'परमाणु बम' पर आर-पार के मूड में ईरान, खतरनाक रास्ता अपना सकते हैं खामेनेई; विशेषज्ञों ने क्यों चेताया?
ईरान पर परमाणु हथियार बनाने का आरोप लगने के बाद इज़राइल और ईरान के बीच 12 दिनों तक जंग चली। अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बंकर बस्टर बमों से हमला किया जिससे ईरान का परमाणु कार्यक्रम बाधित हुआ। अब विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि ईरान गुपचुप तरीके से परमाणु हथियार बना सकता है।
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। इजरायल ने ईरान पर न्यूक्लियर हथियार बनाने का इल्ज़ाम लगाया और फिर शुरू हुई 12 दिन की जंग। इस जंग में अमेरिका ने भी कूदकर ईरान के तीन अहम न्यूक्लियर ठिकानों फोर्डो, इस्फहान और नतांज पर बंकर बस्टर बमों से हमला कर दिया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि इन हमलों ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को तबाह कर दिया। हालांकि ईरान ने न्यूक्लियर प्लांट को नुकसान की बात को गलत बताया था।
एक्सपर्ट क्यों दे रहे चेतावनी?
लेकिन अब विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि ये हमले ईरान को और खतरनाक रास्ते पर धकेल सकते हैं। ईरान अब न्यूक्लियर हथियार बनाने की राह पर गुपचुप तरीके से चल सकता है, क्योंकि ईरान ने संयुक्त राष्ट्र की न्यूक्लियर निगरानी संस्था IAEA के साथ सहयोग खत्म करने का फैसला किया है और गैर-परमाणु प्रसार संधि (NPT) से भी बाहर निकलने की दिशा में काम कर रहा है। इसके बाद ईरान के परमाणु गतिविधि दुनिया की नजरों से ओझल रहेगी और निगरानी लगभग नामुमकिन हो जाएगी।
न्यूक्लियर हथियारों के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी हमलों ने ईरान को एक ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया है, जहां वह गुप्त रूप से न्यूक्लियर हथियार बनाने की कोशिश तेज कर सकता है।
परमाणु प्रसार के विशेषज्ञ हावर्ड स्टॉफर ने ABC न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में कहा कि आखिरी बार उत्तर कोरिया ने NPT से बाहर निकलकर न्यूक्लियर हथियार बनाए थे। अब ईरान भी वही रास्ता चुन सकता है। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान ने IAEA के साथ सहयोग खत्म करने का बिल पास कर लिया है और NPT से बाहर निकलने पर विचार कर रहे हैं।
वहीं विशेषज्ञ जॉन एराथ ने भी ऐसी ही आशंका जताई है। उनका मानना है कि ईरान संधि के नियमों को तोड़कर हथियार बनाने की कगार तक जा सकता है, जिससे इजरायल और पड़ोसी मुल्कों में खतरा बढ़ रहा है।
अमेरिका ने 2018 में तोड़ी थी न्यूक्लियर डील
साल 2015 में ईरान ने अमेरिका समेत कई बड़े मुल्कों के साथ न्यूक्लियर डील (JCPOA) साइन की थी। इस डील में ईरान ने अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को शांतिपूर्ण इस्तेमाल तक सीमित करने का वादा किया था, जिसके बदले उस पर लगी आर्थिक पाबंदियां हटाई गई थीं।
लेकिन 2018 में डोनाल्ड ट्रम्प ने इस डील को फिजूल बताकर अमेरिका को इससे बाहर निकाल लिया और ईरान पर फिर से सख्त पाबंदियां लगा दीं। इसके बाद कई बार नई डील की कोशिश हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अब ईरान कह रहा है कि वह अपने हितों के हिसाब से फैसला लेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी हमलों ने ईरान को और सख्त कर दिया है। अगर ईरान IAEA के साथ सहयोग बंद करता है और NPT से बाहर निकलता है, तो उसके न्यूक्लियर प्रोग्राम पर नजर रखना मुश्किल हो जाएगा।
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