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Israel Hamas War: इजरायल की भीषण बमबारी से गाजा के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित, डर और घबराहट के लक्षण हो रहे विकसित

Israel Hamas War इजरायल और हमास के बीच लगातार युद्ध जारी है। इजरायल गाजा पर ताबड़तोड़ हमला कर रहा है। इस हमले में सबसे ज्यादा गाजा के बच्चे शिकार हो रहे है। इन हमलों के कारण गाजा के बच्चे सदमे के दौर से गुजर रहे हैं। उनके अंदर डर और घबराहट के गंभीर लक्षण नजर आ रहे हैं।

By AgencyEdited By: Babli KumariPublished: Sun, 22 Oct 2023 07:55 AM (IST)Updated: Sun, 22 Oct 2023 07:55 AM (IST)
इजरायल के लगातार बमबारी के कारण गाजा के बच्चों में दिखाई दे रहे हैं सदमे के लक्षण (फ़ोटो-रॉयटर्स)

रॉयटर्स, गाजा। इजरायल और गाजा के बीच चल रहे भीषण युद्ध में सबसे ज्यादा बच्चे शिकार हो रहे हैं। इजरायल द्वारा गाजा पर लगातार बमबारी किया जा रहा है इस बमबारी के कारण गाजा के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। भीषण बमबारी के कारण गाजा के बच्चों में पिछले दो सप्ताह से डर और घबराहट के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। 

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माता- पिता के साथ-साथ मनोचिकित्सकों का भी कहना है कि गिरते बमों से छिपने के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं होने के कारण बच्चे हमलों को देख रहे हैं उनके सामने लोगों की मौत हो रही है और चारों तरफ चीख-पुकार के माहौल के कारण वो सदमे में जा रहे हैं। 

गाजा की 2.3 मिलियन आबादी में से लगभग आधे बच्चे हैं। गाजा में हो रहे लगातार बमबारी के कारण बहुत से लोग अपने घरों से भागने के बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित स्कूलों में अस्थायी आश्रयों में रहने को मजबूर हैं।

गाजा के बच्चों में हो रहे हैं गंभीर लक्षण विकसित

गाजा के मनोचिकित्सक फाडेल अबू हीन ने कहा, "बच्चों... के शरीर में ऐंठन, बिस्तर गीला करना, डर, आक्रामक व्यवहार, घबराहट और अपने माता-पिता का साथ न छोड़ना जैसे गंभीर सदमे के लक्षण विकसित होने लगे हैं।"

फलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार गाजा में अब तक 4,100 से अधिक फलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें 1,500 से अधिक बच्चे भी शामिल हैं, जबकि 13,000 लोग घायल हुए हैं।

UN के अस्थायी आश्रयों में 380,000 से अधिक लोग रहने को मजबूर 

संयुक्त राष्ट्र के स्कूलों में अस्थायी आश्रयों में 380,000 से अधिक लोग बमबारी से बचने की उम्मीद में डेरा डाले हुए हैं जहां और समस्या बढ़ रही है। यहां की हालत ऐसी होती है कि कभी-कभी प्रत्येक कक्षा में 100 लोग सोते हैं, जिनमें से सभी को निरंतर साफ-सफाई की आवश्यकता होती है। बिजली और पानी के कमी के कारण यहां के बाथरूम और शौचालय बहुत गंदे रहते हैं।

एक स्कूल में रह रही छह बच्चों की मां ताहिर ताबाश ने कहा, "हमारे बच्चों को रात में बहुत तकलीफ होती है। वे पूरी रात रोते हैं और बार-बार पेशाब कर देते हैं।" ताबाश ने आस-पास की इमारतों पर कई बार हमले होते देखे हैं। उन्होंने कहा, जब उनके बच्चे कुर्सी हिलने की आवाज सुनते हैं तो वे डर के मारे उछल पड़ते हैं।

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