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    Saudi Arabia: सबसे बड़े तेल निर्यातक सऊदी अरब में कारें चलेंगी हाइड्रोजन से

    By AgencyEdited By: Shashank Mishra
    Updated: Sun, 13 Nov 2022 10:18 PM (IST)

    तेल और गैस को जमीन के नीचे से निकालने की प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में हानिकारक गैसें वायुमंडल में जाती हैं। सऊदी अरब विश्व के सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है। वह प्रतिदिन एक करोड़ बैरल कच्चे तेल का निर्यात करता है।

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    सऊदी अरब विश्व के सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है।

    शर्म अल-शेख, एपी। दुनिया में सर्वाधिक प्रदूषण फैलाने वाले देशों में से एक सऊदी अरब ने हानिकारक गैसों का उत्सर्जन कम करने के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाई है। इस कार्ययोजना के तहत सऊदी अरब में कारें और अन्य वाहन हाइड्रोजन से चलाए जाएंगे। समुद्र के प्लास्टिक कचरे को रीसाइकिल कर उससे कई तरह के उत्पाद बनाए जाएंगे। रेगिस्तान में करोड़ों पौधे लगाकर कार्बन डाई आक्साइड का स्तर कम किया जाएगा। सऊदी अरब ने यह कार्ययोजना मिस्त्र में हो रहे पर्यावरण सम्मेलन में सार्वजनिक की है।

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    इस कार्ययोजना के जरिये सऊदी अरब खुद को स्वच्छ ऊर्जा के समर्थक और पर्यावरण के अनुरूप कार्य करने वाले देश के रूप में प्रस्तुत कर रहा है। इसके लिए उसके पैवेलियन में भव्य प्रस्तुतिकरण हो रहे हैं और वार्ताओं के दौर में जोर-शोर से पर्यावरण सुरक्षा के बिंदु रखे जा रहे हैं।

    सऊदी अरब के पर्यावरण मामलों के दूत आदेल अल-जुबैर ने कहा है कि अब दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश करना चाहते हैं कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए क्या और कितना किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि तेल और गैस को जमीन के नीचे से निकालने की प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में हानिकारक गैसें वायुमंडल में जाती हैं। सऊदी अरब विश्व के सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है। वह प्रतिदिन एक करोड़ बैरल कच्चे तेल का निर्यात करता है।

    सम्मेलन स्थल के निकट पर्यावरण प्रेमियों का प्रदर्शन

    हफ्ते भर की चर्चा में पर्यावरण सुधार के लिए कुछ खास न होता देख विश्व भर के पर्यावरण प्रेमियों ने औद्योगिक देशों से शर्म अल-शेख में हो रहे सम्मेलन को उपयोगी साबित करने की मांग की है। कहा है कि विश्व के कई हिस्सों में आ रहीं प्राकृतिक आपदाएं और पृथ्वी का बढ़ रहा तापमान चिंता बढ़ा रहा है। ऐसे में केवल चर्चाओं में समय नहीं गंवाना चाहिए। सैकड़ों पर्यावरण प्रेमियों ने रविवार को सम्मेलन स्थल के नजदीक प्रदर्शन कर विकसित देशों के रुख पर नाराजगी जताई।

    उन्होंने मांग की कि उद्योगों के जरिये वातावरण को प्रदूषित कर रहे देश स्थिति में सुधार के लिए तत्काल सुधारात्मक उपाय करें, अन्यथा आने वाले पीढि़यां हमें माफ नहीं करेंगी। पर्यावरण सम्मेलन में हिस्सा ले रहे जर्मनी के प्रतिनिधियों ने भी पर्यावरण की स्थिति और सुधार के उपायों की धीमी गति पर चिंता जताई।

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    प्रदर्शनकारियों ने प्रदूषण फैलाने पर रोक न लगाए जाने और विरोध की अनदेखी करने पर भी गुस्सा जताया। कहा कि पर्यावरण प्रेमियों को परेशान और हतोत्साहित करने के लिए मिस्त्र सरकार ने भी वही सब किया है जो ब्रिटेन और उससे पहले के सम्मेलनों में किया गया।

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