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    ताइवान पर चीन करेगा वार, रूस बना मददगार; 800 पन्नों की रिपोर्ट में खुलासा

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 12:28 PM (IST)

    लंदन स्थित रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट (RUSI) के लीक दस्तावेजों में रूस और चीन के बीच सैन्य सहयोग का खुलासा हुआ है। रूस चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को हथियार और प्रशिक्षण देकर ताइवान पर संभावित हमले की तैयारी में मदद कर रहा है। 2023 में रूस ने चीन को हमलावर वाहन टैंक-रोधी तोपें और हवाई बख्तरबंद कर्मी वाहक बेचने का समझौता किया।

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    रिपोर्ट में रूस और चीन के बीच सैन्य सहयोग की चौंकाने वाली तस्वीर पेश करते हैं।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लंदन स्थित एक स्वतंत्र थिंक टैंक रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट (RUSI) ने 800 पेज के लीक दस्तावेजों का खुलासा किया है। इसमें रूस और चीन के बीच सैन्य सहयोग की चौंकाने वाली तस्वीर पेश करते हैं।

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    इन दस्तावेजों के अनुसार, रूस, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को हथियार और प्रशिक्षण देकर ताइवान पर संभावित हमले की तैयारी में मदद कर रहा है। यह खुलासा 23 मिलियन लोगों के स्व-शासित द्वीप ताइवान के लिए खतरे की घंटी है। इस इलाके को चीन अपना बताता रहा है। रूस ने अभी तक इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

    हथियार ट्रांसफर को लेकर चल रही बात

    दस्तावेजों से पता चलता है कि 2023 में रूस ने चीन को हमलावर वाहन, टैंक-रोधी तोपें और हवाई बख्तरबंद कर्मी वाहक बेचने का समझौता किया। ये वाहन चीनी विशिष्टताओं के अनुसार तैयार किए जाएंगे और रूस चीनी विशेष पैराट्रूपर बटालियन को इनके इस्तेमाल का ट्रेनिंग भी देगा। इसके अलावा, रूस ऐसी तकनीकों को ट्रांसफर करेगा, जिनसे चीन समान हथियार बना सके।

    यह सहयोग चीन की हवाई युद्ध क्षमताओं को मजबूत करेगा, जहां मॉस्को की सैन्य विशेषज्ञता अभी भी PLA से बेहतर है। इससे ताइवान के तटीय बंदरगाहों और अंतर्देशीय ढांचे पर एक साथ हमले की आशंका बढ़ जाती है।

    आरयूएसआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर चीन एयरबोर्न टैंक और सैनिकों को ताइवान के एयरपोर्ट और पोर्ट के पास उतारता है, तो वह तेजी से हमला कर सकता है और इन जगहों को कब्जे में लेकर बाकी सेना के लिए रास्ता साफ कर सकता है।

    ताइवान के लिए खतरे की घंटी

    ये लीक दस्तावेज रूस-चीन के गहराते सैन्य गठजोड़ की ओर इशारा करते हैं। ये ताइवान के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। रूस का यह समर्थन चीन को ताइवान पर आक्रामक रुख अपनाने के लिए और प्रोत्साहन दे सकता है। RUSI का कहना है कि ये दस्तावेज प्रामाणिक प्रतीत होते हैं और इनके कुछ हिस्सों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि की गई है।

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