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    सऊदी अरब में 100 से ज्यादा विदेशियों को फांसी, किन गुनाहों के लिए मिली सजा? कितने भारतीयों को मिली सजा-ए-मौत?

    Updated: Mon, 18 Nov 2024 11:13 AM (IST)

    सऊदी अरब में इस साल 100 लोगों को फांसी दे दी है। यह पहली बार है जब सऊदी अरब ने एक वर्ष में इतने अधिक विदेशियों को फांसी दी है। फांसी पाने वाले विदेशी नागरिकों में पाकिस्तान यमन सीरिया नाइजीरिया मिस्र जॉर्डन और इथियोपिया के नागरिक शामिल हैं। फांसी देने के मामले में चीन और ईरान के बाद सऊदी अरब तीसरे नंबर पर है।

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    Saudi Arabia Executes Over 100 Foreigners: सऊदी अरब में 100 से ज्यादा विदेशी लोगों को फांसी की सजा दी गई।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सऊदी अरब में इस साल 100 से अधिक विदेशियों को फांसी (Saudi Arabia Executes Over 100 Foreigners) दी गई है। समाचार एजेंसी एएफपी ने एक मानवाधिकार संगठन के हवाले से यह जानकारी दी है। पिछले तीन सालों की तुलना में यह आंकड़ा लगभग तीन गुना अधिक है।

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    शनिवार को दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र नजरान में एक यमनी नागरिक को ड्रग्स की तस्करी के आरोप में फांसी दी गई। इसे बाद इस साल फांसी की सजा पाए विदेशियों की कुल संख्या 101 हो गई है।

    साल 2022 और 2023 में 34 विदेशी नागरिकों को सऊदी अरब ने फांसी की सजा दी है। यूरोपियन-सऊदी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स, ESOHR के कानूनी निदेशक ताहा अल-हज्जी ने बताया कि यह पहली बार है जब सऊदी अरब ने एक वर्ष में इतने अधिक विदेशियों को फांसी दी है।

    फांसी देने के मामले में सऊदी तीसरे नंबर पर

    एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार फांसी देने के मामले में चीन और ईरान के बाद सऊदी अरब तीसरे नंबर पर है।

    इन देशों के नागरिकों को दी गई फांसी की सजा

    फांसी पाने वाले विदेशी नागरिकों में पाकिस्तान, यमन, सीरिया, नाइजीरिया, मिस्र, जॉर्डन और इथियोपिया के नागरिक शामिल हैं।  पाकिस्तान से 21, यमन से 20, सीरिया से 14, नाइजीरिया से 10, मिस्र से नौ, जॉर्डन से आठ और इथियोपिया से सात शामिल हैं। सूडान, भारत और अफगानिस्तान से तीन-तीन और श्रीलंका, इरिट्रिया और फिलीपींस से एक-एक व्यक्ति को फांसी दी गई।

    राजनयिकों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि विदेशी प्रतिवादियों की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो पाती। सजा पाने वाले विदेशी नागरिक बड़े ड्रग डीलरों के शिकार बन जाते हैं। गिरफ्तारी के समय से लेकर फांसी तक आरोपियों को अपनी बात कोर्ट के सामने रखने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

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