Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ठीक से नींद नहीं आने पर बिगड़ सकती है तबीयत, आप हो सकते हैं तनाव के शिकार

    By Manish PandeyEdited By:
    Updated: Sun, 17 Jan 2021 11:35 AM (IST)

    सेहत पर नींद का असर जानने के लिए अबू धाबी के एनवाइयू लैबोरेटरी ऑफ न्यूरल सिस्टम एंड बिहेवियर के विज्ञानियों ने शोध किया। इसके मुताबिक जो लोग पर्याप्त समय नहीं सोते हैं वे जल्दी तनाव के शिकार हो जाते हैं।

    Hero Image
    नींद के दो चरण होते हैं। नॉन रैपिड आइ मूवमेंट और रैपिड आइ मूवमेंट।

    अबू धाबी, एएनआइ। नींद पूरी नहीं होने पर तबीयत बिगड़ सकती है। आप चिड़चिड़ेपन के शिकार हो सकते हैं। आम बोलचाल में यह सभी ने सुना होगा। इस सिद्धांत (थ्योरी) को साबित करने के लिए अबू धाबी के एनवाइयू लैबोरेटरी ऑफ न्यूरल सिस्टम एंड बिहेवियर के विज्ञानियों ने एक शोध किया है। इस शोध के निष्कर्ष में यह बताया गया कि जिनकी नींद खंडित या कच्ची होती है या जिन्हें नींद न आने की बीमारी हो और जो पर्याप्त समय नहीं सोते हैं, वे जल्दी तनाव के शिकार हो जाते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तनावपूर्ण स्थिति (क्रॉनिक सोशल डीफिट) में व्यक्तियों के व्यवहार को लेकर अनुसंधान कर रहे जीव विज्ञान के सहायक प्रोफेसर दीपेश चौधरी और अनुसंधान सहयोगी बसंत राडवान ने चूहों पर प्रयोग शुरू किया। उन्होंने चूहों के लिए दो तरह की स्थितियां निर्मित की। प्रयोग के लिए एक ऐसा चूहा लिया गया, जिसे अच्छी नींद आती है और दूसरा, ऐसा चूहा, जिसकी नींद खंडित या अव्यवस्थित है। अब दोनों के लिए तनावपूर्ण स्थिति निर्मित की गई। दोनों के परिणामों का आकलन करने पर पता चला कि जिस चूहे की नींद भरपूर थी वह तनावपूर्ण स्थिति को आसानी से पार कर गया। उसकी मानसिक और शारीरिक स्थिति पर ज्यादा असर नहीं पड़ा। वहीं दूसरे चूहे पर इसका ज्यादा असर हुआ। चूहों के आंखों की गति (आइ मूवमेंट) के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि खंडित नींद के शिकार जल्दी तनावग्रस्त हो सकते हैं।

    नींद क्या है

    नींद एक उन्नत निर्माण क्रिया विषयक (एनाबोलिक) स्थिति है। यह रोगक्षम तंत्र (इम्यून), तंत्रिका तंत्र, कंकालीय और मांसपेशी प्रणाली में नई जान डालती है। सभी स्तनपायियों में, सभी पक्षियों और अनेक सरीसृपों, उभयचरों और मछलियों में इसका अनुपालन होता है। यह एक आवश्यक प्रक्रिया है। हर किसी को निर्धारित सीमा में नींद जरूर लेनी चाहिए। यह भोजन की तरह ही आवश्यक है।

    नींद के दो चरण हैं

    एनआरईएम (नॉन रैपिड आइ मूवमेंट): इसमें आंखों की पुतलियां सक्रिय नहीं होती है। हमारी नींद का लगभग 75 फीसद हिस्सा नॉन रैपिड आई मूवमेंट का होता है। इसकी तीन अवस्थाएं हैं। पहली अवस्था सोने के पांच से दस मिनट बाद की स्थिति होती है। इस स्थिति में इंसान को जगाना आसान होता है। दूसरी अवस्था हल्की नींद की होती है। इस अवस्था में शरीर गहरी नींद में जाने के लिए तैयार होता है। तीसरी अवस्था गहरी नींद की होती है। इस समय जगाना मुश्किल होता है।

    रेम (रैपिड आइ मूवमेंट) : इसमें आंखों की पुतलियां सक्रिय रहती हैं। आंखें अलग-अलग दिशाओं में घूमती हैं। इस अवस्था में हमारा शरीर जागने और सो जाने के बीच की स्थिति में बना रहता है। नींद के लगभग 90 मिनट बाद यह स्थिति बनती है। यह अमूमन दस मिनट तक होता है। कभी-कभी और किसी व्यक्ति विशेष के लिए यह एक घंटे तक भी हो सकती है। इस समय दिल और फेफड़ों के काम करने की क्षमता बढ़ जाती है।

    comedy show banner
    comedy show banner