सऊदी अरब में मौत की सजा का बढ़ा ग्राफ, सबसे ज्यादा पाकिस्तानी नागरिकों को दी गई फांसी; देखें आंकड़े
सऊदी अरब में मौत की सजाओं पर लगाम लगाने के दावों के बावजूद नशे से जुड़े अपराधों में लगातार सख्त रवैया अपनाया जा रहा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार 2014 से जून 2025 तक 1816 लोगों को फांसी दी गई जिनमें से 597 मामले नशे से जुड़े थे। ताजीर प्रावधान का दुरुपयोग करते हुए कई लोगों को सजा दी गई जिनमें गरीब देशों के मजदूर शामिल हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सऊदी अरब में मौत की सजा पर लगाम लगाने के दावे अब खोखले साबित हो रहे हैं। भले ही क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने 2022 में कहा था कि अब सिर्फ उन्हीं मामलों में मौत की सजा दी जाएगी जो कुरान में स्पष्ट रूप से लिखे हैं, लेकिन ताजा आंकड़े बताते हैं कि यह वादा निभाया नहीं गया।
खासकर नशे से जुड़े अपराधों में सऊदी अदालतें लागातर सख्त रवैया अपना रही है। विदेशी नागरकों को सबसे ज्यादा निशाना बनाया जा रहा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल की जुलाई 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2014 से जून 2025 तक सऊदी अब में 1816 लोगों को फांसी दी गई।
2024 में कितने लोगों को दी गई फांसी
इसमें 597 मामले नशे से जुड़े अपराधों से संबंधित थे। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अनुसार, ड्रग्स के मामलों में मौत की सजा नहीं दी जानी चाहिए। 2024 में 345 लोगों को फांसी दी गई, जो पिछले 30 सालों में सबसे ज्यादा है।
सऊदी अरब में ताजीर नाम का एक इस्लामी सिद्धांत है, जिसके तहत जजों को ये तय करने की छूट होती है कि किस अपराध में कैसी सजा दी जाए। भले ही कानून में उसकी सजा तय न हो।
ताजीर के तहत कितनों को मिली फांसी की सजा
इस प्रावधान का दुरुपयोग करते हुए 2014 से अब तक 862 लोगों को ताजीर के तहत मौत की सजा दी जा चुकी है, जो कुल फांसियों का 47.5% है। 2024 में ड्रग्स के ताजीर मामलों में 122 लोगों को फांसी दी गई, वहीं 2025 के पहले 6 महीनों में 118 को फांसी दी गई।
अधिकतक ड्रग्स मामलों में सऊदी अरब गरीब देशों से आए मजदूरों को फांसी दे रहा है। ये लोग कानूनी मदद की पहुंच से दूर रहते हैं।
पिछले 10 सालों में ड्रग्स मामलों में मारे गए विदेश नागरिकों की संख्या:
- पाकिस्तान- 155
- सीरिया- 66
- जॉर्डन- 50
- यमन- 39
- मिस्र- 33
- नाइजीरिया- 32
- सोमालिया- 22
- इथियोपिया- 13
जून 2025 में UN ने अपील की थी कि सऊदी अरब 26 मिस्रियों को फांसी न दे, लेकिन मई में इनमें से दो को बिना परिवार को सूचना दिए फांसी दे दी गई।
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