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Indian Ocean Conference 2021: जयशंकर ने चीन के बढ़ते कद के बीच एशिया में जारी तनाव का किया जिक्र

Indian Ocean Conference 2021 अबू धाबी में दो दिवसीय हिंद महासागर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस 2021 के शुरू होने से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) व ओमान के अपने समकक्ष से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग के मामले पर चर्चा की।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 11:43 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 05:21 AM (IST)
Indian Ocean Conference 2021: जयशंकर ने चीन के बढ़ते कद के बीच एशिया में जारी तनाव का किया जिक्र
जयशंकर ने चीन के बढ़ते कद के बीच एशिया में जारी तनाव का किया जिक्र

 अबू धाबी, एजेंसी। अबू धाबी में दो दिवसीय हिंद महासागर कांफ्रेंस 2021 (Indian Ocean Conference) की शुरुआत शनिवार को हुई। इस मौके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कांफ्रेंस को संबोधित किया।  उन्होंने कहा, 'कोरोना के कारण हम थोड़े अंतराल के बाद मिल रहे हैं। उस समय में कई ऐसे विकास हुए हैं जिनका हिंद महासागर क्षेत्र पर सीधा और अच्छा प्रभाव पड़ा है।' कांफ्रेंस में विदेश मंत्री ने चीन की बढ़ती क्षमताओं का जिक्र किया और कहा कि इसके गंभीर परिणाम हैं। उन्होंने कहा, '2008 से हमने यूएस पावर प्रोजेक्शन में अधिक सावधानी देखी है और इसके ओवर एक्सटेंशन को ठीक करने का प्रयास किया है।' 

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कांफ्रेंस में विदेश मंत्री ने कहा, ' चीन के उत्थान और क्षमताएं विकसित करने के दुष्परिणाम गहराते जा रहे हैं। पूरे एशिया में सीमा विवाद खड़े हो गए हैं क्योंकि चीन वर्षो पूर्व हुए समझौतों पर सवाल खड़े कर रहा है, उन्हें मानने से इन्कार कर रहा है। ऐसा कर चीन क्षेत्र में तनाव बढ़ा रहा है।' जयशंकर ने कहा कि परस्पर जुड़ी दुनिया में समुद्री और वायु मार्गो पर अबाध आवागमन गंभीर मसला है। इन मार्गो से देशों के बीच व्यापार होता है और नागरिकों का आवागमन होता है। इसलिए आवागमन की स्वतंत्रता का सम्मान होना चाहिए।

आवागमन की सुविधाओं को बढ़ाया जाना चाहिए। लेकिन दो वजहों से हाल के दशकों में हिंद महासागर की स्थिति बदली है। पहली वजह क्षेत्र में अमेरिका का रणनीतिक दखल बढ़ा है, दूसरी वजह चीन का उत्थान है। 2008 में हम अमेरिका के बढ़ते असर के खतरों के गवाह थे। तब उन खतरों को कम करने की कोशिश कर रहे थे। अंतत: अमेरिका ने अपनी और दुनिया की स्थितियों को समझा और खुद को संतुलित किया। इसी के बाद दुनिया में बहुध्रुवीय व्यवस्था का सूत्रपात हुआ। दूसरा बड़ा बदलाव चीन के उत्थान से आया। उसने असामान्य ढंग से अपनी ताकत बढ़ानी शुरू की और वैश्विक स्तर पर असर बढ़ाना शुरू किया। सैन्य ताकत के मामले में सोवियत संघ महाशक्ति था लेकिन आर्थिक शक्ति के रूप में वह उस स्थिति में कभी नहीं पहुंचा जहां पर आज चीन है।

चीन के उत्थान के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। दुनिया में शक्ति और प्रभाव को लेकर नई तरह की बहस चल निकली है। इससे एशिया में क्षेत्रीय विवाद बढ़ गए हैं और तनाव बढ़ रहा है। मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच पैदा हुआ सीमा विवाद इसका उदाहरण है। भारत, अमेरिका और अन्य बड़े देश हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में अबाध आवागमन की बात कर रहे हैं। इस सबके बीच चीन क्षेत्र में अपनी सैन्य ताकत बढ़ाता जा रहा है। इसी प्रकार दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस, ब्रूनेई, मलेशिया और वियतनाम की समुद्री सीमाओं को नकारते हुए चीन पूरे सागर क्षेत्र को अपना बता रहा है। ताइवान के साथ भी चीन का विवाद बढ़ रहा है। इन सारी स्थितियों पर विचार किए जाने की जरूरत है। आने वाले समय के लिए सहयोग पर विचार किया जाना चाहिए।

जयशंकर ने कहा कि कई बातें हैं जिन्होंने हाल के वर्षों में हिंद महासागर के विकास को प्रभावित किया है। उन्होंने बदलती अमेरिकी रणनीति पर जोर दिया और कहा कि साल 2008 के बाद से हमने अमेरिकी शक्ति के प्रदर्शन में अधिक सावधानी देखी है। विदेश मंत्री ने अबू धाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान और विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से मुलाकात की और भारत व UAE के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की बात कही। बता दें कि 4 और 5 दिसंबर को आयोजित किए गए पांचवें हिंद महासागर कांफ्रेंस का थीम इस बार 'Indian Ocean: Ecology, Economy, Epidemic' है।

कांफ्रेंस के शुरू होने से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) व ओमान के अपने समकक्ष से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग के मामले पर चर्चा की। 


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