Operation Rising Lion: परमाणु बम का सपना हुआ चकनाचूर! मोसाद के 'चक्रव्यूह' में कैसे फंसा ईरान? नेतन्याहू के मिशन की ABCD
Israel Attacks Iran इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया जिसे ऑपरेशन राइजिंग लायन नाम दिया गया। इस कार्रवाई में ईरान के कई उच्च अधिकारी मारे गए और परमाणु संयंत्रों को भारी नुकसान पहुंचा। इजरायल का दावा है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा था जिसे रोकने के लिए यह हमला जरूरी था।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक बार फिर मिडिल ईस्ट में अशांति फैल चुकी है। इजरायल ने ईरान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। गुरुवार देर रात इजरायली सेना (IDF) ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए।
इजरायल ने इस कार्रवाई को 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' (Operation Rising Lion) नाम दिया। इस हमले में ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी और ईरान के Revolutionary Guards के चीफ कमांडर हुसैन सलामी की मौत हो गई है।
इतना ही नहीं देश के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई (Ayatullah Al Khomeini) के करीबी अली शामखानी और आईआरजीसी की एयरफोर्स के कमांडर आमिर अली हाजीजादेह जैसे बड़े अधिकारियों ने भी अपनी जान गंवा दी।
ईरान के परमाणु ठिकानों पर हुए हमले
इजरायल का उद्देश्य ईरान में मौजूद परमाणु संयंत्र को तबाह करना था। IDF ने पूरी तैयारी के साथ अपने मिशन को अंजाम दिया। इजरायली सेना ने शिराज, तबरीज और नतांज में मौजूद न्यूक्लियर साइट पर बमबारी की। इन हमलों में ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिकों की भी मौत हो हई।
ईरान के लिए कितना अहम था नतांज शहर?
इजरायल ने दावा किया कि ईरान के प्रमुख परमाणु साइट नतांज को भारी नुकसान पहुंचा है। नतांज वो जगह है, जहां ईरान यूरेनियम एनरिचमेंट कर रहा था। यूरेनियम को इनरिच करने के बाद ही इससे परमाणु बम बनाया जाता है।
(इजरायल ने जारी की नतांज शहर पर हुए हमले की तस्वीरें)
इजरायल के हमले से दहल उठा ईरान
ईरान की ओर से सैन्य कार्रवाई के लिए भी इजरायल पूरी तरह तैयार था। एक तरफ जहां इजरायली सेना ईरान के परमाणु ठिकानों को तबाह कर रही थी, दूसरी तरफ इजरायल, ईरान में सतह से हवा में मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को टारगेट कर रहा था। ईरान जब तक इजरायल के हमलों का जवाब देता तब तक उसके भारी नुकसान पहुंच चुका था।
इजरायल की इस कार्रवाई ने ईरान में खलबली मचा दी। वहां के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनेई ने कसम खाते हुए कहा कि इजरायल ने खुद अपने बुरे भविष्य की पटकथा लिख दी है। इजरायल को इसका करारा जवाब मिलेगा।
यह तो थी उस हमले की कहानी जो इजरायल ने ईरान पर किया। लेकिन आइए अब इजरायल की उस प्लानिंग को समझें, जिसके तहत 'ऑपरेशन राइजिंग लॉयन' को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।
इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए मोसाद ने तीन वर्षों की तैयारी की थी। वहीं, तीन चरणों में इस मिशन को अंजाम दिया गया।
- मोसाद के एजेंटों ने तेहरान के अंदर ही एक छिपी हुई ड्रोन निमार्ण/ स्टॉकिंग साइट स्थापित की थी। यहीं पर इजरायल ने छोटे विस्फोटक ड्रोन बनाए और कई महीनों तक छुपकर इन्हें हमले के लिए डिजाइन किया।
- मोसाद ने ईरान में रणनीतिक रूप से जरूरी इलाकों जैसे एअर-डिफेंस सिस्टम्स, सेम बैटरियां और मिसाइल लॉन्चर बेस के नजदीक ड्रोन की डिप्लोय किया।
- जब इजरायली लड़ाकू विमानों ने हमला शुरू किया, तो पहले से मौजूद ड्रोन से रडार और लॉन्चर नष्ट किए।
इजरायल ने इन हथियारों का किया इस्तेमाल
ईरान पर कार्रवाई करते हुए इजरायली एअर फोर्स ने 330 से अधिक प्रिसिजन बम छोड़े, जो कि 5,000 - पाउंड वजन के श्रेणी में आते हैं। इस हमले का लक्ष्य एअर डिफेंस रडार और मिसाइल फेसिलिटीज को नष्ट करना था।
इस हमले में अमेरिकी स्टेल्थ फाइटर जेट एफ-35 के इजरायली वर्जन का भी इस्तेमाल हुआ।
फुस्स हुआ ईरान का ड्रोन
कार्रवाई के कुछ घंटों के बाद ईरान ने इजरायल पर 100 से ज्यादा ड्रोन से हमले किए, लेकिन इजराइल के एअर डिफेंस ने सभी ड्रोन को आसमान में ही मार गिराया। ईरान की जवाबी कार्रवाई पूरी तरह विफल साबित हुई।
दरअसल, ईरान ने हमले के लिए शाहेद ड्रोन को चुना। शाहेद को 'सुसाइड ड्रोन' की तरह डिजाइन किया गया है। यह खुद को लक्ष्य से टकराकर विस्फोट करता है। ईरान ने रूस को भी शाहेद ड्रोन सप्लाई किया है। सबसे बड़ी बात है कि इस ड्रोन की लागत काफी कम है। यही वजह है कि स्वार्म यानी इस ड्रोन से झुंड में हमला किया जाता है।
सवाल है कि आखिर इजरायल ने ईरान पर हमला क्यों किया?
