Mass Firing: दुबई के एक न्यूज पेपर को ईंधन की बढ़ी कीमतों पर खबर छापना पड़ा महंगा, प्रिंट एडिशन हुआ बंद
तेल की बढ़ी कीमतों को लेकर खबर पर अखबार के अनुभवी संपादकों ने भी सहमति जताई थी। बावजूद इसके दुबई के अल रोया न्यूज पेपर को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। खबर छपने के कुछ ही दिनों में बड़े स्तर पर संपादकों से पूछताछ की गई।

दुबई, एजेंसियां: सऊदी अरब में एक अखबार को बढ़ी हुई ईंधन की कीमतों को लेकर खबर छापना महंगा पड़ गया। आलम ये रहा कि कुछ ही हफ्तों में अखबार का प्रिंट संस्करण बंद कर दिया गया। साथ ही बड़ी तादाद में वहां काम करने वाले दर्जनों कर्मचारियों को एक झटके में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। बताया जाता है कि संयुक्त अरब अमीरात के प्रेस कानूनों का बहुत ही सख्ती से पालन किया जाता है। फिर भी ईंधन की कीमतों को लेकर खबर को कानून के दायरे में ही माना गया।
ईंधन की बढ़ी कीमतों को लेकर खबर पर अखबार के अनुभवी संपादकों ने भी सहमति जताई थी। बावजूद इसके दुबई के अल रोया न्यूज पेपर को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। खबर छपने के कुछ ही दिनों में बड़े स्तर पर संपादकों से पूछताछ की गई। दर्जनों कर्मचारियों को निकाल दिया गया, इस पर भी संतोष नहीं होने पर न्यूज पेपर को डिजाल्व कर दिया गया यानी बंद कर दिया गया।
अखबार के प्रकाशक, अबू धाबी स्थित इंटरनेशनल मीडिया इन्वेस्टमेंट्स ने अपने एक बयान में सफाई दी कि अरबी भाषा के एक नए न्यूज पेपर को शुरू किया जा रहा है। जिसके चलते अल रोया का बंद किया गया है। उन्होंने बताया कि सीएनएन के साथ मिलकर अल रोया के परिवर्तित संस्करण को फिर से शुरू किया जाएगा। हालांकि, अखबार से बड़ी तादाद में कर्मचारियों को निकाले जाने की सीधे तौर पर जानकारी रखने वाले लोगों ने पुष्टि की है कि संयुक्त अरब अमीरात में गैस की बढ़ी कीमतों पर लेख छपने के कारण ही अखबार में छंटनी की गई है।
अल रोया अरबी अखबार की स्थापना साल 2012 में की गई थी। जिसके बाद आईएमआई द्वारा इसे तीन साल पहले ही फिर से रीब्रांड किया गया। ताकि अरब के युवाओं तक स्थानीय और वैश्विक खबरें पहुंचाई जा सकें। आईएमआई का स्वामित्व संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति के अरबपति भाई शेख मंसूर बिन जायद अल नाहयान के पास है। वो ब्रिटिश फुटबॉल क्लब मैनचेस्टर सिटी के भी मालिक हैं।
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