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    खतरे में खामेनेई की सत्ता! अगर इजरायल के साथ युद्ध में उतरा अमेरिका, तो जानिए क्या होंगे परिणाम

    पिछले 40 महीनों से विश्व युद्ध की आग में झुलस रहा है। यूक्रेन और गाजा के बाद अब इजरायल और ईरान का टकराव जारी है। इन युद्धों में अमेरिका रूस और चीन के हित जुड़े हैं। ईरान को लेकर रूस के बयान चेतावनी वाले नहीं हैं। खामेनेई की सत्ता खतरे में है। इजरायल-ईरान युद्ध का दूसरा सप्ताह महत्वपूर्ण होगा।

    By Jagran News Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Thu, 19 Jun 2025 11:17 PM (IST)
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    ईरान के रूप में रूस का एक और किला ढहने के कगार पर है (फोटो: रॉयटर्स)

    जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। युद्ध की आग से बीते 40 महीनों से विश्व झुलस रहा है। फरवरी 2022 में शुरू हुए यूक्रेन युद्ध के बाद अक्टूबर 2023 में गाजा में युद्ध शुरू हुआ और अब 13 जून से इजरायल और ईरान का टकराव चल रहा है। इन तीनों ही युद्धों में विश्व की तीन महाशक्तियों-अमेरिका, रूस और चीन के हित जुड़े हैं।

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    तीनों ही देश प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इन युद्धों में भागीदारी निभा रहे हैं। लेकिन यूक्रेन और गाजा के युद्ध में परोक्ष रूप से शामिल अमेरिका के ईरान के युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होने के आसार बन रहे हैं। इसलिए भी.. क्योंकि विश्व परिदृश्य में उसे चुनौती देने वाला फिलहाल कोई नहीं है। ईरान को लेकर रूस के जो बयान आ रहे हैं वे सलाह और अनुरोध के लहजे वाले हैं, चेतावनी वाले हर्गिज नहीं हैं।

    खामेनेई की सत्ता खतरे में

    ऐसी स्थिति में ईरान में खामेनेई की सत्ता खतरे में है और पश्चिम एशिया में सीरिया के बाद ईरान के रूप में रूस का एक और किला ढहने के कगार पर है। यूक्रेन युद्ध में रूस का फंसा होना अमेरिका को खुला मैदान मुहैया करा रहा है। अब सवाल इस बात का है कि अमेरिका ईरान के युद्ध में शामिल होगा या नहीं..? इस सवाल का जवाब इजरायल की क्षमता पर निर्भर करता है। इजरायल-ईरान युद्ध का गुरुवार को एक सप्ताह पूरा हो गया।

    इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दो सप्ताह में ईरान में सारे लक्ष्य प्राप्त कर लेने की बात कही है। इस लिहाज से शुक्रवार से शुरू हो रहा ईरान युद्ध का दूसरा सप्ताह महत्वपूर्ण होगा। लेकिन ताजा बयान में नेतन्याहू ने ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के खात्मे तक युद्ध जारी रखने का एलान किया है। जाहिर है लड़ाई लंबी खिंच सकती है और इजरायल के लक्ष्य दूर हो सकते हैं। अमेरिका भी हालात को तौल रहा है।

    इजरायल पर गिर रही मिसाइलें

    • ईरान की असल ताकत उसके आकलन से ज्यादा लग रही है। इजरायल-अमेरिका के डिफेंस सिस्टमों को धता बताकर ईरानी मिसाइलें जिस तरह से इजरायली शहरों पर गिर रही हैं उससे अमेरिका का असमंजस बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बिना शर्त समर्पण के संदेश को खामेनेई ने जिन तीखे तेवरों से खारिज किया है और अमेरिका के हमलों में शामिल होने के संकेतों पर उसे अपूरणीय क्षति पहुंचाने की चेतावनी दी है, उससे अमेरिका सोचने को विवश हुआ है।
    • इसकी वजह से ईरान युद्ध के लिए आगामी सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण है। इस दौरान इजरायल को खामेनेई की सत्ता और फोर्डो परमाणु संयंत्र की चुनौतियों से जूझना है। फोर्डो ही वह परमाणु संयंत्र है जहां पर 2023 में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी को 83.7 प्रतिशत तक शुद्ध यूरेनियम के कण मिले थे। यूरेनियम की यह शुद्धता परमाणु बम बनाने के लिए जरूरी यूरेनियम की गुणवत्ता के काफी करीब है। जाहिर है कि रूस और चीन के निकट सहयोगी ईरान के लिए दो वर्ष में 90 प्रतिशत तक यूरेनियम शोधन की क्षमता प्राप्त कर लेना मुश्किल नहीं है।

    संयंत्र को बर्बाद करना बाकी

    लेकिन तेहरान के करीब स्थित फोर्डो परमाणु संयंत्र अभी इजरायल के हमलों से दूर है। ऊंचे पहाड़ के नीचे की चट्टानों को ड्रिल करके बनाई जगह में स्थापित इस संयंत्र को बर्बाद किए बिना ईरान के परमाणु बम की चुनौती को खत्म किया नहीं जा सकता..और हवाई हमले से इस संयंत्र को खत्म कर पाना इजरायल के वश की बात नहीं है। इस संयंत्र को हवाई हमले से नष्ट करने की क्षमता केवल अमेरिका के पास है। उसका जीबीयू-57 ए बंकर बस्टर बम ही हवाई हमले में फोर्डो संयंत्र को नष्ट कर सकता है।

    यही स्थिति अमेरिका को ईरान युद्ध में शामिल होने के हालात बना रही है। खामेनेई को सत्ता से हटाने के लिए ईरान में जमीनी लड़ाई छेड़नी होगी, अमेरिका के लिए भारी खूनखराबे वाला यह निर्णय मुश्किल होगा। ईरान में जमीनी लड़ाई छेड़ पाने की स्थिति में इजरायल भी नहीं है। इसलिए अमेरिका ईरान पर सीमित हमला करने के बाद वहां खामेनेई को सत्ता से हटाने की मुहिम सुविधानुसार जारी रखने के लिए इजरायल से कह सकता है।