दरअसल, इजरायल पिछले कई सालों से दावा करता आया है कि इजरायल को मिटाने के लिए ईरान, परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। इजरायल किसी भी कीमत पर ईरान को परमाणु बम हासिल होने नहीं देना चाहता है। इजरायल के अलावा, अमेरिका भी ईरान को एक परमाणु देश की लिस्ट में नहीं देखना चाहता।
'हम अगली पीढ़ी को खतरे में नहीं डाल सकते'
ईरान के परमाणु संयंत्र पर हमले को अंजाम देने के बाद शुक्रवार को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, दशकों से, तेहरान के तानाशाह बेशर्मी से खुलेआम इजरायल के विनाश का आह्वान करते रहे हैं। उन्होंने अपने नरसंहारक बयानों को परमाणु हथियार विकसित करने के कार्यक्रम के साथ समर्थन दिया है।
ईरान ने परमाणु बम बना लिया तो ईरान की ये कामयाबी इजरायल के वजूद को ही खत्म कर सकती है. इसलिए इजरायल किसी भी कीमत पर ईरान को परमाणु बम हासिल होने नहीं देना चाहता है। हम इन खतरों को अगली पीढ़ी के लिए नहीं छोड़ सकते, क्योंकि अगर हम अभी कार्रवाई नहीं करेंगे, तो अगली पीढ़ी नहीं आएगी
इजरायल और ईरान के इस सैन्य संघर्ष ने एक बार फिर दुनिया को दो हिस्सों में बांट दिया। एक तरफ वो देश हैं, जो ईरान के साथ खड़े हैं।
आइए जानते हैं कि इस कार्रवाई को लेकर दुनिया की क्या राय है।
सीरिया: सीरिया ने ईरान के स्व-रक्षा अधिकार का समर्थन किया और इजराइल के हमलों के खिलाफ अपनी नैतिक और राजनीतिक एकजुटता जताई।
सऊदी अरब / मिस्र: सऊदी अरब और मिस्र राजनयिक स्तर पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, हालांकि, खबर है कि सऊदी ने गुप्त रूप से इजराइल अमेरिकी रक्षा गतिविधियों में सहयोग भी किया।
जॉर्डन: इस देश ने संयम बरतने की बात कही, लेकिन अमेरिका के सहयोग से इजराइल को हवाई बचाव तंत्र उपलब्ध कराया।
रूस: ईरान पर हमला अविश्वासक और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। क्रेमलिन ने कहा कि यह कदम क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डालता है। साथ ही, रूस ने अपने नागरिकों को ईरान और इजरायल दूर रहने को कहा।
वहीं, बात करें भारत ने दोनों देशों से शांति की अपील की है। भारत ने कहा कि किसी भी मुद्दों को कूटनीतिक ढंग से हल करना ही लाभकारी है।
अमेरिका ने क्या कहा?
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने ईरान पर इजरायली हमले के बाद एक बयान में कहा,"आज रात, इजरायल ने ईरान के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की। हम ईरान के खिलाफ हमलों में शामिल नहीं हैं और हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता क्षेत्र में अमेरिकी सेना की सुरक्षा करना है। इजरायल ने हमें सलाह दी कि उसका मानना है कि यह कार्रवाई उसकी आत्मरक्षा के लिए जरूरी थी।"
उन्होंने आगे कहा कि इजरायल ने हमें जानकारी दी कि उनका मानना है कि यह कार्रवाई उसकी आत्मरक्षा के लिए जरूरी थी। राष्ट्रपति ट्रंप और प्रशासन ने हमारी सेनाओं की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं।
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