एर्दोगन दूसरी बार बने तुर्की के राष्ट्रपति, नए राष्ट्रपति के पास होंगे पहले से ज्यादा अधिकार
अप्रैल 2017 में तुर्की में नए संविधान का गठन किया गया था और उसके बाद ये पहला चुनाव है जहां बिना किसी प्रधानमंत्री के अर्दोगान राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं।
इस्तांबुल, एएफपी। रेसेप तैयप एर्दोगन ने तुर्की की सत्ता पर 15 वर्षो से जारी अपनी पकड़ को और मजबूत करते हुए फिर से राष्ट्रपति का चुनाव जीत लिया है। वे अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी मुहर्रम इंस को भारी अंतर से हराने में कामयाब रहे हैं। एर्दोगन को 52.5 फीसद और इंस को 31.5 फीसद वोट मिले। पहले दौर की मतगणना के बाद ही उनको विजेता घोषित कर दिया गया और दूसरे दौर की नौबत ही नहीं आई।
तुर्की में पहली बार राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव में मतपत्रों के जरिये चुनाव करवाया गया था। एर्दोगन 2003 से 2014 तक तुर्की के प्रधानमंत्री थे। इसके बाद से वह यहां के राष्ट्रपति बने हुए हैं।अप्रैल 2017 में अपनाए गए नए संविधान के मुताबिक प्रधानमंत्री का पद खत्म कर दिया गया है और नए राष्ट्रपति के पास पहले से ज्यादा अधिकार होंगे। चुनाव जीतने के बाद अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए एर्दोगन ने कहा कि देश की जनता ने राष्ट्रपति पद के लिए मुझ पर भरोसा जताया है।
नई व्यवस्था अब तेजी से लागू की जाएगी। उन्होंने कहा कि 88 फीसद वोटिंग के जरिये तुर्की ने पूरी दुनिया को लोकतंत्र का संदेश दिया है। गौरतलब है कि तुर्की में 2016 में सेना ने तख्ता पलट की कोशिश की थी। उसके बाद से वहां आपातकाल लागू है। चुनाव प्रचार के दौरान एर्दोगन और विपक्षी दलों ने कहा था कि जीत मिलते ही आपातकाल को हटा दिया जाएगा। चुनाव के नतीजों पर विपक्षी नेता इंस ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है।
संसद में भी बहुमत
संसदीय चुनाव में भी एर्दोगन की पार्टी एकेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिल गया है। 600 सदस्यों वाली संसद में एकेपी को 293 सीटें मिली हैं। इसकी सहयोगी पार्टी एमएचपी ने 50 सीटों पर कब्जा जमाया है। चुनाव जीतने के बाद अपने पहले भाषण में एर्दोगन ने कहा कि यह देश के सभी मतदाताओं की जीत है।