Afghanistan: बकरीद पर अफगानिस्तान में पसरा सन्नाटा, नहीं खरीद रहा कोई कपड़े; दुकान पड़ी खाली
Afghanistan Eid Celebrations बकरीद (Eid al-Adha) पर अफगानिस्तान में सन्नाटा पसरा हुआ है। दर्जी और कपड़ा विक्रेताओं ने अपनी परेशानी व्यक्त करते हुए कहा कि काबुल में आर्थिक चुनौतियों (economic challenges) और बेरोजगारी के कारण उनके काम पर काफी प्रभाव पड़ रहा है। अफगानिस्तान में लगभग 35 सालों से एक दर्जी की दुकान पर काम कर रहे बुरहानुल्लाह बताते है कि वह अपने परिवार में कमाने वाले एकमात्र शख्स है।

काबुल, एजेंसी। बकरीद पर अफगानिस्तान में सन्नाटा पसरा हुआ है। दर्जी और कपड़ा विक्रेताओं की दुकानें खाली पड़ी हुई है, जिसके कारण वित्तीय स्थिति पर भी प्रभाव पड़ रहा है। अफगान समाचार चैनल टोलो न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी काबुल में बिक्री काफी कम हो रही है।
दर्जी और कपड़ा विक्रेताओं ने जताई निराशा
दर्जी और कपड़ा विक्रेताओं ने अपनी परेशानी व्यक्त करते हुए कहा कि काबुल में आर्थिक चुनौतियों और बेरोजगारी के कारण उनके काम पर काफी प्रभाव पड़ रहा है। अफगानिस्तान में लगभग 35 सालों से एक दर्जी की दुकान पर काम कर रहे बुरहानुल्लाह बताते है कि वह अपने परिवार में कमाने वाले एकमात्र शख्स है।
देश की आर्थिक चुनौतियों को वह अपनी बिक्री कम होने का कारण बताते हैं। बुरहान ने कहा कि पिछले साल की तुलना में काम में बदलाव आया है। ज्यादातर अफगानी कपड़े ही इस्तेमाल होते हैं...लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है।
खराब हालात को लेकर चिंतित कपड़ा व्यापारी
एक अन्य दर्जी जमालुद्दीन ने कहा कि पहले हमारे पास बहुत काम था और बहुत सारे ग्राहक थे, लेकिन अभी हमारे अधिकांश ग्राहक देश से बाहर चले गए हैं। इस बीच, काबुल के दूसरे कोने में भी कुछ कपड़े और कपड़े बेचने वाले खराब हालात को लेकर चिंतित हैं। कपड़े बेचने वाले अब्दुल फतह ने कहा, हमारा काम अच्छा नहीं है क्योंकि लोग इन दिनों खरीदारी में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।
अफगानिस्तान में बढ़ती गरीबी
टोलो न्यूज के अनुसार, कपड़ा विक्रेता अब्दुल फहीम ने कहा, पहले लोगों के पास काम और नौकरियां थीं और उनके पास पैसे थे और वे अपने परिवारों के साथ खरीदारी के लिए आते थे। लेकिन, अब पिछली सरकार की तुलना में हमारा काम अच्छा नहीं है। हर साल ईद-उल-अजहा के आगमन के साथ ही देश में बहुत से लोग उत्साह से कपड़े खरीदते हैं, लेकिन इस साल देश में गरीबी और चुनौतियों के कारण वे इस तरह से ईद नहीं मना सकते हैं।
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