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    मोसाद का टॉप जासूस... 60 साल बाद भी शव क्यों ढूंढ रहा इजरायल? जानिए पूरी कहानी

    Eli Cohen इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद दुनिया की सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसियों में से एक है और इसके एजेंट दुनिया में कई खतरनाक ऑपरेशनों को अंजाम दे चुके हैं। ऐसे ही एक जासूस थे एली कोहेन जो कि इजरायल के सबसे प्रसिद्ध जासूसों में एक है। उनके जीवन पर कई फिल्में और वेब सीरीज तक बन चुकी हैं लेकिन इजरायल आज भी उनका शव ढूंढ रहा है।

    By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 05 Jan 2025 07:58 PM (IST)
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    कोहेन को इजरायल के सबसे प्रसिद्ध जासूसों में से एक माना जाता है।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजरायल के जासूस दुनियाभर में कई खतरनाक ऑपरेशन चला चुके हैं और इजरायल भी उनकी अहमियत समझता है, इसलिए उसकी नीति है कि चाहे जीवित हों या मृत, वह अपने सैनिकों या जासूसों को वापस लाने का हर संभव प्रयास करता है। लेकिन इजरायल आज तक अपने सबसे प्रसिद्ध जासूसों में एक का शव ही वापस नहीं ला पाया है और यह बात वह आज तक भूला नहीं है।

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    इसलिए, उस जासूस की मृत्यु के 60 साल बाद भी इजरायली सरकार उनका शव वापस लाने का प्रयास कर रही है। एक बार फिर इजरायल ने यह प्रयास तेज कर दिए हैं। इस जासूस का नाम है एली कोहेन, जो कि इजरायल के सबसे प्रसिद्ध जासूसों में से एक हैं। इनके जीवन पर कई किताबें लिखी गई हैं और कई फिल्में और वेब सीरीज भी बनाई गई हैं।

    कौन हैं एली कोहेन?

    कोहेन मूल रूप से मिस्त्र के रहने वाले थे। उनका जन्म 1924 में मिस्र के अलेक्जेंड्रिया में मिस्र के यहूदियों के परिवार में हुआ था। हालांकि, 1948 में इजरायल की स्थापना के बाद उनका परिवार यहीं आकर बस गया था। कोहेन 1957 में इजरायल आ गए। इस बीच उन्होंने इजरायली खुफिया सर्विस के लिए काम किया था। 1960 के दशक की शुरुआत में उन्हें मोसाद में भर्ती किया गया।

    कोहेन कई भाषाओं के जानकार थे, ऐसे में मोसाद ने उनका उपयोग एक बेहद ही गुप्त और महत्वपूर्ण मिशन के लिए किया। मोसाद ने कोहेन को सीरिया में जासूस बनाकर भेजने का प्लान बनाया। इसके लिए बकायदा कोहेन की नई पहचान तैयार की गई। वह कामेल अमीन थाबेट बन गए, जो कि एक सीरियाई व्यवसायी था और उसका परिवार अर्जेंटीना में आकर बस गया था।

    1962 में पहुंचे सीरिया

    इसके लिए कोहेन अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स चले गए और वहां पर अरब और सीरियाई प्रवासियों के बीच संपर्क बनाया। उन लोगों का विश्वास जीता और अपनी पहुंच बनाई। 1962 में कोहेन खुद सीरिया चले गए। वह सीरिया की राजधानी दमिश्क में आकर रहने लगे। उन्होंने जल्द ही सीरिया के एलीट समाज में पहचान बनाई और जल्द ही वहां के प्रभावशाली लोगों के बीच प्रसिद्ध हो गए।

    उन्होंने सीरिया में राजनीतिक और सैन्य हस्तियों की मौजूदगी वाली भव्य पार्टियों की मेज़बानी की। इनकी मदद से उन्होंने बहुमूल्य खुफिया जानकारी हासिल की। गोलान हाइट्स में सीरियाई किलेबंदी के बारे में भी कई महत्वपूर्ण जानकारियां इजरायल तक उन्होंने पहुंचाई, जिसका इजरायल को बाद में हुए युद्ध में काफी फायदा मिला था।

    पकड़ी गई जासूसी

    हालांकि, कोहेन का जासूसी मिशन कुछ सालों तक ही चल पाया और 1965 में वह पकड़े गए। दरअसल, सोवियत संघ की मदद से सीरियाई खुफिया एजेंसी ने उनके गुप्त रेडियो प्रसारण की पहचान की कर ली, जिसके माध्यम से वह इजरायल को संदेश भेजते थे। 24 जनवरी, 1965 को सीरियाई अधिकारियों ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया। उन पर मुकदमा चलाया गया और जासूसी का दोषी ठहराया गया।

    नहीं मिला शव

    उन्हें क्षमा याचना दिलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रयास किए गए, लेकिन सीरियाई सरकार नहीं मानी और 18 मई 1965 को उन्हें सीरिया में सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया गया। उनका शव किसी अज्ञात स्थान पर छिपा दिया गया। तब से लेकर आज तक इजरायल उनका शव वापस लाने की कोशिश में जुटा है, लेकिन उसे सफलता हाथ नहीं लगी है। सीरिया ने कई बार उनके शव को एक जगह से दूसरे ठिकाने पर शिफ्ट किया, जिससे इजरायल उसका पता न लगा सके।

    इजरायल ने कई बार सीरिया से उनके शव के बदले कैदियों को रिहा करने का प्रस्ताव भी रखा, लेकिन सीरिया नहीं माना। हालांकि, अब सीरिया में असद शासन के अंत के बाद नई सरकार के सत्ता में काबिज होने पर फिर से कोहेन के शव को वापस लाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। इजरायली मीडिया नें छपी रिपोर्ट्स के अनुसार मोसाद के निदेशक डेविड बार्निया सहित इजरायली अधिकारी सीधे असद सरकार के पूर्व सदस्यों के साथ उनके शव को वापस लाने के लिए बातचीत कर रहे हैं। कथित तौर पर इन चर्चाओं में रूस मध्यस्थता कर रहा है।