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    स्वेज नहर में फंसा विशालकाय शिप निकला, जानें- इससे पहले कब-कब बंद हो चुका है मार्ग

    By Manish PandeyEdited By:
    Updated: Wed, 31 Mar 2021 10:13 AM (IST)

    एमवी एवर गिवन नाम के इस जहाज पर पनामा का झंडा लगा था। यह जहाज एशिया और यूरोप के बीच व्यापार करता है। एवरग्रीन मरीन कॉ‌र्प्स नामक ताइवान की एक शिपिंग कंपनी इस जहाज का संचालन करती है।

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    मार्ग अवरुद्ध होने से 400 से अधिक जहाजों का लग गया था जमावड़ा।

    दुबई, एजेंसियां। मिस्त्र की स्वेज नहर में फंसा विशालकाय कार्गो कंटेनर शिप सोमवार देर शाम निकल गया। इसके साथ ही नहर में आवागमन सामान्य हो गया। पहली खेप में 43 जहाजों को गंतव्य की ओर रवाना किया गया। शिप के फंसने के चलते यह मार्ग पिछले एक सप्ताह से बंद था, जिसकी वजह से नहर में 400 से अधिक जहाजों का जमावड़ा लग गया था। इस बीच, स्वेज नहर में शिप के फंसने की जांच शुरू कर दी गई है। जांच अधिकारियों के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि जहाज फंसा कैसे? मिस्त्र के सरकारी अधिकारी, बीमा कंपनियां, जहाज संचालक और अन्य को जहाज फंसने का कारण जानने का इंतजार हैं।

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    स्वेज कनाल अथॉरिटी के चेयरमैन ओसामा रेबइ ने कहा कि शिप को निकाले जाने के दौरान इसको किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ। शिप को निकालने के लिए ना केवल उसके नीचे की तीस हजार क्यूबिक मीटर मिट्टी निकालनी पड़ी बल्कि 11 छोटी और दो बड़ी नौकाओं का सहारा लेना पड़ा। शिप की टेक्निकल मैनेजर्स बर्नहार्ड शुल्त शिपमैनेजमेंट ने कहा है कि शिप से किसी तरह के रिसाव और प्रदूषण फैलने की खबर नहीं है। फंसे हुए शिपों को निकलने में तीन दिन का समय लगेगा।

    एक नजर में स्वेज नह

    - 1859 में शुरू हुआ निर्माण

    - 10 वर्ष बनने में लगे

    - 15 लाख मजदूरों ने किया काम

    - 193.50 किमी लंबाई

    - 8 मीटर गहराई

    - 1956 तक ब्रिटिश सरकार के अधीन रही

    - 50 जहाज प्रतिदिन यहां से गुजरते हैं

    - 19 हजार जहाज पिछले वर्ष यहां से गुजरे थे

    कब-कब बंद रही स्वेज नहर

    5 जून 1967 को इजरायल ने मिस्त्र पर बमबारी कर दी थी। उस वक्त बुल्गारिया, चेकोस्लोवाकिया, फ्रांस, ब्रिटेन, पोलैंड, स्वीडन, पश्चिमी जर्मनी और अमेरिका के 15 जहाज स्वेज नहर से गुजर रहे थे। बमबारी में एक जहाज डूब गया। दस जून को ये जंग खत्म हो गई, लेकिन मिस्त्र ने उसके बाद भी आठ वर्षो तक स्वेज नहर का रास्ता बंद रखा। इसके अलावा वर्ष 2004, 2006 और 2017 में जहाजों के फंसने से यह मार्ग कुछ दिनों के लिए बंद हुआ था।

    कच्चे तेल कीमत घटी

    शिप के निकलने से कच्चे तेल का दाम एक फीसद से ज्यादा घटकर 63.85 डॉलर प्रति बैरल हो गया। शिप का संचालन करने वाली एवरग्रीन मैरीन कार्प का शेयर ताइवान शेयर बाजार में 1.75 फीसद ऊपर बंद हुआ। भारत इस नहर के माध्यम से 200 अरब डॉलर का व्यापार करता है।

    भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है नहर

    स्वेज नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है। इस मार्ग के जरिये एशिया से यूरोप जाने वाले जहाजों को अफ्रीका घूमकर नहीं जाना पड़ता है। नहर से प्रतिदिन साढ़े नौ अरब डॉलर का कारोबार होता है। कुल वैश्विक कारोबार का लगभग 12 फीसद इसी नहर के माध्यम से होता है। यहां से गुजरने वाले वाहनों से मिस्त्र को विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होती है। जहाज फंसने से कनाल अथॉरिटी को प्रतिदिन 14 से 15 मिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा था।

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