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    जापानी PM ने चीन के सुरक्षा कानून पर उठाए सवाल, बोले- जी-7 समूह में हो हांगकांग पर चर्चा

    By Ramesh MishraEdited By:
    Updated: Wed, 10 Jun 2020 07:21 PM (IST)

    वह चाहते है कि इस बार जी-7 की बैठक में चीन के सुरक्षा कानून की निंदा हो और हांगकांग के हालात पर चर्चा हो। उनके इस बयान के बाद हांगकांग को लेकर सियात फ‍िर गरमा गई है।

    जापानी PM ने चीन के सुरक्षा कानून पर उठाए सवाल, बोले- जी-7 समूह में हो हांगकांग पर चर्चा

    टोक्‍यो, एजेंसी। जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने बुधवार एक बार हांगकांग की चर्चा कर चीन को खबरदार किया है। उन्‍होंने कहा है वह चाहते है कि इस बार जी-7 की बैठक में चीन के सुरक्षा कानून की निंदा हो और हांगकांग के हालात पर चर्चा हो। उनके इस बयान के बाद हांगकांग को लेकर सियात फ‍िर गरमा गई है। एनएचके ब्रॉडकास्टर ने बुधवार को यह जानकारी दी। जापानी प्रधानमंत्री ने देश की संसद डाइट में बोलते हुए कहा कि जी-7 समूह के नेता हांगकांग के लिए एक देश, दो सिस्‍टम सिद्धांत को संरक्षित करने के लिए एक बयान जारी करना चाहिए। इसके तहत बीजिंग के प्रशासन के तहत यह ढांचा हांगकांग को एक अर्ध स्‍वायत्‍त क्षेत्र का अधिकार देता है।

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    एक भ्रांति के बाद जापान की संसद में स्थिति स्‍पष्‍ट किया 

    यह बयान सोमवार को मीडिया की रिपोर्ट के बाद आया है जब यह कहा जा रहा था कि जापान ने संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम को संयुक्त बयान में शामिल होने से इनकार कर दिया था, जिसमें  हांगकांग पर चीनी कानून की निंदा की गई थी। इसके बाद  प्रधानमंत्री आबे का यह बयान सामने आया है, उन्‍होंने जापान की संसद में स्थिति को स्‍पष्‍ट किया। उन्‍होंने यहां तक कहा कि इस बार जी-7 की बैठक में इस मुद्दे का उठाया जाना चाहिए। बता दें कि अमेरिका और ब्रिटेन इस कानून को लेकर अपना एतराज जता चुके हैं। इस कानून को लेकर चीन पर जबरदस्‍त दबाव है। अमेरिकी और ब्रिटेन के दबाव के चलते यह मामना सुरक्षा परिषद में भी उठाया जा चुका है। 

    15 सदस्‍यी सुरक्षा परिषद में उठा मामला

    चीन के तमाम विरोध के बावजूद यह मुद्दा 15 सदस्‍यी सुरक्षा परिषद में उठाया गया। हालांकि, चीन ने हांगकांग के मामले को सुरक्षा परिषद में उठाए जाने का प्रबल विरोध कर रहा था। उसका तर्क था कि हांगकांग चीन का आंतरिक मामला है। इस पर किसी देश को हस्‍तक्षेप करने का अधिकार नही है, लेकिन इस मामले में ड्रैगन की नहीं चली। सुरक्षा परिषद के सदस्‍यों द्वारा वीडियो क्रांफ्रेंसिंंग के जरिए इस पर अनौपचारिक चर्चा हुई। हालांकि, चीन के विरोध के कारण सुरक्षा परिषद में इस पर खुली बहस नहीं हुई। अलबत्‍ता, सुरक्षा परिषद में इस मामले को लाकर अमेरिका ने अपनी पहली कूटनीतिक जीत दर्ज कर ली है। चीन पर हांगकांग सुरक्षा कानून को खत्‍म करने का जबरदस्‍त अंतरराष्‍ट्रीय दबाव बनाया गया है। हालांकि, ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो वक्‍त ही बताएगा, लेकिन अमेरिका ने चीन पर शिंकजा कसना शुरू कर दिया है।

    'एक देश, दो प्रणालियों' ढांचे को कमजोर करेगा चीन का नया कानून 

    एक संयुक्त बयान में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने गुरुवार को हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के चीन के फैसले पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि यह कदम 'एक देश, दो प्रणालियों' ढांचे को कमजोर करेगा। उन्‍होंने आगे कहा कि इस कानून से चीन के अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के साथ संघर्ष तेज होगा। इसके साथ हांगकांग पर मानवाधिकार को लेकर भी चिंता जाहिर किया।