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Iran Presidential Election: ईरान में शुक्रवार को हैं राष्ट्रपति के चुनाव, जानिए किसका पलड़ा है भारी

Iran Presidential Election हसन रूहानी से ईरान के कई सारे लोग काफी निराश हुए हैं। जिनको देश की कमजोर अर्थव्यवस्था भ्रष्टाचार कुप्रबंधन और कोरोना के बुरे दौर के लिए जिम्मेदार मानती है। हालांकि हसन रूहानी की सबसे बड़ी उपलब्धि 2015 की परमाणु समझौता थी।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 08:50 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 08:54 PM (IST)
मीडिया और लोगों के अनुसार चुनावी प्रतियोगिता बहुत कांटे की होगी।

तेहरान, एएफपी। ईरान में शुक्रवार को राष्ट्रपति पद का चुनाव होना है। माना जा रहा है कि अति रूढ़ीवादी मौलवी इब्राहिम रईसी इस चुनाव में आसानी से जीत हासिस कर सकते हैं हालांकि गार्जियन काउंसिल का कहना है कि प्रत्याशियों के बीच ये राजनीतिक लड़ाई इतनी आसान नहीं होने वाली है। 12 सदस्यों के काउंसिल के अध्यक्ष अब्बास अली कदखोदेई ने बताया कि मीडिया और लोगों के अनुसार चुनावी प्रतियोगिता बहुत कांटे की होगी।

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बता दें कि शुक्रवार को होने वाली वोटिंग में देश के करीब 6 करोड़ वोटर्स हिस्सा लेंगे। अब्बास अली कदखोदेई ने बताया कि जो सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की देखरेख में मौलवियों और न्यायविदों के पैनल ने केवल सात उम्मीदवारों को मंजूरी दी। जो शुक्रवार को होने वाले चुनाव से निवर्तमान राष्ट्रपति हसन रूहानी के उत्तराधिकारी का चयन होगा। ईरान के संवैधानिक नियमानुसार हसन रूहानी चार-चार साल के लिए दो बार राष्ट्रपति रह चुके हैं। तीसरी बार उन्हें नहीं चुना जा सकता है। जिनका कार्यकाल अगस्त में खत्म हो जाएगा।

ईरान में हसन रूहानी से हैं काफी लोग निराश

हसन रूहानी से ईरान के कई सारे लोग काफी निराश हुए हैं। जिनको देश की कमजोर अर्थव्यवस्था, भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और कोरोना के बुरे दौर के लिए जिम्मेदार मानती है। हालांकि हसन रूहानी की सबसे बड़ी उपलब्धि 2015 की परमाणु समझौता थी। परंतु तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा एकतरफा समझौते से वह भी खत्म हो गई।

ईरान में सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई के पास बहुत सारी शक्तियां निहित है, लेकिन राष्ट्रपति विदेशी मामलों और औद्योगिक नीति के मुद्दों पर महत्वपूर्ण शक्तियां रखता है।

उम्मीदवार चयन को लेकर सवाल खड़े हो रहे है कि चयनित लोगों का नाम नहीं है। अफवाह है कि गार्जियन काउंसिल ने सुधारवादियों और नरमपंथियों को चुनावी संघर्ष में आने से पहले ही रोक दिया गया है। इस पर सफाई देते हुए काउंसिल के अध्यक्ष अब्बास अली कदखोदेई ने प्रेसवार्ता में कहा कि उम्मीदवारों की जांच चुनावी कानून के अनुसार की गई है और गार्जियन काउंसिल किसी राजनीतिक विचार से नहीं प्रभावित है।


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