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    अब्दुल्ला अब्दुल्ला और हामिद करजई ने तालिबान कार्यवाहक गवर्नर से मुलाकात की, नागरिकों के जीवन, संपत्ति और सम्मान की रक्षा पर हुई चर्चा

    By Avinash RaiEdited By:
    Updated: Sat, 21 Aug 2021 06:32 PM (IST)

    अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने हालत दिनों दिन खराब होते जा रहे है। इस बीच अफगान सरकार के एक वरिष्ठ नेता अब्दुल्ला अब्दुल्ला और अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने शनिवार को काबुल के तथाकथित कार्यवाहक तालिबान गवर्नर अब्दुल रहमान मंसूर से मुलाकात की।

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    अब्दुल्ला अब्दुल्ला, हामिद करजई ने तालिबान कार्यवाहक गवर्नर से मुलाकात की

    काबुल, एएनआइ। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने से हालत दिनों दिन खराब होते जा रहे है। इस बीच अफगान सरकार के एक वरिष्ठ नेता अब्दुल्ला अब्दुल्ला और अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने शनिवार को काबुल के 'तथाकथित' कार्यवाहक तालिबान गवर्नर अब्दुल रहमान मंसूर से मुलाकात की। उन्होंने काबुल के नागरिकों के जीवन, संपत्ति और सम्मान की रक्षा की प्राथमिकता पर चर्चा की।

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    अब्दुल्ला अब्दुल्ला के कार्यालय के एक बयान के अनुसार मुलाकात में, अब्दुल्ला ने काबुल के आम नागरिकों का मसला उठाया। उन्होंने तालिबान के काबुल गवर्नर से कहा कि काबुल में सामान्य स्थिति में लौटने के लिए यह जरूरी है कि नागरिक सुरक्षित महसूस करें। अब्दुल्ला के कार्यालय ने कहा कि कार्यवाहक तालिबान गवर्नर ने 'काबुल के लोगों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करने' का वादा किया हैं।

    अफगानिस्तान का इतिहास अपने सबसे खराब संकट का सामना कर रहा है क्योंकि तालिबान के नियंत्रण ने लोगों डरा दिया है। लोग उनके अत्याचारों के डर से देश से भागने के लिए मजबूर हो रहे है। देश में कई सालों से गृहयुद्ध चल रहा है और तालिबान के काबुल के अधिग्रहण ने संकट को और भी बढ़ा दिया है।

    देश से भागने के लिए अफगानी काबुल हवाईअड्डे पर जमा हो गए, जिसे तालिबानी आतंकवादियों ने कथित तौर पर बल प्रयोग कर लोगों को हवाईअड्डे में प्रवेश करने से रोका। हाल के दिनों में तालिबान की हिंसा की कई खबरें सामने आई हैं। यह खबरें तब आ रही हैं जब तालिबान ने सुधार और महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करने की कसम खाई है।

    एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 20 साल बाद अफगानिस्तान पर अपना अधिकार वापस आने के बाद तालिबान दुनिया को यह दिखाना चाहता है कि वह अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध तोड़ देंगे और उन्हें दुनिया की मान्यता और अनुमोदन की जरूरत है।