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    'चीन की ओर से होती है भारत-तिब्बत सीमा पर घुसपैठ', इस नेता ने किया बड़ा दावा

    Tibetan Sikyong सिक्योंग या तिब्बत की निर्वासित सरकार के अध्यक्ष पेनपा त्सेरिंग ने मंगलवार को कहा कि भारत-तिब्बत सीमा पर सभी घुसपैठ एकतरफा हैं और चीन की ओर से की गई हैं। पेनपा ने कहा हम तवांग को भारत का अभिन्न अंग मानते हैं।

    By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Wed, 04 Jan 2023 02:48 PM (IST)
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    'चीन की ओर से होती है भारत-तिब्बत सीमा पर घुसपैठ', इस नेता ने किया बड़ा दावा pic file from: @SikyongPTsering

    कोलकाता, एजेंसी। Tibetan Sikyong: सिक्योंग या तिब्बत की निर्वासित सरकार के अध्यक्ष पेनपा त्सेरिंग ने मंगलवार को कहा कि भारत-तिब्बत सीमा पर सभी घुसपैठ एकतरफा हैं और चीन की ओर से की गई हैं। एक साक्षात्कार में पेनपा ने कहा कि चूंकि तिब्बत ने 1914 की संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इसने मैकमोहन रेखा के साथ उनकी मातृभूमि और भारत के बीच सीमा निर्धारित की थी। तवांग भारत का अभिन्न अंग है।

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    हम मैकमोहन रेखा पर मजबूती से खड़े हैं- पेनपा

    पेनपा तवांग और लद्दाख में भारतीय सेना और चीन की पीएलए के बीच हालिया झड़पों के संदर्भ में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, 'हम जानते हैं कि सभी घुसपैठ चीनी पक्ष की ओर से हो रही है। 1959 तक भारत और चीन के बीच कोई सीमा नहीं थी। यह तिब्बत के साथ थी, हम ब्रिटिश भारत और तिब्बत के बीच 1914 के शिमला समझौते के हस्ताक्षरकर्ता हैं और हम वैध सीमा के रूप में मैकमोहन रेखा पर बहुत मजबूती से खड़े हैं।'

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    तवांग भारत का अभिन्न अंग है

    पेनपा ने कहा, 'हम तवांग को भारत का अभिन्न अंग मानते हैं।' उन्होंने आगे कहा कि साल 1959 में तिब्बती सरकार के तत्कालीन प्रमुख दलाई लामा तिब्बतियों के विद्रोह के बाद भारत में भाग आए थे। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने तिब्बतियों के विद्रोह को क्रूरता से कुचल दिया था। हालांकि, साम्यवादी चीन ने 1950 में तिब्बत पर आक्रमण किया था। मगर, दलाई लामा की सरकार ने बीजिंग के साथ एक व्यवस्था में अपनी सेना के साथ काम करना जारी रखा, जिसने तिब्बत को एक स्वायत्त क्षेत्र के रूप में नामित किया।

    चीन की अक्रामकता बिना किसी उकसावे की है

    भारत के साथ सीमा विवाद तब सामने आया, जब दलाई लामा के अपने अनुयायियों के साथ भागने के बाद चीनियों ने बयानों के जरिए मैकमोहन रेखा का विरोध किया। पेनपा ने कहा, 'चीन की अक्रामकता भारतीय पक्ष की ओर से बिना किसी उकसावे के है। भारत अपनी स्थिति पर कायम है, चीन को एक बहुत मजबूत संदेश भेजता है।'

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    कई एशियाई देशों से है चीन का विवाद

    सिक्योंग ने कहा, 'चीन केवल शक्ति का सम्मान करता है। चीन के कई एशियाई देशों के साथ विवाद हैं और वह उन्हें निपटाने को तैयार नहीं है। जब अमेरिका-चीन संबंधों की बात आती है, तो चीनी शिकायत करते हैं कि उनके साथ समान व्यवहार नहीं किया जाता है। मगर, जब एशिया के अन्य देशों की बात आती है, तो वे कभी भी उनके साथ समान व्यवहार नहीं करते हैं।'

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