Islamic banking system: अफगान केंद्रीय बैंक लागू करेगा इस्लामिक बैंकिंग प्रणाली जानिये पूरी खबर
अफगान बैंकिंग प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण गंभीर संकटों का सामना करना पड़ रहा है। साबिर ने कहा कि इस्लामिक बैंकिंग सिस्टम को तैयार करने में लंबा समय लगेगा। तालिबान द्वारा सत्ता कब्जाने के बाद से अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था की गाड़ी रुकी हुई है।

काबुल, आइएएनएस। अफगानिस्तान का केंद्रीय बैंक 'इस्लामिक बैंकिग सिस्टम' लागू करने की योजना बना रहा है। टोलो न्यूज के मुताबिक द अफगानिस्तान बैंक के प्रवक्ता साबिर मोहम्मद ने यह जानकारी दी है। हालांकि साबिर ने इस बारे में अभी तक कोई विस्तृत जानकारी साझा नहीं की है। साबिर ने कहा कि इस्लामिक बैंकिंग सिस्टम को तैयार करने में लंबा समय लगेगा। उन्होंने कहा कि यह कई देशों में लागू हो रहा है और अफगानिस्तान में भी धीरे-धीरे लागू किया जाएगा। विश्लेषकों का मानना है कि वर्तमान बैकिंग प्रणाली में बदलाव करने पर कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। गौरतलब है कि, पिछले साल अगस्त में तालिबान द्वारा सत्ता कब्जाने के बाद से अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था की गाड़ी रुकी हुई है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का अफगान बैंकिंग प्रणाली पर बुरा असर
अफगान बैंकिंग प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण गंभीर संकटों का सामना करना पड़ रहा है। अफगानिस्तान विदेश से पैसा ट्रांसफर करने में असमर्थ है। जिसके कारण एक हजार अफगान शरणार्थी लौटे घर। समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार, अफगानिस्तान में तालिबान शासन कायम होने के दौरान देश छोड़कर पड़ोसी देशों में शरण लिए अफगान नागरिक स्वदेश लौटने लगे हैं। शनिवार को पाकिस्तान और ईरान से 1094 नागरिक और अपने घर लौट आए। अगस्त, 2021 के बाद से अब तक कुल 6,53,000 शरणार्थियों की घर वापसी हो चुकी है।
क्या है इस्लामिक बैंकिंग सिस्टम ?
इस्लामिक बैंकिंग इस्लामिक आस्था के सिद्धांतों पर आधारित एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें सारे लेनदेन इस्लाम में बताये गए नियमों के आधार पर किये जाते है। इस्लामी बैंकिंग के सिद्धांत इस्लाम के केंद्रीय धार्मिक पाठ कुरान से प्राप्त हुए हैं। इस्लामिक बैंकिंग में, सभी लेन-देन को कुरान की शिक्षाओं के आधार पर इस्लाम के कानून शरिया का पालन करना होता है। इस्लामी बैंकिंग में वाणिज्यिक लेनदेन को नियंत्रित करने वाले नियमों को फिकह-अल-मुमालत कहा जाता है।
इस्लामिक बैंकिंग को नियंत्रित करने वाले सिद्धांत पार्टियों के बीच पारस्परिक जोखिम और लाभ को साझा करना है। सभी के लिए निष्पक्षता का आश्वासन और लेनदेन एक व्यावसायिक गतिविधि या संपत्ति पर आधारित हैं।
सऊदी अरब, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, कतर और तुर्की ने अंतरराष्ट्रीय इस्लामी बैंकिंग संपत्ति का 87% से अधिक का प्रतिनिधित्व कर रखा है। वही सऊदी अरब स्थित अल राजी बैंक दुनिया के सबसे बड़े इस्लामिक बैंकों की रैंकिंग में सबसे ऊपर है, जिसकी कुल संपत्ति 2020 में 22% बढ़कर 125 बिलियन डॉलर हो गई है।
विश्व बैंक के अनुसार अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति
विश्व बैंक का कहना है कि पिछले अगस्त के राजनीतिक संकट के बाद अफगान अर्थव्यवस्था का अलगाव, पिछले दो दशकों में हासिल किए गए विकास लाभ को मिटा देता है, जिससे अफगानिस्तान दुनिया के लिए गंभीर गरीबी, विस्थापन, नाजुकता और चरमपंथ का खतरा पैदा कर रहा है। जिसके कारण वर्तमान परिस्थितियों में, अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए दृष्टिकोण गंभीर है। मानवीय जरूरतों और बुनियादी सेवाओं के लिए भी अफगानिस्तान आर्थिक तंगी का माहौल है।
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