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    अफगानियों को 6 जुलाई तक ईरान छोड़ने का अल्टीमेटम, तालिबान से बचकर पहुंचे थे लाखों रिफ्यूजी; जानिए अचानक क्या हुआ

    Updated: Sun, 06 Jul 2025 07:12 PM (IST)

    ईरान ने लाखों अफगानी शरणार्थियों को 6 जुलाई तक देश छोड़ने का अल्टीमेटम दिया है जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद बड़ी संख्या में अफगानियों ने ईरान में शरण ली थी वर्तमान में लगभग 40 लाख अफगानी ईरान में हैं।

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    अब तक करीब 7 लाख अफगानी शरणार्थियों ने ईरान छोड़ दिया है (फोटो: रॉयटर्स)

    एएनआई, तेहरान। ईरान में रह रहे लाखों अफगानी शरणार्थियों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है। ईरान ने तालिबान से बचकर अफगानिस्तान आए लोगों को 6 जुलाई तक देश छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया है। डेडलाइन खत्म होने के बाद ईरान में मौजूद अफगानियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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    दरअसल 2021 में अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना और नाटो फोर्स की वापसी के बाद तालिबान ने सत्ता हासिल कर ली थी। इसके बाद लाखों की संख्या में अफगानी नागरिकों ने सीमा पार कर ईरान में शरण ली थी। इस वक्त ईरान में लगभग 40 लाख अफगानी मौजूद हैं।

    मार्च 2025 में ही दे दिया गया था आदेश

    इजरायल के साथ संघर्ष के बाद ईरान को राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। ऐसे में पहली गाज अफगानी शरणार्थियों पर गिरी है। हालांकि इसकी शुरुआत काफी पहले हो गई थी। मार्च 2025 में ही ईरानी अधिकारियों ने बिना कानूनी दस्तावेज वाले अफगानी शरणार्थियों को जुलाई की शुरुआत तक देश छोड़ने को कह दिया था।

    अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, तब से अब तक करीब 7 लाख अफगानी शरणार्थियों ने ईरान छोड़ दिया है। अकेले जून महीने में ही 2.3 लाख लोगों ने ईरान को अलविदा कह दिया था। अब 6 जुलाई की डेडलाइन पूरी होने के बाद बचे लोगों पर गिरफ्तारी और निर्वासन का खतरा मंडराने लगा है।

    मानवाधिकार समूहों ने जताई चिंता

    • मानवाधिकार समूहों ने चिंता जताई है कि इतने बड़े पैमाने पर डिपोर्टेशन पहले से दुनिया के सबसे गरीब देशों में शुमार अफगानिस्तान को अस्थिर कर सकता है। शुरुआत में ईरान हर रोज औसत 2000 लोगों को वापस भेजता था, लेकिन वर्तमान में यह आंकड़ा 30 हजार प्रतिदिन को पार कर गया है।
    • ईरान अधिकारियों ने अपने कदम का बचाव करते हुए कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा एक प्राथमिकता है। ऐसे में अवैध प्रवासियों को वापस लौट जाना चाहिए। अब मानवाधिकार संगठनों को डर है कि 6 जुलाई के बाद ईरान में मौजूद अफगानियों के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो जाएगा।

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