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    हिटलर का प्यारा, 60 लाख यहूदियों का हत्यारा... कौन था Adolf Eichmann, जिसको मारने के लिए मोसाद ने चलाया था Operation Finale

    Updated: Thu, 19 Jun 2025 08:23 PM (IST)

    मोसाद ने 65 साल पहले एक मिशन को अंजाम दिया था जब ऑपरेशन का बदला ऑपरेशन से लिया गया और 60 लाख यहूदियों के कत्ल का इंतकाम पूरा हुआ। मोसाद ने Adolf Eichmann के खिलाफ एक मिशन चलाया जिसने फाइनल सोल्यूशन चलाकर लाखों यहूदियों को मारा था। मोसाद ने 11 मई 1960 को Adolf Eichmann को पकड़ा और इजरायल लाया। आइए जाने पूरे ऑपरेशन के बारे में...

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    Iran Israel Conflict मोसाद के ऑपरेशन फिनाले की पूरी कहानी। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद का जिक्र होते ही उसके कई घातक मिशन की याद ताजा हो जाती है। हमास चीफ को मारने से लेकर हिजबुल्लाह के खात्मे तक की प्लानिंग मोसाद ने ही रची थी। ऐसा ही एक मिशन को मोसाद ने 65 साल पहले अंजाम दिया था, जब ऑपरेशन का बदला ऑपरेशन से लिया गया और 60 लाख यहूदियों के कत्ल का इंतकाम पूरा हुआ।

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    मोसाद का हर मिशन इसलिए भी खास माना जाता है, क्योंकि इसकी भनक किसी को आज तक नहीं लगी। 

    इसी तरह मोसाद ने एक मिशन Adolf Eichmann के खिलाफ चलाया था। ये वो इंसान है जिसने 60 लाख यहूदियों की जान ली थी। वो हिटलर का खास माना जाता था। हिटलर की हार के बाद वो पकड़ा तो गया, लेकिन जेल से भाग गया। 

    आइए जानें कैसे मोसाद ने 10 साल बाद आइकमैन को खास मिशन चलाकर पकड़ा। 

    'फाइनल सोल्यूशन' का बदला 

    दरअसल, Adolf Eichmann ने 'फाइनल सोल्यूशन' चलाकर लाखों यहूदियों का खात्मा किया। फाइनल सोल्यूशन एक कोड था, जिसे दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी के कब्जे वाले इलाके से यहूदियों के खात्मे के लिए रखा गया था। यहूदियों को मारने के ऑपरेशन का जिम्मा आइकमैन को ही मिला था। 

    Eichmann यहूदियों की पहचान करता, उन्हें इकट्ठा करना और फिर उन्हें मारना। यहूदियों को मारने का काम Eichmann इससे पहले भी कर चुका था, पराग्वे और ऑस्ट्रिया में भी वो ऐसा कत्लेआम मचाकर आया था।

    जब Eichmann की मिली सूचना

    हिटलर के मरने के बाद ज्यादातर नाजी नेताओं ने या तो आत्महत्या कर ली, या भाग गए। ऐसे ही Eichmann भी भाग खड़ा हुआ। इसके बाद 1948 में इजरायल एक नया देश बना और मोसाद का पूरा स्वरूप बदला। इसी बीच 1957 को मोसाद को एक गुप्त सूचना मिली की Eichmann नाम बदलकर अर्जेंटीना में रह रहा है।

    यहीं से ऑपरेशन फिनाले की शुरुआत हुई। उस समय अर्जेंटीना और इजरायल में कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं थी। इसका मतलब था कि उसे कानूनी रूप से लाना असंभव था, इसी कारण मोसाद ने उसे अपने तरीके से लाने की प्लानिंग शुरू कर दी। 

    ऐसे पकड़ा गया यहूदियों का हत्यारा

    • योजना बनाई गई कि 10 मई 1960 को Eichmann को पकड़ा जाएगा और इजरायल लाया जाएगा। मोसाद को पता चला था कि Eichmann रोज शाम को बस से अपने घर आता है और उसे वहीं से किडनैप करना है। इसके बाद मोसाद के खुफिया एजेंट्स वहां रुककर इंतजार करने लगे। 
    • किडनैप के लिए कार तैयार थी, बस का इंतजार किया जा रहा था। तभी शाम के 7.30 बजे एक बस आती है और दरवाजा खुलता है, लेकिन Eichmann नहीं निकला। मोसाद एजेंट्स को कहा गया था कि अगर 8 बजे तक Eichmann नहीं आया तो ऑपरेशन खत्म समझा जाए।
    • इसके थोड़ी देर बाद फिर से एक बस आती है, एजेंट्स तैयार हो जाते हैं और बस चली जाती है। तभी एक व्यक्ति दिखाई देता है, मोसाद के एजेंट्स ने पहचान लिया था कि ये वही Eichmann है।
    • इसके बाद उसे कार में डाला जाता है और बेहोशी का इंजेक्शन दिया जाता है। अगले 9 दिन तक उसे अर्जेंटीना में ही सेफ हाउस में छिपाकर रखना पड़ा। इसका कारण था कि यहां से इजरायल की फ्लाइट 20 मई को थी। 

    Eichmann को दी गई फांसी

    20 मई को सभी फ्लाइट में सवार हुए और Eichmann का हुलिया बदला गया और उसे इजरायल लाया गया। इसके बाद तत्कालीन इजरायली प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियो ने देश को संबोधित करते हुए बताया कि लाखों यहूदियों का हत्यारा Adolf Eichmann पकड़ लिया गया है। इसके बाद उसपर केस चला और उसे 15 दिसंबर 1961 को फांसी की सजा सुनाई गई और 31 मई 1962 को उसे फांसी दे दी गई।

    सोर्स- टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट और एजेंसी इनपुट के साथ