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'अफगानिस्तान महिलाओं के लिए सबसे दमनकारी देश', संयुक्त राष्ट्र ने कहा- मूलभूत अधिकारों से भी किया गया वंचित

अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर एक बयान जारी कर कहा कि नए तालिबान नेताओं के शासन में उन्होंने महिलाओं पर ऐसे-ऐसे कानून जबरदस्ती थोपे हैं जिससे वह घरों में कैद हो कर रह गई हैं।

By AgencyEdited By: Anurag GuptaThu, 09 Mar 2023 11:03 PM (IST)
'अफगानिस्तान महिलाओं के लिए सबसे दमनकारी देश', संयुक्त राष्ट्र ने कहा- मूलभूत अधिकारों से भी किया गया वंचित
'अफगानिस्तान महिलाओं के लिए सबसे दमनकारी देश', संयुक्त राष्ट्र ने कहा- मूलभूत अधिकारों से भी किया गया वंचित

काबुल, एएनआई। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से यह महिलाओं और लड़कियों के लिए विश्व का सबसे दमनकारी देश बन गया है। महिलाओं को यहां उनके मूलभूत अधिकारों तक से वंचित कर दिया गया है। यह सभी अपने घरों में कैद होकर रह गई हैं।

अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर एक बयान जारी कर कहा कि नए तालिबान नेताओं के शासन में उन्होंने महिलाओं पर ऐसे-ऐसे कानून जबरदस्ती थोपे हैं जिससे वह घरों में कैद हो कर रह गई हैं। अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र अभियान की प्रमुख और संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि रोजा इसाकोवना ने अफगानी महिलाओं पर थोपे गए तालिबानी फरमानों का कड़ा विरोध किया है।

महिला अधिकारों के लिए दुनिया का सबसे दमनकारी देश बना अफगानिस्तान

उन्होंने सुरक्षा परिषद को बताया कि तालिबानी शासन के तहत अफगानिस्तान महिला अधिकारों के लिए दुनिया का सबसे दमनकारी देश बन चुका है। वह चरणबद्ध तरीके से जानबूझकर महिलाओं को पूरी तरह से सार्वजनिक दायरे से बाहर करते जा रहे हैं।

रोजा इसाकोवना ने कहा कि तालिबान ने महिलाओं के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने से रोक दिया है। साथ ही उन्हें सिर से पांव तक खुद को ढंक कर रखने को कहा है। महिलाओं को अपने घर के बाहर निकलने की मनाही है और वह किसी भी सार्वजनिक फैसले में हिस्सा नहीं ले सकती हैं। तालिबानी शासन के इस रवैये से यह देश और अलग-थलग पड़ता जाएगा और विश्व के अन्य भाग से कट जाएगा।

महिला रोजगार में 25 फीसदी की गिरावट

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, अफगानिस्तान में पिछले साल के अंतिम तिमाही में महिला रोजगार में 25 प्रतिशत की गिरावट आ गई थी, चूंकि तालिबान ने उन पर काम करने और यात्रा करने को लेकर कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं। अफगानी महिलाओं पर शिक्षा ग्रहण करने और एनजीओ के कार्य करने पर भी प्रतिबंध है।

विश्वविद्यालय की शिक्षा पर प्रतिबंध को लेकर तालिबान सरकार का कहना है कि कुछ विषय अफगान और इस्लामी मूल्यों के खिलाफ हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 1.16 करोड़ अफगान महिलाओं और लड़कियों को मानवीय सहायता की जरूरत है।