाकोट जैसी एयरस्‍ट्राइक करने में आसानी हो सकेगी। यह बाम्बर जेट 40,026 फीट की ऊंचाई पर अधिकतम 2220 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से उड़ान भर सकते हैं। एक बार में यह जेट 12,300 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है। इस जेट को 960 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ाया जा सकता है।

3- इस बाम्‍बर एयरक्राफ्ट का वजन 1.10 लाख किलोग्राम है। इसकी ऊंचाई 43 फीट है। 177.6 फीट लंबे इसे बाम्‍बर जेट का विंगस्पैन 182.9 फीट हैं। विमान के टेकआफ करते समय इसका वजन 2.75 लाख किलोग्राम तक पहुंच जाता है। इस बाम्‍बर जेट को चार वायुसैनिकों का क्रू उड़ाता है। एक पायलट, एक को-पायलट, एक बमबॉर्डियर और एक डिफेंसिव सिस्टम ऑफिसर के साथ ये जेट टेकआफ करता है। युद्ध के समय इसकी काम्बैट रेंज 2000 किमी होती है, जिसे सबसोनिक गति में बढ़ाकर 7300 किलोमीटर किया जा सकता है। यह अधिकतम 52 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है।

दुनिया का सबसे एडवांस्‍ड बाम्‍बर जेट

सीमा पर तनाव को देखते हुए भारतीय वायुसेना रूस के साथ एक बड़ा रक्षा सौदा करने की तैयारी में है। रूस में इस महाविनाशक बाम्‍बर जेट को टीयू-160 के नाम से जाता है। इसे रूसी वायु सेना में 'सफेद हंस' भी कहा जाता है। ये जेट दुनिया का सबसे एडवांस्‍ड बाम्‍बर जेट है। जंग के मैदान में इसे देख दुश्‍मन के पीसने छूट जाते है। इसे हासिल करने का मतलब वायुसेना की ताकत को दोगुना बढ़ाना है। रूस के साथ एस-400 और हाइपरसोनिक वेपन टेक्‍नोलाजी की डील के बाद इस रक्षा सौदे से दोनों देश और नजदीक आए हैं। अभी तक हालांकि दोनों देशों की तरफ से इस पर कुछ भी नहीं कहा गया है।

 

1960 फीट पर 30 मिनट तक हवा में भरी उड़ान

Tu-160 के अपग्रेडेड वेरिएंट को पहले Tu-160M2 के रूप में जाना जाता था। हालांकि, अब इसे Tu-160M का नाम दिया गया है। यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कारपोरेशन (यूएसी) का दावा है कि इस विमान के 80 फीसद सिस्टम को अपग्रेड किया जा चुका है। यूएसी के जनरल डायरेक्टर यूरी स्लीसार ने बताया कि टीयू -160 विमानन उद्योग में सबसे बड़ी और सबसे उच्च तकनीक वाली परियोजनाओं में से एक है। यूएसी ने बताया कि नया टीयू-160एम 1960 फीट से अधिक की ऊंचाई पर उड़ाया गया और लगभग 30 मिनट तक हवा में रहा। टुपोलेव पीजेएससी के टेस्ट पायलटों ने हवा में विमान की स्थिरता और नियंत्रण की जांच की। यह विमान आधुनिक एवियॉनिक्स, रडार और कम्यूनिकेशन सिस्टम के साथ लैस है। इतना ही नहीं, यह बॉम्बर न सिर्फ बम बल्कि मिसाइलों को भी लंबी दूरी तक दागने में सक्षम है।


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