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    रूस और अमेरिका के बीच वार्ता सऊदी अरब में ही क्यों, मतभेद के बावजूद ट्रंप ने इसे क्यों चुना?

    रूस और अमेरिका के बीच बेहद अहम बैठक सऊदी अरब में हो रही है। मगर सवाल उठ रहा है कि वार्ता के लिए सऊदी अरब को ही क्यों चुना गया? इसके कई कारण है। डोनाल्ड ट्रंप के सऊदी अरब से मजबूत व्यापारिक रिश्ते हैं तो वहीं बिन सलमान पुतिन के भी करीबी हैं। अपनी छवि बदलने में जुटे सऊदी अरब की अपनी महत्वाकांक्षा है।

    By Ajay Kumar Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 18 Feb 2025 05:47 PM (IST)
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    सऊदी अरब में अमेरिका और रूस के बीच वार्ता। ( फाइल फोटो )

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका और रूस के बीच वार्ता सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हो रही है। गाजा पर ट्रंप के कब्जे वाले प्लान के खिलाफ सऊदी अरब खुलकर उतर चुका है। उसने साफ कर दिया है कि गाजा से फलस्तीनियों को हटाने की हर कोशिश का विरोध करेंगे। मगर सवाल यह है कि इतने मतभेद के बावजूद डोनाल्ड ट्रंप ने वार्ता के लिए सऊदी अरब को ही क्यों चुना?

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    तटस्थ रुख एक वजह

    जो बाइडन के कार्यकाल में सऊदी अरब ने प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सहयोगी के तौर पर अपनी निर्भरता को अमेरिका से काफी कम किया। अधिकांश वैश्विक मामलों में सऊदी अरब ने तटस्थ रुख अपनाया। चीन और रूस जैसे देशों से नजदीकी भी बढ़ाई। डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने पर सऊदी ने खुले तौर पर स्वागत किया। इस तटस्थ रूख की वजह से रूस को भी सऊदी अरब में बैठक आयोजित करने पर कोई आपत्ति नहीं थी।

    छवि को बदलना चाहता है सऊदी अरब

    पिछले कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच समझौता करवा चुके हैं। अब वह अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर सऊदी अरब और इजरायल के बीच शांति समझौता करवाना चाहते हैं। वार्ता के लिए सऊदी अरब को चुनने के पीछे एक यह भी वजह मानी जा रही है। अगर रूस-अमेरिका वार्ता से कोई हल निकलता है तो इसका श्रेय सऊदी अरब को भी जाएगा। सऊदी अरब पिछले कई साल से अपनी छवि को बदलने में जुटा है।

    सऊदी अरब रूस और यूक्रेन के लिए अनुकूल

    क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने सोमवार को कहा कि यूक्रेन शांति वार्ता के लिए सऊदी अरब को इसलिए चुना गया है, क्योंकि यह रूस और अमेरिका दोनों के लिए अनुकूल जगह है। पुतिन से बातचीत के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने ही यह विचार रखा था। सऊदी अरब में हो रही वार्ता ट्रंप और पुतिन की मुलाकात का मार्ग प्रशस्त करेगा।

    ट्रंप और पुतिन के करीबी क्राउन प्रिंस

    सउदी अरब के क्राउन प्रिस मोहम्मद बिन सलमान के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बेहद अच्छे संबंध हैं। यही वजह है ट्रंप के प्रस्ताव पर पुतिन ने कोई आपत्ति नहीं जताई।

    व्यापारिक संबंध

    सऊदी अरब के अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंध भी एक वजह हैं। सऊदी अरब के क्राउन प्रिस मोहम्मद बिन सलमान ने चार वर्षों में अमेरिका में 600 बिलियन डॉलर के निवेश का वादा किया है।

    डोनाल्ड ट्रंप का सऊदी अरब प्रेम

    डोनाल्ड ट्रंप का सऊदी अरब से खास लगाव है। वे समय-समय पर इसको जाहिर करते हैं। ट्रंप अपने पहले कार्यकाल में अपनी पहली विदेश यात्रा में सऊदी अरब गए थे। दूसरी बार राष्ट्रपति संभालने के बाद उन्होंने पहली कॉल सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सलमान को की थी

    ट्रंप के साथ सऊदी के व्यापारिक रिश्ते

    2020 में डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। हार के बावजूद सऊदी अरब ने ट्रंप से अपने मजबूत व्यापारिक संबंध बनाए रखे। सऊदी ने ट्रंप के दामाद जेरेड कुशनर की कंपनी में 2 बिलियन डॉलर का निवेश किया। अपने देश में ट्रंप टावर बनाने का एलान भी किया।

    मध्यस्थ बनना चाहता है सऊदी

    सऊदी अरब का कहना है कि वह मेजबान से आगे बढ़कर वार्ता में मध्यस्था की भूमिका की उम्मीद करता है। पत्रकार खगोशी की हत्या के बाद सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस को वैश्विक रूप से अलग-थलग करने की कोशिश की गई। मगर उस वक्त ट्रंप और पुतिन दोनों ने बिन सलमान का समर्थन किया था।

    रूस और यूक्रेन से संतुलित रिश्ते

    अगस्त 2023 में सऊदी अरब ने 40 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों के साथ यूक्रेन पर दो दिवसीय शांति शिखर सम्मेलन का आयोजन किया था। इसी साल यूक्रेन को 400 मिलियन डॉलर की सहायता देने का वादा किया था। मगर रूस से भी मधुर संबंध बनाए रखे। प्रिंस बिन सलमान ने युद्ध की वजह से रूस को अलग-थलग करने के पश्चिमी दबाव का विरोध भी किया था।

    वार्ता का उद्देश्य क्या है?

    सऊदी अरब में हो रही वार्ता का उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों को बहाल करना और यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए शांति वार्ता की जमीन तैयार करना है। रूस का कहना है कि यह बैठक ट्रंप और पुतिन के बीच मुलाकात का आधार बन सकती है। हालांकि बैठक से यूक्रेन और यूरोपीय देशों को अलग रखा गया है।

    बैठक में कौन-कौन?

    अमेरिका की तरफ विदेश मंत्री मार्को रुबियो, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज और स्टीव विटकॉफ वार्ता में शामिल हैं। रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव कर रहे हैं। पुतिन के विदेशी सलाहकार यूरी उशाकोव भी मीटिंग का हिस्सा हैं।

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