Afghanistan: संयुक्त राष्ट्र अधिकारी ने तालिबान से की मांग- देश में लड़कियों के लिए भी जल्द खुलें स्कूल
अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान अपने फैसलों को लेकर चर्चा में बना हुआ। तालिबान द्वारा लड़कियों के स्कूल खोले जाने के फैसले पर संयुक्त राष्ट्र अधिकारी ने उनसे बड़ी मांग की है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में लड़कियों के लिए जल्द स्कूल खोले जाएं।
काबुल, आइएएनएस। अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन के प्रभारी अधिकारी रमीज अलाकबारोव ने कहा कि वह स्कूलों के संदर्भ में किया गया तालिबान का वादा व्यावहारिक रूप से लागू होते देखना चाहते हैं। टोलो न्यूज से बातचीत में अलाकबारोव ने कहा, 'जब से मैं इस संवाद में हूं, तब से हर समय मैं यही सुन रहा हूं। वे (तालिबान) हमसे कह रहे हैं कि 12 प्रांतों में स्कूल खोल दिए गए हैं और अन्य प्रांतों में जल्दी ही खोले जाएंगे।
लड़कियों के लिए खुलें अफगानी स्कूल
संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन के प्रभारी अधिकारी रमीज अलाकबारोव ने कहा कि मैं लगातार यह सुन रहा हूं कि सभी के लिए शिक्षा जैसी चीज को उपलब्ध कराने का वे प्रयास कर रहे हैं। मैं इसे व्यवहार में देखना चाहता हूं, क्योंकि मैं लड़कियों को फिर से स्कूल जाते देखना चाहता हूं। 'अलाकबारोव ने यह भी कहा कि देश में स्थायी स्थिति तैयार करने के लिए कदम जब तक नहीं उठाए जाते तब तक अफगानिस्तान मानवीय संकट खत्म नहीं होगा। जब तक लोगों के काम पर वापस लौटने और पैसे कमाने लायक स्थितियां तैयार नहीं होंगी तब तक संकट कायम रहेगा।
तालिबान ने किया था छात्राओं के लिए अलग से स्कूल खोलने का एलान
बता दें कि तालिबान ने अफगानिस्तान में लड़कियों के लिए अलग से माध्यमिक विद्यालय खोलने का एलान किया था। तालिबान ने काबुल के प्रांतीय शिक्षा विभागों को कुछ शर्तों के साथ स्कूल खोलने के निर्देश दिए। अफगान पत्रकार के हवाले से दी गई जानकारी के मुताबिक तालिबान ने लड़कियों की शिक्षा के लिए एक समिति का गठन किया है। यह समिति सीजे अब्दुल हकीम शराही के नेतृत्व में काम करेगी।
तालिबान की आलोचना कर चुके हैं कई देश
गौरतलब है कि तालिबान द्वारा महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने के लिए आलोचना का सामना करने के बाद यह फैसला लिया गया है। अफगान महिलाओं के लिए 2021 सबसे खराब साल रहा है, तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण करने के बाद शिक्षा और उनके काम करने के अधिकार को वापस ले लिया था। तालिबान ने महिलाओं और लड़कियों के लिए अभिव्यक्ति, संघ, सभा और आंदोलन की स्वतंत्रता के अधिकारों पर कठोर प्रतिबंध भी लगाए। जिसे लेकर दुनिया भर के देशों ने आलोचना की थी।