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    Syria Civil War: 'आतंकवादियों के हाथों में सीरिया', बशर अल-असद ने कहा- लड़ना चाहता था लेकिन...

    Updated: Mon, 16 Dec 2024 09:58 PM (IST)

    सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर-अल- असद का देश छोड़कर जाने के बाद पहला बयान सामने आया है। दरअसल समाचार एजेंसी एएफआई के अनुसार उन्होंने अपने बयान में कहा है कि वे कभी देश छोड़कर भागना नहीं चाहते थे। उन्होंने ये कदम मजबूरी में उठाया है। उन्होंने कहा के वे आतंकवादियों से लड़ना चाहते थे लेकिन देश अब आंतकवादियों के हाथों में है।

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    देश छोड़ने के बाद बशर अल-असद का पहला बयान (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Syria Civil War: सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद ने कहा है कि उनका देश छोड़ने का इरादा नहीं था लेकिन आठ दिसंबर को रूसी वायुसेना अड्डे पर ड्रोन हमले के बाद ऐसी स्थितियां बनीं कि उन्हें रूस के लिए रवाना होना पड़ा। दमिश्क पर इस्लामिक संगठन के कब्जे और असद के सीरिया छोड़ने के बाद आठ दिसंबर की स्थितियों पर पहली बार उनका बयान आया है।

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    रूस में शरण लिए असद ने फेसबुक पोस्ट में कहा है कि वह सात दिसंबर की रात तटवर्ती लताकिया प्रांत में स्थित रूसी वायुसेना अड्डे पर लड़ाई की योजना बनाने के लिए गए थे। लेकिन उसी समय रूसी अड्डे पर कई ड्रोन से हमला हो गया। इसी के बाद उन्हें देश छोड़ने की सलाह दी गई और वह वहीं से मास्को के लिए रवाना हो गए।

    असद ने उन चर्चाओं को खारिज किया है जिनमें कहा गया है कि उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से सीरिया छोड़ा था। उन्होंने कहा, उनकी पद छोड़ने या किसी देश में शरण लेने या किसी को ऐसा कोई प्रस्ताव भेजने की कोई योजना नहीं थी। वह आतंकियों के खिलाफ लड़ाई लड़ना चाहते थे लेकिन अचानक स्थितियां बदल गईं और उन्हें देश छोड़ना पड़ा।

    सीरिया पर विद्रोहियों का कब्जा

    उल्लेखनीय है कि विगत 08 दिसंबर को सीरिया के विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) ने 11 दिन की लड़ाई में देश पर कब्जा कर लिया था। वहीं, विद्रोहियों ने 5 दशक पुरानी असद परिवार की सत्ता को उखाड़ फेंका था। खुद राष्ट्रपति बशर-अल- असद देश छोड़कर चले गए थे।

    जानकारी दें कि सीरिया में साल 2011 से ही असद और एचटीएस के बीच गृह युद्ध होते आ रहा है। हालांकि, असद रूस और ईरान की मदद से विद्रोहियों को खदेड़ने में सफल होते रहे हैं, लेकिन इस बार वह मात खा गए और विद्रोहियों ने दमिश्क पर कब्जा कर लिया।

    सीरियाई लोगों की मदद के लिए आगे आया ब्रिटेन

    सीरिया में पिछले हफ्ते विद्रोहियों द्वारा राष्ट्रपति बशर अल-असद को उखाड़ फेंकने के बाद कमजोर सीरियाई लोगों की मदद के लिए ब्रिटेन ने रविवार को 50 मिलियन पाउंड के आर्थिक सहायता पैकेज की घोषणा की है। ब्रिटेन ने एक बयान में कहा कि 30 मिलियन पाउंड दस लाख से अधिक लोगों को भोजन, आश्रय, आपातकालीन स्वास्थ्य देखभाल और सबसे कमजोर लोगों की सुरक्षा सहित तत्काल सहायता प्रदान करेगा।

    संयुक्त राष्ट्र चैनलों के माध्यम से वितरित किए गए पैसों से पानी, अस्पतालों और स्कूलों जैसी आवश्यक सेवाओं के पुनर्वास सहित उभरती जरूरतों की पूर्ति की जाएगी। बयान में कहा गया कि पड़ोसी देशों में सीरियाई लोगों की मदद के लिए 10 मिलियन पाउंड लेबनान में विश्व खाद्य कार्यक्रम को जाएंगे और 10 मिलियन पाउंड डब्ल्यूएफपी और संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी के माध्यम से जार्डन को जाएंगे। विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा कि हम सीरियाई लोगों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, क्योंकि वे एक नया रास्ता अपना रहे हैं।

    सीरिया में फिर से खुले स्कूल

    सीरिया में बशर अल-असद की सत्ता जाने के एक सप्ताह बाद व्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। नए शासकों द्वारा स्कूलों को फिर से खोलने का आदेश दिए जाने के बाद रविवार को सीरियाई छात्र कक्षाओं में लौट आए हैं। सीरियाई ईसाइयों ने रविवार को प्रार्थना सभाओं में भाग लिया। नए इस्लामी शासकों ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा का आश्वासन दिया है।

    हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) ने कहा कि अल्पसंख्यक समूहों की जीवनशैली खतरे में नहीं होगी। असद के शासन के पतन के बाद पहली रविवार को प्रार्थना के दौरान कुछ की आँखों में आँसू थे, जबकि कुछ ने प्रार्थना में हाथ जोड़ रखे थे। एक उपासक जिहाद रफ़ौल ने कहा कि वे हमसे वादा कर रहे हैं कि सरकार जल्द ही बनेगी और भगवान की इच्छा से चीजें बेहतर हो जाएंगी क्योंकि हमने अत्याचारी से छुटकारा पा लिया है।

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