'कसाइयों' के बीच कटती है सजा, जानवरों से भी बदतर स्थिति में रहते हैं कैदी; क्यों जहन्नुम से भी बुरी हैं Evin Jail की सलाखें?
हाल के संघर्ष में ईरान और इजरायल ने एक दूसरे पर हमले किए। अब ईरान ने स्वीकारा है कि इजरायली हमले में उसकी कुख्यात इविन जेल को निशाना बनाया गया जिसमें 71 लोगों की जान चली गई। 1971 में बनी यह जेल शाह के शासन में विरोधियों पर अत्याचार के लिए कुख्यात थी और इस्लामी क्रांति के बाद और क्रूर हो गई।
अभिनव त्रिपाठी, नई दिल्ली। हाल के दिनों में ईरान और इजरायल के बीच कुल 12 दिनों का संघर्ष चला। इस संघर्ष में दोनों देशों ने एक दूसरे पर लगातार प्रहार किए। हालांकि, अब दोनों देशों के बीच जंग थम चुकी है। इन सब के बीच दोनों देश अपने नुकसान के बारे में आकलन कर रहे हैं। पहले ईरान ने इस जंग में किसी बड़े नुकसान को स्वीकार नहीं किया, लेकिन अब धीरे-धीरे खामेनेई के देश को हुए नुकसान की जानकारी बाहर आ रही है।
इजरायल ने इस जंग के दौरान न केवल ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया, बल्कि नेतन्याहू की सेना ने ईरान की कुख्यात इविन जेल को भी निशाना बनाया है। अब ईरान की ओर से इस बात स्वीकृति की गई है।
ईरानी न्यायपालिका ने इस संबंध में रविवार को जानकारी देते हुए बताया कि इस जेल पर इजरायली हमले में कम से कम 71 लोगों की जान चली गई है। ईरान की इस जेल को काफी डरावनी और कुख्यात कहा जाता है। आइए आपको इसके बारे में बताते हैं...
ईरान की इविन जेल को कहा जाता है कुख्यात
जानकारी के अनुसार, 1971 में शाह मोहम्मद रजा पहलवी के शासन में इस जेल को बनाया गया था। इस जेल का इतिहास शुरुआत से ही दमनकारी रहा है। बताया जाता है कि उस वक्त यहां शाह की खुफिया पुलिस (शवाक) विरोधियों को बर्बरता से टॉर्चर करती थी। हालांकि, 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद सत्ता में आए लोगों ने इस जेल को और ज्यादा क्रूर बना दिया।
जेल में बंद हैं हजारों कैदी
द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की इविन जेल में हजारों कैदी बंद हैं। कैदियों में प्रमुख विपक्षी राजनेता, कार्यकर्ता, वकील, पत्रकार, पर्यावरण कार्यकर्ता और छात्र शामिल हैं। माना जाता है कि इसका इस्तेमाल प्रमुख गैर-ईरानी या दोहरे नागरिक कैदियों को रखने के लिए भी किया जाता है, जिनमें से कई पर जासूसी का आरोप लगाया गया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ये जेल तेहरान में अल्बोरज पर्वत की तलहटी में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। इस जेल का परिसर बिजली के कांटेदार तार की बाड़ के साथ एक बारूदी सुरंग से घिरा हुआ है।
जब एक साथ 1000 से अधिक लोगों को दी गई फांसी
एनवाईटी ने ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि साल 1988 में सरसरी सुनवाई के बाद हजारों एविन कैदियों को मार दिया गया। मारे गए लोगों में से कई को नई इस्लामी सरकार के लिए खतरा माना गया। यह 20वीं सदी के सबसे भयानक जेल नरसंहारों में से एक था।
पूर्व कैदियों ने की मानें तो यहां पर घंटों तक पूछताछ की जाती है, इस दौरान कैदियों के आंखों पर पट्टियां बांधकर उनका मुंह दीवार की ओर करके बैठाया जाता है। वहीं, इस जेल में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं भी आम हैं।
इविन जेल में कैदियों को कैसे किया जाता है टॉर्चर?
ईरान की इविन जेल में कैदियों के साथ होने वाला टॉर्चर किसी से छिपा नहीं है। कई रिपोर्ट्स में दावा किया जाता रहा है कि यहां कैदियों को इस हद तक टॉर्चर किया जाता है कि वे आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते हैं। इटली की पत्रकार सैसिलिया को भी साल 2023 में इस जेल में कैद किया गया था। उन्होंने बताया कि मेरे पास न बिस्तर था, न चादर। चश्मा छीन लिया गया ताकि मैं कुछ देख न सकूं।
कौन चलाता है ये जेल?
रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान की इस कुख्यात जेल को कई सिक्योरिटी एजेंसियां चलाती हैं, इममें आईआरजीसी के साथ देश की इंटेलीजेंस एजेंसी भी शामिल है। इस जेल में कैदियों को को मारने के अलावा बिजली के झटके दिए जाते हैं। इसके अलावा भी कई अन्य तरीकों से कैदियों को टॉर्चर किया जाता है।
क्या इस जेल में विदेशी कैदी भी रखे जाते हैं?
ईरान की इस जेल को लेकर अक्सर सवाल किया जाता है कि क्या इस जेल में विदेशी कैदियों को भी रखा जाता है। रिपोर्ट्स की मानें तो ईरान ने लगभग पांच दशकों से विदेशी और दोहरे नागरिकों की हिरासत को अपनी विदेश नीति के एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया है।
हालांकि, ब्रिटेन, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों ने ईरान पर अपने नागरिकों के साथ-साथ दोहरे नागरिकों को हिरासत में रखने और उन्हें कूटनीतिक सौदेबाजी के तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। बताया जाता है कि सेसिल कोहलर और जैक्स पेरिस ये दो फ्रांसीसी नागरिक हैं, जिन्हें इस जेल में करीब 3 साल से अधिक समय के लिए रखा गया था।
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