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    'सब मेरी वजह से हुआ', एक न्यूक्लियर अटैक और नागासाकी की इस मां का दूध बन गया बच्चे के लिए जहर; पढ़ें दिल दहला देने वाली कहानी

    Updated: Sat, 09 Aug 2025 12:39 PM (IST)

    हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले के 80 साल बाद भी रेडिएशन से बची महिलाओं की कहानियां सामने आ रही हैं। नाकामुरा नामक एक महिला को डॉक्टरों ने बताया कि उसके बेटे को ल्यूकेमिया स्तनपान के दौरान रेडिएशन के कारण हुआ। विशेषज्ञों के अनुसार परमाणु विकिरण के संपर्क में आने के बाद स्तनपान बंद करने की सलाह दी जाती है।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 80 साल पहले अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला किया था। इसमें एक झटके में हजारों लोगों की मौत हुई और न जाने कितने लोगों की जिंदगी तबाह हो गई और जो लोग बच गए उनकी जिंदगी भी हमेशा के लिए बदल गई। ब्लास्ट और रेडिएशन से बची महिलाओं को नई वास्तविकताओं का सामना करना पड़ रहा है।

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    सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, नागासाकी ही महिलाओं की कहानियां बताती हैं कि कैसे रेडिएशन ने महिलाओं की जिम्मेदारी, पारिवारिक अपेक्षाओं और हिबाकुशा माताओं में जनता के विश्वास के मायने ही बदल दिए। ऐसी ही एक कहानी नागासाकी की एक मां की है, जिसके बेटे को बाद में ल्यूकेमिया हो गया और इसकी वजह डॉक्टरों ने स्तनपान के दौरान फैलने वाली विकिरण बीमारी बताया।

    जानिए क्या है इस मां की कहानी

    नाकामुरा... ये उस मां का नाम है जो ये मानती है कि उसके बच्चे की मौत उसकी वजह से हुई। दरअसल, अमेरिका के परमाणु हमले में बचने के तीन साल बाद वो एक बच्चे को जन्म देती हैं। बच्चा धीरे-धीरे बड़ा होता है और एक दिन उसकी पीठ पर कुछ गांठें दिखाई पड़ती हैं। पहले तो वो ये सोचती हैं कि ये सिर्फ दाने हैं और बेटे से कहती हैं कि वो अस्पताल में जाकर डॉक्टर की सलाह ले।

    (फोटो क्रेडिट- यूएस मिलिट्री/ नागासाकी परमाणु बम म्यूजियम)

    2003 में 55 साल की उम्र में उनका बेटा अस्पताल जाता है। धीरे-धीरे वक्त बीतता जाता है लेकिन उसकी कोई खैर खबर नहीं मिलती है। आखिरकार हारकर वो बेटे का हाल जानने के लिए खुद अस्पताल पहुंचती हैं। उनका बेटा उनसे कहता है कि डॉक्टर कुछ टेस्ट करेंगे।

    जब टेस्ट के रिजल्ट आते हैं तो पता चलता है कि उनके बेटे को स्टेज 4 ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर की एडवांस स्टेज) है। ये उनके शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल चुका था। नाकामुरा बताती हैं कि डॉक्टरों ने कहा कि इस कैंसर की जिम्मेदार और कोई नहीं बल्कि वो खुद हैं। उन्होंने ने ही अपने बेटे को कैंसर दिया है, जो स्तनपान के जरिए उनके बेटे के अंदर पहुंचा है।

    एक समय के बाद उनके बेटे की मौत हो जाती है तो नाकामुरा को विश्वास हो गया कि उन्होंने ही अपने बेटे को मार डाला। ये ख्याल उन्हें आज भी चैन से जीने नहीं देता है और डॉक्टर कही बात उन्हें बार-बार परेशान करती है।

    (फोटो क्रेडिट- यूएस मिलिट्री/ नागासाकी परमाणु बम म्यूजियम)

    क्या कहना है एक्सपर्ट्स का?

    परमाणु विकिरण के संपर्क में आने वाली महिलाओं को आमतौर पर परमाणु विस्फोट के तुरंत बाद स्तनपान बंद करने की सलाह दी जाती है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि रेडिएशन के संपर्क में आने के सालों बाद भी मां बच्चों को कैंसर पैदा करने वाला पदार्थ दे सकती है।

    बांझपन या बच्चे की विकलांगता का विकिरण जोखिम से कोई लेना-देना नहीं होता, तब भी हिबाकुशा महिलाओं को अक्सर दोषी ठहराया जाता था और उनका बहिष्कार किया जाता था।

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