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NATO Summit 2022: 29 व 30 जून को मैड्रिड में होगा नाटो सम्मेलन, चीन को व्यवस्थागत चुनौती की तरह देखेगा नाटो

नाटो सम्मेलन में चीन और रूस के घनिष्ठ संबंधों के साथ रूस के यूक्रेन पर हमले के संबंध में नई रणनीति बनाई जाएगी।इसी तर्ज पर चीन भी भौगोलिक और राजनीतिक ताकत बढ़ा रहा है और अन्य देशों के साथ अपनी आर्थिक नीतियों को बलपूर्वक थोपने की कोशिश कर रहा है।

By Babli KumariEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 08:23 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 08:23 AM (IST)
NATO Summit 2022: 29 व 30 जून को मैड्रिड में होगा नाटो सम्मेलन, चीन को व्यवस्थागत चुनौती की तरह देखेगा नाटो
नाटो के सदस्य देश चीन पर रणनीति बनाने को लेकर विचारमग्न हैं।

एलमाउ, रायटर : नाटो के राजनयिकों का कहना है कि दशकों में पहली बार नाटो के सदस्य देश चीन पर रणनीति बनाने को लेकर विचारमग्न हैं। लेकिन वह यह नहीं समझ पा रहे कि वह विश्व की सबसे बड़ी सेना में से एक और रूस के घनिष्ठ मित्र चीन को किस तरह से आंकें। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक जर्मनी में जारी जी-7 सम्मेलन अमीर औद्योगिक लोकतांत्रिक देशों का समागम है। इसके खत्म होते ही नाटो का सम्मेलन होना है जिसमें चीन से निपटने के लिए एक साझा रणनीति तैयार की जानी है।

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नाटो सम्मेलन में चीन और रूस के घनिष्ठ संबंधों के साथ रूस के यूक्रेन पर हमले के संबंध में नई रणनीति बनाई जाएगी। इसी तर्ज पर चीन भी भौगोलिक और राजनीतिक ताकत बढ़ा रहा है और अन्य देशों के साथ अपनी आर्थिक नीतियों को बलपूर्वक थोपने की कोशिश कर रहा है। रविवार को व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने कहा कि नाटो के दस्तावेजों में चीन के खिलाफ कड़ी भाषा का प्रयोग किया जाएगा। हालांकि 29 व 30 जून को मैड्रिड में होने वाले नाटो सम्मेलन से पहले समझौतों का क्रम भी जारी है।

नाटो के राजनयिकों ने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन ने चीन के खिलाफ कड़ी से कड़ी भाषा का प्रयोग करते हुए चीन की सैन्य महत्वाकांक्षा और ताइवान पर हमला करने की आशंका पर ध्यान केंद्रित किया है। सबसे प्रमुख यूरोपीय औद्योगिक देश फ्रांस और जर्मनी ने चीन में सबसे अधिक निवेश किया है। इसीलिए यह दोनों नाटो देश चीन के लिए नरम रुख रखते हैं। जी-सात सम्मेलन में सोमवार को अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवन ने बताया कि नाटो की रणनीति के प्रपत्र में चीन से उत्पन्न खतरों का ब्योरा होगा। एक राजनयिक ने बताया कि इन देशों के बीच एक समझौता हो रहा है जिसके तहत चीन को 'व्यवस्थागत चुनौती' कहा जाएगा। रणनीतिक दस्तावेज के हिसाब से अमेरिका के नेतृत्व में नाटो चीन और रूस के रिश्तों को भी बारीकी से आंकेगा।


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