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    Afghanistan: हर साल कैंसर से पीड़ित होते हैं 23 हजार अफगान, 16000 की हो जाती है मौत

    By Jagran NewsEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Wed, 25 Jan 2023 01:15 PM (IST)

    Afghanistan News अफगानिस्तान में कैंसर के मामलों की संख्या पिछले साल की तुलना में बढ़ रही है। रिपोर्ट किए गए अधिकांश मामले स्तन कैंसर के थे। तालिबान के प्रवक्ता शराफत जमान ने कहा कि मुख्य रूप से पुरुषों को गले का कैंसर था। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

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    Cancer cases in Afghanistan Afghans in hospitals

    काबुल, एजेंसी। Cancer cases in Afghanistan: अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय (एमओपीएच) ने कहा है कि हर साल 23 हजार अफगानों को कैंसर की बीमारी होने का पता चलता है। वहीं, लगभग 16 हजार लोग इस बीमारी से मर जाते हैं। अफगानिस्तान की समाचार एजेंसी खामा प्रेस को कैंसर नियंत्रण केंद्र के एक वरिष्ठ डॉक्टर सिद्दीक हाशिमी ने बताया कि वर्तमान में अफगानिस्तान के काबुल, हेरात और बल्ख प्रांतों में तीन कैंसर उपचार सुविधाएं मौजूद हैं। काबुल में जम्हूरियत अस्पताल 60 बिस्तरों वाला एकमात्र कैंसर उपचार केंद्र है। वहीं, हेरात और बल्ख कैंसर उपचार केंद्रों में 15-15 बिस्तर हैं।

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    स्तन कैंसर के हैं अधिकांश मामले

    अधिकारियों के मुताबिक, अफगानिस्तान में कैंसर के मामलों की संख्या पिछले साल की तुलना में बढ़ रही है। रिपोर्ट किए गए अधिकांश मामले स्तन कैंसर के थे। तालिबान के प्रवक्ता शराफत जमान ने कहा कि मुख्य रूप से पुरुषों को गले का कैंसर था और इसका कारण रसायनों का इस्तेमाल, लंबी लड़ाई और देश में विभिन्न हथियारों का इस्तेमाल था।

    सुविधाओं की कमी

    साल 2018 में अफगानिस्तान में कैंसर रोगियों के इलाज के लिए अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने अफगानिस्तान में कैंसर के देखभाल की जरूरतों की समीक्षा की थी। खामा प्रेस के अनुसार, IAEA के मिशन ने पाया कि सुरक्षा की कमी के बीच, देश में कैंसर के मामलों के निदान और उपचार के लिए स्वास्थ्य देखभाल और सुविधाओं की कमी है।

    चिकित्सा कर्मियों की है कमी

    IAEA ने कहा कि कैंसर के मामलों का पता लगाने ​​और उपचार उपकरण भी देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं। कैंसर के रोगियों की देखभाल के लिए रोग विज्ञानी, रेडियोलॉजिस्ट, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, चिकित्सा भौतिक विज्ञानी और तकनीशियन जैसे योग्य चिकित्सा कर्मियों की कमी है। ऐसे में अधिकांश कैंसर रोगी या तो मर जाते हैं या आसपास के देशों में इलाज करवाते हैं।

    महिला डॉक्टर नहीं

    अफगानिस्तान के घोर प्रांत के स्थानीय निवासियों ने हाल ही में चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर तालिबान के नेतृत्व वाला स्वास्थ्य मंत्रालय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में चल रहे संकट की अनदेखी करता रहा, तो मरीजों की मौत हो जाएगी। खामा प्रेस ने स्थानीय सूत्रों के हवाले से बताया कि महिलाओं के काम करने पर तालिबान के प्रतिबंध के कारण पहले से स्थिति और खराब हो गई है। दरअसल, मरीजों की देखभाल करने वाली कोई महिला डॉक्टर नहीं है।

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